Trump-Putin Alaska Summit: अलास्का के ठंडे मौसम में शुक्रवार को एक गर्मजोशी भरी राजनीतिक हलचल देखने को मिली, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आमने-सामने बैठे। दोनों नेताओं की यह मुलाकात कई मायनों में ऐतिहासिक मानी जा रही है, खासकर इसलिए क्योंकि दुनिया की नज़रें रूस-यूक्रेन युद्ध पर टिकी हुई हैं।
ट्रंप ने बैठक से पहले और बाद में संकेत दिए कि उनका मुख्य उद्देश्य स्पष्ट है, किसी भी तरह युद्धविराम हासिल करना। बातचीत के दौरान उन्होंने साफ कहा, “अगर मैं यहां से बिना किसी रूप में युद्धविराम लिए वापस लौटा, तो मैं खुश नहीं रहूंगा।”
दूसरी बैठक की संभावना
जानकारी के मुताबिक, ट्रंप ने एक दूसरी बैठक की संभावना भी जताई है, जो रूस-यूक्रेन युद्ध पर केंद्रित होगी। उनका मानना है कि कई विशेषज्ञ कह रहे हैं कि युद्धविराम तुरंत नहीं मिल पाएगा और इसके लिए आगे और बातचीत की जरूरत होगी। लेकिन ट्रंप का रुख साफ है, वह पहली मुलाकात में ही कोई ठोस परिणाम देखना चाहते हैं।
बैठक का माहौल
अलास्का में हुई इस बैठक के दौरान न तो कोई औपचारिक बयान दिया गया और न ही पत्रकारों के सवाल लिए गए। दोनों नेता बस कैमरों के सामने कुछ देर बैठे और फिर वार्ता के लिए बंद कमरे में चले गए। सूत्रों के मुताबिक, चर्चा का मुख्य फोकस रूस-यूक्रेन संघर्ष, वैश्विक सुरक्षा, और आर्थिक सहयोग पर था।
मानवीय दृष्टिकोण से महत्व
दुनिया के लाखों लोग इस युद्ध से प्रभावित हो चुके हैं। हजारों परिवार बेघर हो गए हैं, अर्थव्यवस्थाएं डगमगा रही हैं, और मानवाधिकार संकट गहराता जा रहा है। ऐसे में ट्रंप का युद्धविराम पर ज़ोर देना न केवल राजनीतिक दृष्टि से बल्कि मानवीय नजरिए से भी अहम है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि भले ही पहली बैठक से बड़ा नतीजा निकलना मुश्किल हो, लेकिन अगर ट्रंप और पुतिन के बीच भरोसे की नींव मजबूत होती है, तो आने वाले महीनों में शांति की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकते हैं।
ट्रंप के शब्दों में “हम देखेंगे क्या होता है, लेकिन मैं बिना युद्धविराम के नहीं जाना चाहता।” यह बयान आने वाले समय में अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के एजेंडे को प्रभावित कर सकता है।







