केदारा ने सलूजा की पुनर्नियुक्ति के खिलाफ मतदान किया, लेकिन प्रस्ताव पास

Kedara voted against Saluja's reappointment, but the proposal was passed
Kedara voted against Saluja's reappointment, but the proposal was passed
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मुंबई: 2024 में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, केदारा कैपिटल, जो कि केयर हेल्थ इंश्योरेंस में 16% हिस्सेदारी रखती है, ने रेलिगेयर एंटरप्राइजेज की चेयरपर्सन डॉ. रश्मि सलूजा की केयर हेल्थ इंश्योरेंस बोर्ड में पुनर्नियुक्ति के खिलाफ मतदान किया। हालांकि, सलूजा की पुनर्नियुक्ति को बहुमत से मंजूरी मिल गई। इस निर्णय ने केयर हेल्थ और इसके प्रमुख निवेशकों के बीच विवाद को और गहरा कर दिया है, विशेष रूप से बर्मन परिवार के आरोपों के मद्देनज़र, जिन्होंने सलूजा की भूमिका पर सवाल उठाया था।

क्यों हुआ केदारा का विरोध?

केदारा कैपिटल ने “वाणिज्यिक कारणों” का हवाला देते हुए सलूजा की पुनर्नियुक्ति के खिलाफ मतदान किया। इस निर्णय से पहले, बर्मन परिवार ने 26 सितंबर 2024 को केयर हेल्थ बोर्ड को एक पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने सलूजा को हटाने की मांग की थी। उनका दावा था कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की जांचें सलूजा के खिलाफ चल रही थीं। बर्मन परिवार का आरोप था कि सलूजा और उनके साथियों ने धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश की योजना बनाई थी, जो कि केयर हेल्थ के आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन का उल्लंघन करती हैं।

हालांकि, केयर हेल्थ बोर्ड ने बर्मन परिवार की इन आपत्तियों को ठुकरा दिया और कानूनी राय के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला कि सलूजा को हटाने का कोई उचित कारण नहीं है। बोर्ड के अनुसार, जांच चलने मात्र से किसी निदेशक को पुनर्नियुक्ति से अयोग्य नहीं ठहराया जा सकता।

बर्मन परिवार और रेलिगेयर के बीच संघर्ष

बर्मन परिवार, जो रेलिगेयर एंटरप्राइजेज में सबसे बड़ा शेयरधारक है, वर्तमान में कंपनी के नियंत्रण को लेकर बोर्ड के साथ संघर्ष कर रहा है। उन्होंने सलूजा के नेतृत्व को लेकर आपत्ति जताई है और इसे कंपनी की वृद्धि के लिए हानिकारक बताया है। हालाँकि, रेलिगेयर, जिसमें केयर हेल्थ में 64% हिस्सेदारी है, ने सलूजा की पुनर्नियुक्ति के पक्ष में मतदान किया। सलूजा पिछले छह वर्षों में रेलिगेयर को आर्थिक संकट से निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी हैं, और उनके समर्थकों का मानना है कि उनकी नेतृत्व क्षमता कंपनी को भविष्य में और ऊँचाइयों पर ले जा सकती है।

ईएसओपी विवाद

एक अन्य विवाद, सलूजा को दिए गए ईएसओपी (कर्मचारी स्टॉक विकल्प) को लेकर भी चल रहा है। केयर हेल्थ बोर्ड ने सलूजा को ईएसओपी देने के पक्ष में फैसला किया था, लेकिन बीमा नियामक ने इसका विरोध किया और इस पर जुर्माना लगाया। मामला वर्तमान में सिक्योरिटी अपीलेट ट्रिब्यूनल (SAT) में अपील पर है।

क्या कहती है कंपनी?

केयर हेल्थ के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि निदेशकों ने बर्मन परिवार से प्राप्त पत्र की समीक्षा की और कानूनी सलाह के बाद सलूजा को हटाने का कोई ठोस कारण नहीं पाया। इसलिए, उनके पुनर्नियुक्ति के पक्ष में मतदान किया गया। इसके विपरीत, बर्मन परिवार का दावा है कि सलूजा के खिलाफ लंबित जांच उनके निदेशक पद को प्रभावित करती है और उन्हें पद से हटाया जाना चाहिए।

यह घटना रेलिगेयर एंटरप्राइजेज और बर्मन परिवार के बीच चल रहे कंट्रोल युद्ध का हिस्सा है, जो पिछले वर्ष से चल रहा है। सलूजा को कंपनी का नेतृत्व करने का मजबूत समर्थन मिला है, लेकिन उनके खिलाफ जांचें और विवाद लगातार जारी हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस संघर्ष का आगे क्या परिणाम होता है और केयर हेल्थ इंश्योरेंस का भविष्य कैसे आकार लेता है।

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Team K.H.
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