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भारतीय शेयर बाजार के उत्थान में मनमोहन सिंह का योगदान

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1991 का दौर भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संकट का समय था। विदेशी मुद्रा भंडार समाप्त होने की कगार पर था, और देश गंभीर आर्थिक मंदी से जूझ रहा था। ऐसे कठिन समय में, तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने ऐसे ऐतिहासिक सुधार पेश किए, जिनसे न केवल देश की अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित किया गया, बल्कि भारतीय शेयर बाजार को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया गया।

मनमोहन सिंह: भारत की आर्थिक क्रांति के सूत्रधार

डॉ. मनमोहन सिंह, जिन्हें भारत के आर्थिक उदारीकरण का वास्तुकार कहा जाता है, ने 1991 में पहली बार संसद में बजट पेश करते हुए कहा था:
“दुनिया की कोई ताकत उस विचार को रोक नहीं सकती, जिसका समय आ चुका है। भारत को एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने से कोई नहीं रोक सकता।”

यह वक्तव्य उस नई सोच को दर्शाता था, जिसने भारतीय अर्थव्यवस्था और शेयर बाजार को मजबूत नींव दी।

सुधार जिन्होंने बदला भारत का भविष्य

मनमोहन सिंह द्वारा किए गए प्रमुख सुधारों में शामिल थे:

  1. लाइसेंस राज की समाप्ति: आर्थिक गतिविधियों पर लगे अनावश्यक प्रतिबंधों को हटाकर निजी क्षेत्र को बढ़ावा दिया गया।
  2. विदेशी निवेश को प्रोत्साहन: विदेशी संस्थागत निवेश (FII) और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को बढ़ावा देकर भारत को वैश्विक निवेश का केंद्र बनाया।
  3. आयात शुल्क में कटौती: आयात को सुलभ बनाकर प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया।
  4. सेबी का सशक्तिकरण: 1992 में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) को मजबूती देकर बाजार में पारदर्शिता सुनिश्चित की।

इन सुधारों के कारण निवेशकों का भरोसा बढ़ा और भारतीय शेयर बाजार ने तेज़ी से प्रगति की।

शेयर बाजार में अप्रत्याशित वृद्धि

1991 में सेंसेक्स लगभग 1,000 अंकों पर था। आज यह 78,000 के पार पहुंच चुका है।
डॉ. वी.के. विजयकुमार, मुख्य निवेश रणनीतिकार, Geojit Financial Services, कहते हैं:
“1991 के बाद से शेयर बाजार में 780 गुना की वृद्धि ने निवेशकों को बेहतरीन रिटर्न दिया है। यह मनमोहन सिंह के सुधारों का परिणाम है।”

प्रधानमंत्री के रूप में योगदान

2004 से 2014 के बीच प्रधानमंत्री रहते हुए, मनमोहन सिंह ने बुनियादी ढांचे के विकास और स्थिर नीतियों पर जोर दिया।

  1. औसत जीडीपी वृद्धि: उनके कार्यकाल में भारत की जीडीपी औसतन 6.9% रही।
  2. विनिर्माण और आईटी में वृद्धि: आईटी, बैंकिंग, और मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में तेज़ी से विकास हुआ।
  3. वैश्विक निवेश में बढ़ोतरी: विदेशी निवेशकों ने भारत को आकर्षक निवेश गंतव्य माना।

आर्थिक उदारीकरण का स्थायी प्रभाव

आज भारत, विश्व में पांचवें स्थान पर है और एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभर चुका है।
त्रिवेश, COO, Tradejini, का कहना है:
“मनमोहन सिंह की नीतियों ने भारत को वैश्विक निवेश का केंद्र बनाया। FDI और FII से अर्थव्यवस्था में स्थायित्व आया और शेयर बाजार में विश्वास बढ़ा।”

शेयर बाजार और अर्थव्यवस्था के लिए सीख

मनमोहन सिंह का जीवन और उनकी नीतियां यह सिखाती हैं कि दूरदर्शिता और साहसिक निर्णय, किसी भी संकट से उबरने का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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