10 अक्टूबर 2024 को, भारत ने अपने सबसे प्रतिष्ठित और दूरदर्शी उद्योगपतियों में से एक, रतन टाटा को खो दिया। मुंबई के एक अस्पताल में 86 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनकी मृत्यु के साथ ही भारतीय उद्योग जगत के एक युग का अंत हो गया। रतन टाटा का योगदान सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं था; उन्होंने समाज सेवा और राष्ट्र के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके असामयिक निधन से देश में गहरा शोक है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने उन्हें “एक दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु व्यक्ति और असाधारण इंसान” के रूप में याद किया।
रतन टाटा का अंतिम संस्कार और श्रद्धांजलि
रतन टाटा का अंतिम संस्कार मुंबई में उनके परिवार और करीबी मित्रों की उपस्थिति में किया जाएगा। उनके निधन की खबर से देश के उद्योग जगत और समाज सेवा के क्षेत्र में एक बड़ा शून्य उत्पन्न हो गया है, जिसे भरना बहुत कठिन होगा। टाटा समूह के मौजूदा चेयरमैन, एन चंद्रशेखरन, ने भी गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि “यह केवल टाटा समूह के लिए नहीं, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए एक अपूरणीय क्षति है।”
रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को हुआ था। वह टाटा समूह के संस्थापक जमशेदजी टाटा के परपोते थे। रतन टाटा ने अपनी शिक्षा अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में की थी। उन्होंने 1962 में टाटा समूह के साथ अपने करियर की शुरुआत की। धीरे-धीरे वे समूह के शीर्ष पदों तक पहुंचे और 1991 में टाटा संस के चेयरमैन बने। रतन टाटा ने अपनी नेतृत्व क्षमता से टाटा समूह को नए ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
टाटा समूह का विस्तार
रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा समूह ने कई ऐतिहासिक अधिग्रहण किए। इनमें से कुछ प्रमुख थे ब्रिटिश कंपनी जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण और कोरस ग्रुप की खरीद। इन अधिग्रहणों ने टाटा समूह को एक वैश्विक पहचान दिलाई। रतन टाटा का सपना था कि टाटा समूह दुनिया के सबसे सम्मानित और स्थायी कंपनियों में से एक बने, और इस दिशा में उन्होंने अपने पूरे जीवन को समर्पित किया।
रतन टाटा ने सिर्फ व्यापार में ही नहीं, बल्कि समाज सेवा के क्षेत्र में भी अभूतपूर्व योगदान दिया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, और ग्रामीण विकास के क्षेत्रों में टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उल्लेखनीय काम किया। रतन टाटा का दृष्टिकोण हमेशा दीर्घकालिक और सामाजिक लाभ पर केंद्रित रहा। उन्होंने एक बार कहा था कि “मैं कभी भी सबसे अमीर बनने के लिए व्यापार में नहीं आया था; मैं अपने काम के माध्यम से लोगों के जीवन में बदलाव लाना चाहता था।”
रतन टाटा की सरलता और नेतृत्व
रतन टाटा की सबसे बड़ी विशेषता उनकी विनम्रता और सरलता थी। वे बेहद सरल जीवन जीते थे और हमेशा कर्मचारियों के साथ सीधे संपर्क में रहते थे। उनके नेतृत्व के दौरान, टाटा समूह ने न केवल व्यापारिक सफलता हासिल की, बल्कि सामाजिक और पर्यावरणीय जिम्मेदारियों को भी प्राथमिकता दी।
पीएम मोदी की श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि उनका निधन “भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति” है। मोदी ने उनके नेतृत्व और योगदान की सराहना की और उन्हें “सच्चे राष्ट्रनिर्माता” के रूप में याद किया।
Shri Ratan Tata Ji was a visionary business leader, a compassionate soul and an extraordinary human being. He provided stable leadership to one of India’s oldest and most prestigious business houses. At the same time, his contribution went far beyond the boardroom. He endeared… pic.twitter.com/p5NPcpBbBD
— Narendra Modi (@narendramodi) October 9, 2024
एक युग का अंत
रतन टाटा के निधन से न केवल टाटा समूह, बल्कि पूरे भारत ने एक महान नेता और समाज सेवक को खो दिया है। उनके योगदान को आने वाले पीढ़ियां भी याद रखेंगी। उनकी दृष्टि और नेतृत्व क्षमता ने न केवल टाटा समूह को ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि उन्होंने लाखों लोगों के जीवन को भी प्रभावित किया। उनका निधन भारतीय उद्योग और समाज के लिए एक गहरी क्षति है, जिसे भर पाना असंभव है।
रतन टाटा का जीवन और उनका योगदान एक प्रेरणा है। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने केवल व्यापारिक ऊंचाइयों को नहीं छुआ, बल्कि समाज में भी महत्वपूर्ण बदलाव लाए। उनकी यादें हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगी और उनके द्वारा दिखाए गए मार्गदर्शन से आने वाली पीढ़ियां प्रेरणा लेंगी।
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