RBI MPC Live Updates: रेपो रेट 6.5% पर अपरिवर्तित, नीति रुख ‘न्यूट्रल’ में बदलाव

RBI MPC Live Updates: Repo rate unchanged at 6.5%, policy stance changed to 'neutral'
RBI MPC Live Updates: Repo rate unchanged at 6.5%, policy stance changed to 'neutral'
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9 अक्टूबर, 2024 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने लगातार दसवीं बार रेपो दर को 6.5% पर बनाए रखा। हालाँकि, इस बार समिति ने अपनी नीति रुख में बदलाव करते हुए इसे ‘न्यूट्रल’ कर दिया है, जिससे भविष्य में ब्याज दरों में कटौती की संभावना बनी हुई है। यह निर्णय तीन दिन तक चली MPC की बैठक के बाद लिया गया, जिसमें RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने समिति के फैसलों की घोषणा की।

रेपो रेट 6.5% पर स्थिर, लेकिन नीति रुख में बदलाव

RBI के इस निर्णय से यह स्पष्ट है कि केंद्रीय बैंक मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, रेपो दर को अपरिवर्तित रखने का कारण है कि वर्तमान में मुद्रास्फीति का स्तर नियंत्रण में है, लेकिन खाद्य और ऊर्जा कीमतों में अस्थिरता बनी हुई है। इसके अलावा, वैश्विक बाजारों में बढ़ती अनिश्चितताओं और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद भारत पर भी ऐसा करने का दबाव बन सकता है।

‘न्यूट्रल’ नीति रुख का अर्थ

‘न्यूट्रल’ रुख का मतलब है कि RBI अब ब्याज दरों को बढ़ाने या घटाने की लचीलापन रखता है, जो भविष्य की मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास की दिशा पर निर्भर करेगा। इससे पहले, RBI का रुख ‘विथड्रॉअल ऑफ एकॉमोडेशन’ था, जिसका उद्देश्य आर्थिक प्रोत्साहनों को सीमित करना था। इस बदलाव के बाद अब बैंक भविष्य की नीतियों में अधिक संतुलित दृष्टिकोण अपना सकता है।

MPC के नए सदस्य

इस बैठक की एक अन्य महत्वपूर्ण बात यह रही कि सरकार द्वारा नियुक्त तीन नए बाहरी सदस्यों ने पहली बार इस बैठक में हिस्सा लिया। इनमें सौंघटा भट्टाचार्य, डॉ. नागेश कुमार और प्रोफेसर राम सिंह शामिल हैं, जिन्होंने समिति के अन्य सदस्यों के साथ मिलकर यह निर्णय लिया।

विश्लेषकों का मानना है कि RBI दिसंबर 2024 में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है, विशेष रूप से अगर मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहती है और वैश्विक आर्थिक परिस्थितियाँ स्थिर रहती हैं। हालाँकि, यह स्थिति काफी हद तक कृषि उत्पादन और ईंधन की कीमतों पर निर्भर करेगी।

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

RBI के गवर्नर ने इस बैठक में कहा कि वर्तमान में ईंधन के घटक में गिरावट हो रही है और यह CPI पर असर डाल रहा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोविड-19 के बाद अच्छे से उबर रही है, जिससे मुद्रास्फीति पर ध्यान केंद्रित करने की गुंजाइश बनी हुई है। MPC ने इस पर ध्यान रखने का फैसला किया है कि आने वाले महीनों में विकास दर और मुद्रास्फीति का परिदृश्य कैसे विकसित होता है।

RBI का यह निर्णय आने वाले महीनों में भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, विशेष रूप से जब वैश्विक वित्तीय बाजार अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं। ‘न्यूट्रल’ रुख RBI को नीतिगत लचीलापन प्रदान करता है, जिससे बैंक मुद्रास्फीति और विकास दोनों को ध्यान में रखते हुए अपनी आगामी नीतियाँ तय कर सकता है।

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Team K.H.
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