हाल ही में भारत और कनाडा के बीच संबंधों में एक बड़ा मोड़ आया है, जब भारत ने 6 कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और ओटावा में स्थित अपने उच्चायुक्त को वापस बुला लिया। यह कदम उस समय उठाया गया, जब कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त और अन्य कुछ भारतीय अधिकारियों को खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में ‘संदिग्ध व्यक्तियों’ के रूप में नामित किया।
इस राजनयिक विवाद की शुरुआत सितंबर 2023 में हुई जब कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के पीछे भारतीय एजेंटों का हाथ हो सकता है। निज्जर को कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य में जून 2023 में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मार दी गई थी। भारत ने इन आरोपों को “प्रेरित और बेतुका” बताते हुए खारिज कर दिया था। लेकिन हाल ही में कनाडा द्वारा भारतीय उच्चायुक्त और अन्य अधिकारियों को जांच में शामिल करने के प्रयासों ने मामले को और जटिल बना दिया।
भारत की प्रतिक्रिया:
भारत ने शुरुआत में कनाडा में अपने उच्चायुक्त संजय कुमार वर्मा और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को वापस बुलाने की घोषणा की। इसके बाद, भारत ने 6 कनाडाई राजनयिकों को भी निष्कासित कर दिया, जिनमें कनाडा के कार्यवाहक उच्चायुक्त स्टीवर्ट रॉस व्हीलर, उप उच्चायुक्त पैट्रिक हर्बर्ट, और फर्स्ट सेक्रेटरीज़ मैरी कैथरीन जोली, इयान रॉस डेविड ट्रिट्स, एडम जेम्स चुइप्का, और पाउला ओर्जुएला शामिल थे। इन्हें शनिवार, 19 अक्टूबर 2024 तक भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।
भारत-कनाडा के बीच बिगड़ते संबंध:
इस घटनाक्रम से पहले, कनाडा ने भारतीय उच्चायुक्त और अन्य अधिकारियों को हरदीप सिंह निज्जर की हत्या की जांच में ‘संदिग्ध व्यक्तियों’ के रूप में नामित किया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने कनाडाई सरकार के इस कदम को ‘आधारहीन’ बताया और कहा कि यह भारत के राजनयिकों की सुरक्षा को खतरे में डालता है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि इस तरह के आरोप पूरी तरह से अस्वीकार्य हैं और भारत आगे कोई भी कदम उठाने का अधिकार रखता है।
कनाडाई प्रधानमंत्री की प्रतिक्रिया:
इस बीच, कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारतीय सरकार पर आरोप लगाए कि भारत कनाडा में गुप्त ऑपरेशन चला रहा है और कनाडा के नागरिकों को धमकाने में शामिल है। उन्होंने रॉयल कनाडाई माउंटेड पुलिस (RCMP) की जांच का हवाला देते हुए कहा कि भारतीय एजेंटों द्वारा कनाडा के दक्षिण एशियाई समुदाय के सदस्यों, खासकर खालिस्तान समर्थक आंदोलन से जुड़े लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहा, जबकि कनाडा ने कई बार भारतीय अधिकारियों से संपर्क किया था।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया:
भारत ने कनाडा के इन आरोपों को ‘प्रस्तरबाधित और हास्यास्पद’ बताया और ट्रूडो पर ‘वोट बैंक की राजनीति’ करने का आरोप लगाया। भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि कनाडा ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद, निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता के कोई सबूत साझा नहीं किए हैं। भारत ने कनाडा को चरमपंथ और हिंसा को बढ़ावा देने का भी दोषी ठहराया और कहा कि ये घटनाएं कनाडा की जमीन पर भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने में उसकी विफलता को दर्शाती हैं।
राजनयिक संकट का प्रभाव:
यह कूटनीतिक संकट दोनों देशों के संबंधों पर भारी पड़ा है। पिछले कुछ महीनों में कई व्यापारिक और राजनयिक प्रयास ठप हो गए हैं, और दोनों देशों के बीच सहयोग में भारी गिरावट आई है। कनाडा के सिख समुदाय में खालिस्तानी समर्थक तत्वों के प्रभाव को लेकर दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंध थे, जो इस ताजा विवाद से और बिगड़ गए हैं। अब यह देखना होगा कि इस घटनाक्रम से दोनों देशों के बीच संबंधों पर क्या दीर्घकालिक प्रभाव पड़ता है।
भारत और कनाडा के बीच यह राजनयिक विवाद दोनों देशों के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है। जहां एक ओर कनाडा ने भारतीय अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, वहीं भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से नकारते हुए कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया है। आने वाले समय में दोनों देशों के बीच संबंधों की दिशा किस ओर जाएगी, यह कहना मुश्किल है, लेकिन फिलहाल यह विवाद दोनों देशों के लिए बड़े संकट का संकेत है।
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