1 अक्टूबर, 2024 को ईरान ने लगभग 180 बैलिस्टिक मिसाइलों का एक भीषण हमला इजराइल पर किया, जिसमें इजराइली एयरबेस और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया। ईरान ने यह हमला लेबनान में अपने एक प्रमुख नेता की हत्या का बदला लेने के रूप में किया। इजराइली डिफेंस सिस्टम ने अधिकांश मिसाइलों को मार गिराने का दावा किया, लेकिन कुछ मिसाइलें रिहायशी और वाणिज्यिक इलाकों में गिरीं जिससे मामूली क्षति हुई। एक मिसाइल मूसाद के मुख्यालय के पास भी गिरी, लेकिन प्रमुख हताहतों से इजराइल ने खुद को बचा लिया।
ईरान के इस हमले के जवाब में इजराइल ने 26 अक्टूबर को एक बड़ा हवाई हमला किया, जिसमें इजराइल ने ईरान के हवाई रक्षा ठिकानों, मिसाइल बेस, और कई पेट्रोकेमिकल रिफाइनरी को निशाना बनाया। इन हमलों में ईरान की प्रमुख सैन्य और आर्थिक संपत्तियों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिससे यह संकेत मिला कि इजराइल अपनी रणनीति में सूक्ष्मता और सावधानी बरत रहा था ताकि अधिकाधिक लक्ष्यों को सटीकता से निशाना बनाया जा सके।
ईरान के मिसाइल हमले का असर
ईरान का हमला काफी बड़े स्तर पर किया गया था, जिसमें मुख्य रूप से “फतह-1” और “खैबर शिकन” जैसे मध्यम दूरी के मिसाइलें शामिल थीं। इस हमले का उद्देश्य इजराइल के एयरबेस और मूसाद के मुख्यालय पर हमला करना था, लेकिन इनमें से अधिकांश मिसाइलें इजराइल के “आयरन डोम” और अन्य रक्षा प्रणालियों द्वारा रोक ली गईं। ईरानी मीडिया ने शुरू में इस हमले की सफलता का दावा किया, लेकिन ईरानी सरकार ने बाद में इसे अपेक्षाकृत कम प्रभावशाली माना।
इजराइल का जवाबी हवाई हमला
ईरान के हमले के तीन हफ्ते बाद, इजराइल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए ईरान के सैन्य और रणनीतिक ठिकानों पर निशाना साधा। इन हमलों में इजराइली एयरफोर्स ने करीब 100 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल किया, जिनमें महिला पायलट भी शामिल थीं। इन हमलों के तहत करीब 12 ईरानी ठिकानों पर बम और मिसाइलों के जरिए हमला किया गया। इनमें प्रमुख मिसाइल बेस, हवाई ठिकाने और पेट्रोकेमिकल संयंत्र शामिल थे। इन ठिकानों की सेटेलाइट तस्वीरें यह संकेत देती हैं कि इजराइल ने सटीकता से हमले करते हुए उच्च मूल्य के लक्ष्यों को प्रभावित किए बिना संदेश देने की कोशिश की।
विश्लेषणों से यह भी पता चलता है कि इजराइल ने अपने हमले के दौरान ऐसे ठिकानों को निशाना बनाया जो कि सीधे युद्ध के प्रयासों में शामिल थे, न कि उन ठिकानों को, जिनका प्रभाव अधिक रणनीतिक हो सकता था। यह रणनीति संभवतः यह संकेत देती है कि इजराइल ने जानबूझकर ऐसे लक्ष्यों को बचाया जिनसे ईरान की शक्ति में भारी गिरावट आ सकती थी। इससे इजराइल के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व की यह सोच भी सामने आती है कि अगर स्थिति और बिगड़ती है तो उनके पास आगे भी मारक क्षमता बरकरार है।
आगे की संभावना
ईरानी नेताओं ने इजराइल के इस हमले का जवाब देने का अधिकार जताया है, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि ईरान सीधे तौर पर एक और मिसाइल हमला करेगा या नहीं। ऐसा अनुमान है कि ईरान एक बार फिर से अपने समर्थकों, जैसे कि हमास और हिजबुल्ला, के जरिए इजराइल को जवाब देने की कोशिश कर सकता है ताकि दोनों देशों के बीच सीधे युद्ध से बचा जा सके। इस परिघटना में ईरान की जनता को संतुष्ट करने के लिए भी यह एक अच्छा कदम हो सकता है।
कई जानकारों का यह भी मानना है कि यदि ईरान फिर से इजराइल पर सीधे हमला करता है तो इससे उसकी कमजोरियों का पर्दाफाश हो सकता है, जिससे इजराइल को और अधिक सख्त प्रतिक्रिया देने का अवसर मिल सकता है।
इजराइल और ईरान के बीच चल रहे इस संघर्ष ने एक बड़े क्षेत्रीय संकट की संभावना को जन्म दिया है। सेटेलाइट छवियों और मीडिया रिपोर्टों के आधार पर यह अनुमान लगाना कठिन है कि यह टकराव कब और कैसे समाप्त होगा। लेकिन इजराइल के सटीक हमलों से यह संकेत मिलता है कि देश अभी अपनी सामरिक क्षमता का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही दिखा रहा है, जो भविष्य में बड़े हमलों का संकेत हो सकता है।
ईरान के लिए यह समय अत्यंत संवेदनशील है क्योंकि उसे अपने नागरिकों और समर्थकों को यह दिखाना है कि वह कमजोर नहीं है। इसलिए, अगली प्रतिक्रिया किस रूप में होती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा।