भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने अत्याधुनिक SpaDeX मिशन के तहत अंतरिक्ष में स्वायत्त रेंडेज़वस और डॉकिंग तकनीक का परीक्षण करने का बीड़ा उठाया है। यह मिशन 30 दिसंबर 2024 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। हालांकि, मिशन के दौरान दूसरा उपग्रह पृथक्करण तीन सेकंड की देरी से हुआ, जिसके कारण डॉकिंग प्रक्रिया पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है।
मिशन का उद्देश्य
SpaDeX (Space Docking Experiment) मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष यान को स्वत: डॉकिंग तकनीक से लैस करना है। इस तकनीक का उपयोग भविष्य में उपग्रह मरम्मत, अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण और चंद्र अन्वेषण में किया जाएगा।
मिशन की संरचना
मिशन में दो उपग्रह शामिल हैं:
- SDX01 (चेसर) – जो मुख्य डॉकिंग प्रक्रिया को अंजाम देगा।
- SDX02 (टारगेट) – जो चेसर के साथ जुड़ने के लिए तैयार होगा।
दोनों उपग्रह लगभग 220 किलोग्राम वजनी हैं और 470 किलोमीटर की निम्न-पृथ्वी कक्षा में तैनात किए गए हैं।
पृथक्करण में देरी और प्रभाव
मिशन के दौरान, पृथक्करण प्रक्रिया में तीन सेकंड की देरी हुई। इस कारण से दोनों उपग्रहों के बीच की दूरी 20 किलोमीटर तक बढ़ गई। URC के निदेशक एम. शंकरन के अनुसार, इस दूरी को धीरे-धीरे कम किया जाएगा और डॉकिंग प्रक्रिया 7 जनवरी 2025 तक पूरी होने की संभावना है।
Slow-motion liftoff and onboard views! 🚀✨
SpaDeX’s historic mission onboard PSLV-C60 delivers breathtaking visuals, showcasing India’s strides in space exploration. 🌌🛰️
📖 More info: https://t.co/jQEnGi3W2d#SpaDeX #ISRO 🚀
📍 @DrJitendraSingh pic.twitter.com/5eJ6FAiIxI— ISRO (@isro) December 31, 2024
डॉकिंग प्रक्रिया
डॉकिंग ऑपरेशन की प्रक्रिया में चेसर, टारगेट के नजदीक धीरे-धीरे पहुंचेगा। यह कार्य बेहद जटिल है, क्योंकि दोनों उपग्रह 28,800 किमी/घंटा की गति से चल रहे हैं। इनके आपसी सापेक्ष गति को 0.036 किमी/घंटा तक घटाना होगा।
मिशन की विशेषताएं
- स्वचालित नेविगेशन: उपग्रह GNSS-आधारित नेविगेशन प्रणाली का उपयोग करेंगे।
- प्रारंभिक परीक्षण: डॉकिंग के बाद, बिजली और पेलोड संचालन जैसे कार्यों का प्रदर्शन किया जाएगा।
- अवधि: मिशन दो वर्षों तक चलेगा, जिसमें 24 पेलोड पर विभिन्न प्रयोग किए जाएंगे।
भारत के लिए महत्व
SpaDeX मिशन की सफलता से भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा जो अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत रखते हैं। इस सूची में अमेरिका, रूस और चीन पहले से शामिल हैं। यह मिशन न केवल भारत की तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाएगा, बल्कि भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक मजबूत आधार भी तैयार करेगा।
ISRO इस तकनीक का उपयोग भारत के अंतरिक्ष स्टेशन निर्माण, उपग्रह मरम्मत और गहरे अंतरिक्ष अभियानों में करेगा। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
यह भी पढ़े: iPhone 15 पर Flipkart पर भारी छूट: क्या इसे खरीदना सही रहेगा?