Supreme Court: दिल्ली सरकार ने आवारा कुत्तों को लेकर Supreme Court में बताया कि कुत्तों के काटने से हर साल देश में 18 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो जा रही है।Supreme Court ने जब से आवारा कुत्तों को शेल्टर हाउस में डालने की घोषणा की है तब से लोगों का प्रदर्शन दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। वहीं दूसरी तरफ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का बयान सामने आ रहा है। जिसमें उन्होंने यह कहा है कि, कुछ लोग तो ऐसे हैं जो मीट मुर्गा खाकर खुद को एनिमल लवर बता रहे हैं।
जानकारी के लिए बता दें कि, 11 अगस्त को जस्टिस जेबी पारडीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने नगर निगम के अधिकारियों निर्देश दिया था कि दिल्ली एनसीआर के सभी आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेज दिया जाए। लेकिन इसके बाद लोगों लोगों का प्रदर्शन बेकाबू हो गया। वहीं इस फैसले से एनिमल एक्टिविस्ट नाराज हो गए है। इस आदेश का जमकर विरोध कर रहे है।
एसजी तुषार मेहता ने क्या कहा ?
जस्टिस विक्रम नाथ की अध्यक्षता में जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस एन. वी. अंजारिया ने सुनवाई की। बेंच के सामने दिल्ली सरकार का पक्ष रखते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि, ‘मुखर अल्पसंख्यक और शांत बहुसंख्यक हर जगह हैं। मेजोरिटी शांति से सहता रहता है, यहां लोग चिकन, मीट, अंडे खाकर खुद को एनिमल लवर बता रहे हैं।’

Supreme Court के चौंकाने वाले मामले
अपनी बात को आगे रखते हुए एसजी तुषार मेहता ने कहा कि, बच्चों की मौत की ऐसी वीडियो हैं। जिसे देखकर आंखें भी चौंधियां जाती है। अपनी बात में उन्होंने कुछ आंकड़े भी रखा जिसमें दिखाया गया कि हर साल 37 लाख और 10000 रोजाना डॉग बाइट के मामले सामने आते हैं जो की एक चिंता का विषय है।
उन्होंने वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन का हवाला देते हुए कहा कि, हर साल 305 मौत रेबीज से होती है यानी कि कुत्ते काटने की वजह से होती है। उन्होंने अपनी बात को साफ रखते हुए कहा कि यहां पर कुत्तों को मारने की कोई बात नहीं कही जा रही है, उन्हें आबादी से दूर करने की बात कही जा रही है।
कपिल सिब्बल ने क्या कहा ?
एसजी मेहता की दलील पर एक याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने अपनी बात को सबके सामने रखा और कहा कि, पहली बार किसी सॉलिसिटर से सुना है कि जिसकी अवहेलना कर दी जाए, जिसपर एसजी मेहता ने कहा कि, ‘मैंने ऐसा नहीं कहा, कपिल सिब्बल ने Supreme Court में अपनी बात को आगे रखते हुए कहा कि जो कानून है, उसका नगर निगम ने पालन नहीं किया। कुत्तों की आबादी बढ़ी। अब कुछ लोग उन्हें खाना देते हैं तो आपत्ति की जा रही है।
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