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टी एम कृष्णा विवाद: हिंदुत्व की राजनीति के पीछे क्या है?

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नई दिल्ली: टी एम कृष्णा के चेन्नई की ब्राह्मण समाज में बवाल के बाद, भारतीय संगीत की एक विवादित चर्चा और हिंदुत्व राजनीति का अध्ययन किया जा रहा है। इस विवाद के मध्य, कर्नाटक संगीत के प्रगतिशील परंपरा की रोशनी में, टी एम कृष्णा ने एक नई बहस को उत्पन्न किया है।

मुख्य विवरण:

  • विवाद का प्रारंभ: टी एम कृष्णा की चेन्नई की म्यूज़िक अकादमी द्वारा 2024 के संगीत कलानिधि के रूप में नियुक्ति के बाद, इस चर्चा में उनकी नामी राजनीतिक और सामाजिक विचारधारा की उपस्थिति के चलते विवाद उत्पन्न हुआ।
  • संगीतिक क्षमता की सराहना: टी एम कृष्णा को उनकी संगीतिक क्षमता की सराहना की गई है, हालांकि उनके कुछ विरोधी इसे उनके समाजशास्त्रीय और राजनीतिक विचारों के लिए अवगत हैं।
  • हिंदुत्व राजनीति की भूमिका: विवाद के पीछे हिंदुत्व राजनीति का आंकड़ा है, जो कर्नाटक संगीत की प्रगतिशील परंपरा के साथ मिलता है।
  • प्रगतिशील परंपरा की महत्वपूर्ण भूमिका: इस चर्चा ने कर्नाटक संगीत की प्रगतिशील परंपरा की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया है, जो सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर विचार करती है।

विस्तार में:

चेन्नई की म्यूज़िक अकादमी के निर्देशन में आयोजित एक सम्मेलन के बीच शुरू हुई टी एम कृष्णा की विवादित चर्चा और हिंदुत्व राजनीति की खोज द्वारा, भारतीय संगीत की एक अनोखी कहानी का पर्दाफाश किया जा रहा है। इस चर्चा में, कर्नाटक संगीत की प्रगतिशील परंपरा और हिंदुत्व राजनीति के बीच का संघर्ष देखा जा रहा है।

इस संबंध में, टी एम कृष्णा की म्यूज़िक अकादमी द्वारा संगीत कलानिधि के रूप में नियुक्ति के बाद, उनकी संगीतिक क्षमता की सराहना की गई है, हालांकि उनके कुछ विरोधी उनके समाजशास्त्रीय और राजनीतिक विचारों के लिए अवगत हैं।

विवाद का प्रारंभ: टी एम कृष्णा की चेन्नई की म्यूज़िक अकादमी द्वारा 2024 के संगीत कलानिधि के रूप में नियुक्ति के बाद, इस चर्चा में उनकी नामी राजनीतिक और सामाजिक विचारधारा की उपस्थिति के चलते विवाद उत्पन्न हुआ। इस विवाद के मध्य, कर्नाटक संगीत की प्रगतिशील परंपरा की रोशनी में, टी एम कृष्णा ने एक नई बहस को उत्पन्न किया है।

संगीतिक क्षमता की सराहना: टी एम कृष्णा को उनकी संगीतिक क्षमता की सराहना की गई है, हालांकि उनके कुछ विरोधी इसे उनके समाजशास्त्रीय और राजनीतिक विचारों के लिए अवगत हैं। टी एम कृष्णा और संजय सुब्रह्मण्यन को इस पीढ़ी के दो प्रमुख कर्नाटक पुरुष गायकों में से एक माना जाता है।

हिंदुत्व राजनीति की भूमिका: विवाद के पीछे हिंदुत्व राजनीति का आंकड़ा है, जो कर्नाटक संगीत की प्रगतिशील परंपरा के साथ मिलता है। इस विवाद के माध्यम से, हिंदुत्व राजनीति के साथ कर्नाटक संगीत की प्रगतिशील और समावेशी परंपरा के बीच की संघर्ष सामने आया है।

प्रगतिशील परंपरा की महत्वपूर्ण भूमिका: इस चर्चा ने कर्नाटक संगीत की प्रगतिशील परंपरा की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया है, जो सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर विचार करती है। कर्नाटक संगीत की इस प्रगतिशील और समावेशी परंपरा के बीच, हिंदुत्व राजनीति की भूमिका के बारे में एक गहरी चर्चा हो रही है।

निष्कर्ष: इस विवाद में, टी एम कृष्णा ने कर्नाटक संगीत की प्रगतिशील और समावेशी परंपरा की महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर किया है, जो सामाजिक और राजनीतिक विषयों पर विचार करती है। वहीं, हिंदुत्व राजनीति के साथ इस प्रगतिशील परंपरा के बीच की संघर्ष का भी सामना किया जा रहा है।

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Gunvant

गुणवंत एक अनुभवी पत्रकार और लेखक हैं, जो सटीक और रोचक खबरें प्रस्तुत करने में माहिर हैं। समसामयिक मुद्दों पर उनकी गहरी समझ और सरल लेखन शैली पाठकों को आकर्षित करती है। साथ ही वे क्रिकेट में अपनी रूचि रखते है। गुणवंत का लक्ष्य समाज को जागरूक और प्रेरित करना है। वे हमेशा निष्पक्षता और सच्चाई को प्राथमिकता देते हैं।

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