Naukri.com की शुरुआत में सिर्फ 1,000 जॉब पोस्टिंग्स थीं, उस समय केवल 14,000 भारतीय इंटरनेट का उपयोग कर रहे थे

द अर्नीकॉन्स: स्टोरीज ऑफ़ रेयर प्रोफिटेबल यूनिकॉर्न्स' में ध्रुव नाथ बताते हैं कि कैसे Naukri.com, Zerodha, Zoho और Dream11 मार्केट लीडर बने।

Naukri.com's amazing start: When only 14,000 Indians were online
Sanjeev Bikchandani (Founder Of Naukri.com)
WhatsApp Group Join Now

Naukri.com की स्थापना 27 मार्च 1997 को हुई थी। यह भारत का पहला ऑनलाइन जॉब पोर्टल था जिसे संजीव बिकचंदानी ने शुरू किया। उस समय इंटरनेट भारत में नया था और केवल 14,000 लोग ही इसका उपयोग कर रहे थे। संजीव ने अपनी नौकरी छोड़कर और अपने घर के एक कमरे से Info Edge नामक कंपनी शुरू की। शुरुआती दिनों में, टीम रोजाना 29 अखबारों और कुछ मैगजीन से जॉब विज्ञापन इकट्ठा करती और इन्हें वेबसाइट पर डालती थी।

वेबसाइट बनाने के लिए संजीव ने अपने दो दोस्तों को शामिल किया, जिन्होंने एक साधारण वेबसाइट बनाई। वेबसाइट को रोजाना अपडेट रखने के लिए डेटा एंट्री ऑपरेटर्स की मदद ली गई। होस्टिंग के लिए अमेरिका से सर्वर किराए पर लिया गया, जिसकी लागत $25 प्रति माह थी। संजीव के बड़े भाई, जो UCLA में प्रोफेसर थे, ने सर्वर किराए पर लेने में आर्थिक मदद की।

वित्तीय चुनौतियां और समाधान

शुरुआती दौर में, Naukri.com के पास बहुत कम राजस्व था और अधिकांश जॉब पोस्टिंग्स मुफ्त में थीं। पहले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने ₹2.35 लाख का राजस्व अर्जित किया। दूसरे वर्ष में यह बढ़कर ₹18 लाख हो गया। संजीव ने कंपनियों से जॉब पोस्टिंग्स के लिए शुल्क लेना शुरू किया, जो उस समय ₹350 प्रति पोस्टिंग और ₹6000 प्रति वर्ष असीमित पोस्टिंग्स के लिए था।

इंटरनेट एक नया और रोमांचक माध्यम था और मीडिया ने Naukri.com को व्यापक कवरेज दी। इसके कारण उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़ने लगी। 1999-2000 में कंपनी ने ₹36 लाख का राजस्व अर्जित किया और ₹1.80 लाख का लाभ हुआ। यह इंटरनेट आधारित स्टार्टअप्स में से एक था जिसने लाभ कमाना शुरू किया।

संजीव की कहानी से यह सीख मिलती है कि कठिनाइयों और सीमित संसाधनों के बावजूद, दृढ़ संकल्प और नवाचार से सफलता हासिल की जा सकती है। Naukri.com की यात्रा भारतीय उद्यमियों के लिए प्रेरणा स्रोत है।

यह भी पढ़े: दिल्ली में लॉन्च हुआ NATS 2.0 पोर्टल: युवाओं के लिए नए अवसर

Shubham
शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here