व्हाइट हाउस ने रविवार को घोषणा की कि कोलंबिया ने अमेरिकी सैन्य विमानों द्वारा भेजे गए अपने नागरिकों को वापस लेने पर सहमति जताई है। यह कदम तब आया जब डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया को बड़ी आर्थिक प्रतिबंधों की धमकी दी।
व्हाइट हाउस के एक बयान में कहा गया, “कोलंबिया ने यह सहमति दी है कि वह अमेरिका से निर्वासित किए गए अपने सभी अवैध प्रवासियों को बिना किसी शर्त, देरी या सीमा के स्वीकार करेगा। इसमें अमेरिकी सैन्य विमानों से भेजे गए लोग भी शामिल हैं।”
बयान में आगे कहा गया, “आज की घटनाएं दुनिया को यह दिखाती हैं कि अमेरिका का सम्मान फिर से बढ़ा है। राष्ट्रपति ट्रंप हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करने के लिए दृढ़ हैं और उम्मीद करते हैं कि अन्य देश भी अपने नागरिकों को जिम्मेदारी से वापस लेने में पूरा सहयोग करेंगे।”
कोलंबियाई राष्ट्रपति की चुनौती और प्रतिक्रिया
कोलंबियाई राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो, जो वामपंथी विचारधारा के नेता हैं, ने पहले अमेरिकी सैन्य विमानों से अपने नागरिकों को वापस लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने जोर देकर कहा था कि वह प्रवासियों को “गरिमा के साथ” स्वीकार करेंगे, जिसमें उन्हें केवल नागरिक विमानों के जरिए वापस लाना शामिल होगा।
पेट्रो का यह रुख ट्रंप प्रशासन को नाराज कर चुका था। हालांकि, हालिया घटनाओं के बाद पेट्रो ने ट्रंप प्रशासन की धमकियों का सामना करने के बजाय रुख नरम किया और अमेरिकी शर्तों को स्वीकार किया।
व्हाइट हाउस का सख्त रुख
व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि अगर कोलंबिया ने सहयोग नहीं किया होता, तो अमेरिका कोलंबिया की अर्थव्यवस्था पर कड़े टैरिफ और प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर हो जाता।
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप ने यह साफ कर दिया है कि अमेरिका अवैध प्रवासियों को उनके देशों में वापस भेजने के लिए हर कदम उठाएगा, चाहे इसके लिए सख्त आर्थिक कदम क्यों न उठाने पड़ें।”
कोलंबिया और अमेरिका के बीच संबंधों पर प्रभाव
यह घटना अमेरिका और कोलंबिया के बीच तनावपूर्ण संबंधों को दर्शाती है। हालांकि, कोलंबिया का कदम दोनों देशों के बीच आर्थिक और राजनीतिक सहयोग को बनाए रखने के लिए उठाया गया प्रतीत होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन के आक्रामक रुख ने कोलंबिया को यह समझने पर मजबूर किया कि अमेरिका के साथ विवाद के कारण उसे बड़ी आर्थिक हानि हो सकती है।
अमेरिका का संदेश: राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने बयान में दोहराया कि उनकी प्राथमिकता अमेरिका की सुरक्षा और संप्रभुता है। उन्होंने कहा, “हर देश की यह जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों को वापस ले और हमारी सरकार इस मुद्दे पर कोई समझौता नहीं करेगी।”
यह निर्णय ट्रंप प्रशासन की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत लिया गया एक और सख्त कदम है, जो वैश्विक मंच पर अमेरिकी हितों को प्राथमिकता देने पर केंद्रित है।
आर्थिक प्रतिबंधों की धमकी ने कैसे बदला मामला?
व्हाइट हाउस के अनुसार, यदि कोलंबिया ने अमेरिकी शर्तें नहीं मानी होती, तो ट्रंप प्रशासन ने आयात पर भारी टैरिफ और अन्य आर्थिक प्रतिबंध लागू करने की योजना बनाई थी।
कोलंबिया, जो लैटिन अमेरिका की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, अमेरिकी बाजारों पर काफी निर्भर है। ऐसे में आर्थिक प्रतिबंध कोलंबिया के लिए गंभीर वित्तीय संकट पैदा कर सकते थे।