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24 घंटे में 2 हमले: इजरायल-ईरान युद्ध की ओर बढ़ रही दुनिया?

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Key Highlights:

  • इजरायल ने 24 घंटे में दो बार ईरान पर किया हमला, 200 से ज्यादा ठिकाने तबाह
  • ईरान ने पलटवार में तेल अवीव और यरुशलम पर दागीं सैकड़ों मिसाइलें
  • इस्फहान स्थित परमाणु केंद्र को भी बनाया गया निशाना
  • वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों की मौत से क्षेत्र में युद्ध का खतरा गहरा
  • अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल की कार्रवाई को बताया “excellent”

क्या इजरायल और ईरान अब युद्ध के मुहाने पर खड़े हैं?

बीती रात मेरी नींद एक झटके में टूट गई, जब वेस्ट एशिया के आसमान में फिर धमाके गूंजे। इस बार सिर्फ एक धमाका नहीं, बल्कि सैकड़ों मिसाइलें, एयर डिफेंस सिस्टम की आवाज़ें और सोशल मीडिया पर लाइव अपडेट्स… ऐसा लग रहा था मानो तीसरा विश्व युद्ध दरवाज़े पर खड़ा है।

शुक्रवार रात को क्या हुआ?

इजरायल ने शुक्रवार रात एक और बड़ा हमला किया। ईरान की राजधानी तेहरान, इस्फहान और फोर्डो के न्यूक्लियर साइट्स पर। इजरायली सेना का दावा है कि उन्होंने 200 से ज्यादा सैन्य और परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया, जिसमें इस्फहान का परमाणु रिएक्टर भी शामिल है।

ये हमला पहले से भी ज्यादा तीव्र और संगठित था। बताया गया कि इस ऑपरेशन में करीब 200 इजरायली विमान शामिल थे और यह 100 से अधिक टारगेट्स पर केंद्रित था।

ईरान ने कैसे जवाब दिया?

जवाब में ईरान ने तुरंत पलटवार किया। उसकी तरफ़ से सैकड़ों बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल के तेल अवीव और यरुशलम की ओर दागी गईं। रात के अंधेरे में सायरन गूंजे, लोग बंकरों की तरफ भागे और आसमान में धधकते मिसाइलों का दृश्य किसी हॉलीवुड फिल्म से कम नहीं था।

ईरान की सरकारी न्यूज़ एजेंसी IRNA ने बताया कि यह हमला पूरी तरह से सैन्य नहीं, बल्कि “एक संदेश” था।

कौन मारे गए?

इस हमले में सबसे बड़ी क्षति ईरान की टॉप मिलिट्री ब्रास को हुई।

  • जनरल हुसैन सलामी – रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख
  • जनरल मोहम्मद बाघेरी – ईरान के आर्म्ड फोर्सेस के चीफ ऑफ स्टाफ
  • साथ ही छह सीनियर न्यूक्लियर साइंटिस्ट भी मारे गए

यह हमले 1980 के दशक में ईरान-इराक युद्ध के बाद, ईरान पर सबसे बड़ा हमला माना जा रहा है।

खामेनेई ने क्या कहा?

ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने इजरायल पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा, “इजरायल ने हमारे प्यारे देश में खून-खराबा शुरू कर अपनी शैतानी फितरत फिर उजागर कर दी है। यह युद्ध की शुरुआत है।”

इजरायल का पक्ष क्या है?

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बयान दिया कि, “हमारी लड़ाई ईरानी जनता से नहीं, बल्कि उस क्रूर तानाशाही से है जो 46 साल से उन्हें दबा रही है।”

उन्होंने यह भी कहा कि यह कार्रवाई जरूरी थी और इससे ईरान की धार्मिक तानाशाही का अंत हो सकता है।

अमेरिका की भूमिका पर संदेह

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजरायल के हमले को “excellent” बताया। उन्होंने कहा, “उन्होंने ईरान को बहुत कड़ा सबक सिखाया है और आगे और भी बहुत कुछ बाकी है।”

हालांकि, जब उनसे अमेरिकी भागीदारी पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “मैं उस पर टिप्पणी नहीं करना चाहता।”

क्या अब युद्ध टल पाएगा?

अब सबसे बड़ा सवाल यही है। क्या ये टकराव यहीं थमेगा या मध्य-पूर्व एक और विनाशकारी युद्ध की चपेट में आ जाएगा?

संयुक्त राष्ट्र और अन्य वैश्विक संस्थाएं दोनों देशों से संयम बरतने की अपील कर रही हैं। लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि दोनों पक्षों में विश्वास की बेहद कमी है और हर हमले के साथ हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।

हम सभी को इन घटनाओं पर नजर रखनी चाहिए क्योंकि इस युद्ध की आग केवल वेस्ट एशिया तक सीमित नहीं रहेगी। यह दुनिया के कई देशों को प्रभावित कर सकती है। आशा है कि कोई मध्यस्थता इस भयावह स्थिति को रोक पाए, वरना परिणाम अकल्पनीय हो सकते हैं।

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Gunvant

गुणवंत एक अनुभवी पत्रकार और लेखक हैं, जो सटीक और रोचक खबरें प्रस्तुत करने में माहिर हैं। समसामयिक मुद्दों पर उनकी गहरी समझ और सरल लेखन शैली पाठकों को आकर्षित करती है। साथ ही वे क्रिकेट में अपनी रूचि रखते है। गुणवंत का लक्ष्य समाज को जागरूक और प्रेरित करना है। वे हमेशा निष्पक्षता और सच्चाई को प्राथमिकता देते हैं।

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