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बांग्लादेश में प्रेस की आज़ादी पर संकट: विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर चिंताएं बढ़ीं

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मुख्य बिंदु:

  • बांग्लादेश में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मीडिया स्वतंत्रता पर गंभीर चिंताएं।
  • पिछले वर्ष की राजनीतिक उथल-पुथल के बाद, कई मीडिया संस्थानों में नेतृत्व परिवर्तन।
  • पत्रकारों के खिलाफ हत्या के आरोप, बैंक खातों की जांच और प्रेस कार्ड रद्द किए गए।
  • डिजिटल सुरक्षा अधिनियम और साइबर सुरक्षा अधिनियम के तहत पत्रकारों पर कानूनी कार्रवाई।
  • अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा प्रेस स्वतंत्रता पर खतरे की निंदा।

बांग्लादेश में प्रेस की आज़ादी: एक संकटपूर्ण स्थिति

3 मई को जब दुनिया भर में विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा था, बांग्लादेश में यह दिन पत्रकारों के लिए चिंताओं और चुनौतियों का प्रतीक बन गया। पिछले वर्ष की राजनीतिक घटनाओं के बाद, देश में मीडिया स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

2024 में हुए राजनीतिक परिवर्तन के बाद, बांग्लादेश में मीडिया संस्थानों में बड़े पैमाने पर नेतृत्व परिवर्तन देखा गया। कम से कम 29 समाचार पत्रों और टेलीविजन चैनलों के संपादकों को हटाया गया या उन्होंने इस्तीफा दिया। कई पत्रकारों के खिलाफ हत्या के आरोप लगाए गए, उनके बैंक खातों की जांच की गई, और 167 पत्रकारों के प्रेस कार्ड रद्द कर दिए गए। इन घटनाओं ने मीडिया की स्वतंत्रता और पत्रकारों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

कानूनी चुनौतियाँ और सेंसरशिप

डिजिटल सुरक्षा अधिनियम और साइबर सुरक्षा अधिनियम जैसे कानूनों का उपयोग पत्रकारों के खिलाफ किया जा रहा है। इन कानूनों के तहत, पत्रकारों को “झूठी जानकारी” फैलाने या “राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाने” के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। इससे मीडिया में आत्म-सेंसरशिप की प्रवृत्ति बढ़ी है, और पत्रकार स्वतंत्र रूप से रिपोर्टिंग करने से डरने लगे हैं।

अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने बांग्लादेश में प्रेस स्वतंत्रता पर हो रहे हमलों की निंदा की है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स, और ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल बांग्लादेश जैसे संगठनों ने पत्रकारों के खिलाफ हो रही कार्रवाई को “मीडिया की स्वतंत्रता पर सीधा हमला” बताया है।

बांग्लादेश में प्रेस की आज़ादी गंभीर संकट में है। राजनीतिक हस्तक्षेप, कानूनी चुनौतियाँ, और पत्रकारों पर हो रहे हमले मीडिया की स्वतंत्रता को खतरे में डाल रहे हैं। विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर, यह आवश्यक है कि सरकार और समाज मिलकर पत्रकारों की सुरक्षा और मीडिया की स्वतंत्रता सुनिश्चित करें।

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Shubham

शुभम झोपे एक प्रतिष्ठित लेखक हैं जो "ख़बर हरतरफ़" के लिए नियमित रूप से लेख लिखते हैं। उनकी लेखनी में समकालीन मुद्दों पर गहन विश्लेषण और सूक्ष्म दृष्टिकोण देखने को मिलता है। शुभम की लेखन शैली सहज और आकर्षक है, जो पाठकों को उनके विचारों से जोड़ देती है। शेयर बाजार, उद्यमिता और व्यापार में और सांस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी विशेष रूप से सराही जाती है।

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