Key Highlights (मुख्य बिंदु):
- एनआईए जांच में बड़ा खुलासा, बाइसरण घाटी में दो दिन पहले पहुंचे थे आतंकी
- आतंकी हमले के लिए पहलगाम, अरु घाटी, बीटाब घाटी और एंटरटेनमेंट पार्क की रेकी
- 20 ओवर ग्राउंड वर्कर्स की पहचान, कई गिरफ्तार
- 3 सैटेलाइट फोन के इस्तेमाल के पुख्ता सबूत
- 2500 संदिग्धों में से 186 अभी भी हिरासत में
NIA जांच में बड़ा खुलासा: हमले से दो दिन पहले बाइसरण घाटी में थे आतंकी
एनआईए की ताज़ा जांच में सामने आए खुलासे से घाटी में फिर से सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल उठने लगे हैं। इस रिपोर्ट में हम आपको पूरी जानकारी देंगे कि किस तरह आतंकियों ने हमले की साजिश रची, किन जगहों की रेकी की, और कैसे ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) ने इस पूरे प्लान को अंजाम देने में मदद की।
सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार OGW से पूछताछ में एनआईए को पता चला है कि आतंकी हमला करने से दो दिन पहले बाइसरण घाटी में मौजूद थे। यह वही इलाका है जहां सैलानी अक्सर घूमने आते हैं, लेकिन आतंकी वहां किसी और ही मकसद से पहुंचे थे — हमले की प्लानिंग।
15 अप्रैल को पहलगाम पहुंचे थे आतंकी
एनआईए को शक है कि आतंकी 15 अप्रैल को ही पहलगाम पहुंच गए थे। इसके बाद उन्होंने चार अलग-अलग जगहों की रेकी की, जिनमें बाइसरण घाटी के अलावा अरु वैली, बीटाब वैली और एक एम्यूज़मेंट पार्क शामिल हैं।
जांच एजेंसी का मानना है कि इन चारों जगहों को निशाना बनाने की योजना थी, लेकिन सुरक्षा कड़ी होने के चलते आतंकियों को अपना प्लान बदलना पड़ा। फिर भी, यह स्पष्ट है कि घाटी को दहलाने की तैयारी पहले से चल रही थी।
OGWs की बड़ी भूमिका
इस आतंकी साजिश में ओवर ग्राउंड वर्कर्स की भूमिका भी अहम रही। करीब 20 OGWs की पहचान हो चुकी है, जिनमें से कई को गिरफ्तार किया गया है। सूत्रों के अनुसार, इनमें से चार OGWs ने पाकिस्तानी आतंकियों को लोकेशन की जानकारी और रेकी में मदद की थी।
घाटी में तीन सैटेलाइट फोन के उपयोग के पुख्ता सबूत मिले हैं। इनमें से दो फोन की लोकेशन को ट्रेस कर लिया गया है। सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल यह दिखाता है कि आतंकी किसी बड़े नेटवर्क से जुड़े हैं और बेहद योजनाबद्ध ढंग से काम कर रहे हैं।
2500 संदिग्धों में से 186 अभी भी हिरासत में
अब तक 2500 से अधिक संदिग्धों से पूछताछ की जा चुकी है। इनमें से 186 लोग अब भी हिरासत में हैं और उनसे पूछताछ जारी है। एजेंसियां इन सभी से पूछताछ कर आतंकी नेटवर्क की पूरी परतें खोलने की कोशिश में जुटी हैं।
एनआईए की यह जांच केवल एक आतंकी हमले को रोकने का प्रयास नहीं है, बल्कि घाटी में छिपे उस जाल को उजागर करने की कोशिश है जो लंबे समय से सक्रिय है। इस मामले से यह भी साफ होता है कि सुरक्षा बलों की सतर्कता ने एक बड़ी साजिश को विफल किया है। अब यह जरूरी है कि OGWs के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो और आतंकियों के पूरे नेटवर्क को खत्म किया जाए।