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अलोक इंडस्ट्रीज के शेयरों में 18% की उछाल! जानिए Q4 के नतीजों ने कैसे बदली तस्वीर

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Key Highlights:

  • अलोक इंडस्ट्रीज के शेयरों में Q4 नतीजों के बाद 18% की जबरदस्त उछाल
  • अप्रैल में अब तक 25% की तेजी, 7 महीने की गिरावट पर लगा ब्रेक
  • कंपनी का घाटा कम हुआ, और राजस्व में 10% की बढ़ोतरी
  • प्रबंधन में बड़े बदलाव – CFO और कंपनी सेक्रेटरी ने दिया इस्तीफा
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज की है 40% से अधिक हिस्सेदारी

मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज द्वारा समर्थित अलोक इंडस्ट्रीज के शेयरों में मंगलवार, 22 अप्रैल को बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) पर सुबह के कारोबार में लगभग 18% की बड़ी तेजी देखने को मिली। यह उछाल तब आया जब कंपनी ने मार्च तिमाही (Q4FY25) के नतीजे जारी किए और इसमें घाटे में भारी गिरावट दर्ज की गई।

शेयर की चाल और आंकड़े:

अलोक इंडस्ट्रीज का शेयर ₹17.36 पर खुला, जो पिछले बंद ₹16.47 से कहीं ज्यादा था। दिन के दौरान यह शेयर ₹19.50 के उच्चतम स्तर तक पहुंचा, यानी लगभग 18.4% की तेजी के साथ। 10:10 बजे सुबह तक शेयर ₹19.41 पर ट्रेड कर रहा था।

अप्रैल महीने में अब तक शेयर 25% तक उछल चुका है, जिससे कंपनी के सात महीने की गिरावट के सिलसिले पर विराम लग गया है।

पहले की हालत कैसी थी?

7 अप्रैल, 2025 को यह शेयर 52-हफ्ते के निचले स्तर ₹13.90 तक गिर चुका था। वहीं, 52-हफ्ते का उच्चतम स्तर ₹29.97 था जो पिछले साल जून में दर्ज किया गया था। 21 अप्रैल के बंद भाव के अनुसार, यह शेयर अपने एक साल के उच्चतम स्तर से 45% नीचे था।

क्यों आया इतना उछाल?

इस तेजी के पीछे कई अहम वजहें हैं:

कंपनी का घाटा घटा:

Q4FY25 में कंपनी को ₹74.47 करोड़ का घाटा हुआ, जबकि Q3 में यह घाटा ₹272.99 करोड़ और पिछले साल इसी तिमाही में ₹215.93 करोड़ था। यह अंतर निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत रहा और इससे भरोसा जगा।

राजस्व में बढ़ोतरी:

कंपनी का रेवेन्यू ₹952.96 करोड़ रहा, जो कि पिछली तिमाही ₹863.86 करोड़ से 10.3% अधिक था। हालांकि सालाना आधार पर यह 35% नीचे रहा, लेकिन तिमाही आधार पर सुधार ने बाजार को राहत दी।

प्रबंधन में बदलाव:

  • कंपनी के CFO अनिल कुमार मुंगड ने इस्तीफा दे दिया है और अब वह हेड – कमर्शियल की भूमिका में रहेंगे।
  • जिनेन्द्र जैन को नया CFO नियुक्त किया गया है।
  • हितेश कानानी, जो कि कंपनी सेक्रेटरी थे, उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया है। उनकी जगह अंशुल कुमार जैन को 5 मई से नियुक्त किया जाएगा।

शेयरहोल्डिंग का लेखा-जोखा:

  • रिलायंस इंडस्ट्रीज की हिस्सेदारी: 40.01% (1,98,65,33,333 शेयर)
  • JM Financial ARC की हिस्सेदारी: 34.99%
  • FPI (Foreign Portfolio Investors): 2.40% हिस्सेदारी

यह दर्शाता है कि कंपनी का प्रमोटर समूह मजबूत है, जिससे दीर्घकालिक निवेशकों को भरोसा मिलता है।

क्या कहता है बाजार का अनुभव?

जब एक गिरता हुआ शेयर तिमाही नतीजों के बाद जोर पकड़ता है, तो यह निवेशकों को एक संकेत देता है कि कंपनी में अंदरूनी सुधार हो रहे हैं। मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस जैसी बड़ी कंपनी की भागीदारी अपने आप में एक भरोसे का प्रतीक है।

यदि कंपनी अपने घाटे को और कम करने में सफल होती है और ऑपरेशनल एफिशिएंसी पर काम करती है, तो आने वाले महीनों में यह शेयर निवेशकों के पोर्टफोलियो के लिए एक अच्छा विकल्प बन सकता है।

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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