भारतीय उद्योग जगत के महानायक और टाटा समूह के अध्यक्ष एमेरिटस, रतन टाटा का बुधवार, 9 अक्टूबर 2024 को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर ने देश और दुनिया में उनके चाहने वालों और उद्योग जगत में शोक की लहर पैदा कर दी।
टाटा समूह के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने एक बयान में कहा, “यह एक गहरी व्यक्तिगत क्षति है। रतन टाटा न केवल टाटा समूह के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणादायक और असाधारण नेता थे। उन्होंने जिस समर्पण, ईमानदारी और नवाचार के साथ समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, वह अद्वितीय था।”
स्वास्थ्य और अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति
रतन टाटा पिछले कुछ दिनों से ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती थे, जहां वे उम्र से जुड़ी समस्याओं के चलते गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) में इलाज करा रहे थे। हालांकि, कुछ दिन पहले ही उन्होंने जनता को आश्वासन दिया था कि उनकी अस्पताल में भर्ती केवल नियमित चिकित्सा जांच का हिस्सा थी, और चिंता की कोई बात नहीं थी। लेकिन उनकी हालत बुधवार को बिगड़ गई और उन्हें आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसके बाद उनका निधन हो गया।
रतन टाटा का जीवन और योगदान
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वे भारतीय उद्योगपति और परोपकारी थे, जिन्होंने अपने नेतृत्व में टाटा समूह को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया। वे 1991 से 2012 तक टाटा समूह के अध्यक्ष रहे और समूह को नई ऊंचाइयों पर ले गए। उनके कार्यकाल में टाटा समूह ने कोरस (यूके), जगुआर लैंड रोवर (यूके), और टेटली (यूके) जैसे प्रमुख अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण किए, जो उनके वैश्विक दृष्टिकोण और नेतृत्व की कुशलता का प्रमाण है।
रतन टाटा का नेतृत्व टाटा समूह के लिए एक ‘ट्रांसफॉर्मेशनल’ अवधि थी, जिसमें उन्होंने समूह को वैश्विक पहचान दिलाई और इसे बहुराष्ट्रीय कंपनियों में तब्दील किया। उनके नेतृत्व में टाटा समूह का टर्नओवर करोड़ों डॉलर तक पहुंचा और कंपनी को एक नई पहचान मिली।
समाज के प्रति योगदान
रतन टाटा केवल एक सफल उद्योगपति ही नहीं थे, बल्कि एक महान परोपकारी भी थे। उन्होंने समाज सेवा और शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी देखरेख में टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से कई सामाजिक कार्यक्रम चलाए गए, जिनका उद्देश्य शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, ग्रामीण विकास, और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सुधार करना था।
रतन टाटा ने हमेशा मानवता की सेवा को प्राथमिकता दी और अपने साम्राज्य से अर्जित लाभ का एक बड़ा हिस्सा समाज कल्याण कार्यों में दान किया। वे भारत के शीर्ष परोपकारियों में से एक माने जाते थे, जिनकी दानशीलता ने लाखों लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया।
व्यक्तित्व और प्रतिष्ठा
रतन टाटा अपने शांत और विनम्र व्यक्तित्व के लिए मशहूर थे। अपने जीवन में उन्होंने सरलता और सादगी को अपनाया और खुद को सार्वजनिक जीवन से दूर रखा। उनके नेतृत्व और प्रबंधन शैली ने उन्हें उद्योग जगत में एक आदर्श के रूप में स्थापित किया। टाटा का मानना था कि कारोबार केवल लाभ कमाने के लिए नहीं होता, बल्कि यह समाज को बेहतर बनाने का साधन भी होना चाहिए। उनके इन्हीं विचारों ने उन्हें अन्य उद्योगपतियों से अलग खड़ा किया।
उनके निधन पर शोक संवेदनाएँ
रतन टाटा के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर उद्योग जगत के प्रमुख हस्तियों ने अपनी संवेदनाएँ व्यक्त कीं। प्रधानमंत्री ने कहा, “रतन टाटा एक विजनरी लीडर थे, जिन्होंने भारतीय उद्योग को नई दिशा दी। उनकी दूरदृष्टि और उनके विचारशील नेतृत्व ने टाटा समूह को विश्व स्तर पर स्थापित किया।” उद्योगपति आनंद महिंद्रा और मुकेश अंबानी सहित कई अन्य प्रमुख हस्तियों ने भी उनकी मृत्यु पर शोक व्यक्त किया और उनके योगदान की सराहना की।
विरासत
रतन टाटा की विरासत भारतीय उद्योग जगत में हमेशा जीवित रहेगी। उन्होंने न केवल एक वैश्विक ब्रांड के निर्माण में योगदान दिया, बल्कि अपनी परोपकारिता और समाज सेवा के माध्यम से दुनिया को बेहतर बनाने का प्रयास भी किया। उनके नेतृत्व में, टाटा समूह ने न केवल आर्थिक सफलता हासिल की, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी और नैतिकता को भी प्राथमिकता दी।
रतन टाटा का निधन भारतीय उद्योग जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनके विचार और कार्य भारतीय व्यवसायों को प्रेरित करते रहेंगे, और उनकी विरासत हमेशा याद की जाएगी।