हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस की अप्रत्याशित हार ने राजनीतिक पंडितों और नेताओं के बीच चर्चा को जन्म दिया है। इस बीच, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामाराव ने राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व पर कड़ा हमला किया। उन्होंने हरियाणा में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण गांधी परिवार, खासकर राहुल गांधी की कमजोर नेतृत्व क्षमता को बताया। रामाराव ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व में वचन और कार्यों में असंतुलन के कारण जनता का विश्वास खत्म हो गया है।
कांग्रेस के ‘गारंटी कार्ड’ की विश्वसनीयता पर सवाल
हरियाणा चुनाव में कांग्रेस ने ‘सात गारंटी’ का वादा किया था, ठीक उसी तरह जैसे उसने कर्नाटक और तेलंगाना में चुनाव के दौरान ‘पांच गारंटी’ और ‘छह गारंटी’ की बात कही थी। लेकिन केटी रामाराव ने इस वादे को खोखला बताया और कहा कि जनता अब कांग्रेस के इन झूठे वादों को पहचानने लगी है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि यह पार्टी चुनाव जीतने के बाद अपने वादे पूरे करने में असफल रही है, जिससे उसकी विश्वसनीयता खत्म हो गई है। उन्होंने कर्नाटक, तेलंगाना, और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की विफलताओं को भी कांग्रेस की हार का एक बड़ा कारण बताया।
राहुल गांधी को ‘हार से सीखने’ की सलाह
केटी रामाराव ने राहुल गांधी को सलाह दी कि वे कांग्रेस की इस हार से सबक लें। उन्होंने कहा कि जब किसी पार्टी के शब्द और कर्म मेल नहीं खाते हैं, तो ऐसे परिणाम अनिवार्य होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस जनता को हर बार मूर्ख नहीं बना सकती, और इस बार हरियाणा की जनता ने कांग्रेस को स्पष्ट रूप से नकार दिया है। रामाराव ने यह भी कहा कि कांग्रेस की गारंटी कार्ड अब ‘बिना वारंटी’ के हो गई है।
क्षेत्रीय दलों की बढ़ती भूमिका
रामाराव ने हरियाणा चुनाव परिणामों के बाद यह भी कहा कि भविष्य में बीजेपी को चुनौती देने की असली ताकत केवल क्षेत्रीय दलों के पास है, न कि कांग्रेस के पास। उन्होंने भविष्यवाणी की कि महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों में भी कांग्रेस को कोई बड़ी उम्मीद नहीं है। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि 2029 के लोकसभा चुनाव में क्षेत्रीय पार्टियां केंद्र सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
शिवसेना (यूबीटी) का कांग्रेस पर हमला
कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना (यूबीटी) ने भी इस हार के बाद कांग्रेस को आत्ममंथन की सलाह दी। शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि हरियाणा में कांग्रेस के पास जीतने के लिए अनुकूल परिस्थितियां थीं, लेकिन हर बार जब बीजेपी से सीधा मुकाबला होता है, तो कांग्रेस हार जाती है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि हरियाणा की स्थिति महाराष्ट्र में सीट-बंटवारे की वार्ता को प्रभावित कर सकती है।
बीजेपी की सफलता और कांग्रेस की चुनौतियां
हरियाणा में बीजेपी की जीत और कांग्रेस की असफलता ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी को निरंतर समर्थन मिल रहा है। बीजेपी ने चुनाव में 48 सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस केवल 37 सीटों पर ही सिमट गई। यह परिणाम बीजेपी के मजबूत संगठन और कांग्रेस के कमजोर नेतृत्व के बीच के अंतर को दर्शाता है।
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के परिणाम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका साबित हुए हैं। राहुल गांधी को पार्टी की हार से सबक लेने और अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। कांग्रेस के वादों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए हैं और क्षेत्रीय दलों की भूमिका भविष्य में अधिक महत्वपूर्ण होने की संभावना है। यह चुनाव परिणाम न केवल कांग्रेस के लिए बल्कि राष्ट्रीय राजनीति के भविष्य के लिए भी एक महत्वपूर्ण संदेश है।
यह भी पढ़े: हरियाणा में बीजेपी की तीसरी जीत के पीछे के 5 मुख्य कारण