पंजाबी गायक और अभिनेता दिलजीत दोसांझ द्वारा 1 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात ने किसानों के बीच कड़ा विरोध खड़ा कर दिया है। इस मुलाकात को जहां दोसांझ ने “नए साल की शानदार शुरुआत” कहा, वहीं पीएम मोदी ने दिलजीत की विनम्र शुरुआत से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने तक के सफर की सराहना की।
हालांकि, किसानों ने इसे उनके पहले के आंदोलन के समर्थन से विरोधाभासी माना।
किसानों का गुस्सा क्यों?
वर्ष 2020 में, दिलजीत दोसांझ ने सिंघु बॉर्डर पर किसानों के विरोध में भाग लिया था और केंद्र सरकार से उनकी मांगें पूरी करने की अपील की थी। लेकिन हाल ही में पीएम मोदी से उनकी मुलाकात ने किसानों के मन में उनकी प्रतिबद्धता को लेकर संदेह पैदा कर दिया है।
शंभू बॉर्डर पर एक किसान नेता ने कहा:
“अगर दिलजीत वास्तव में किसानों की परवाह करते हैं, तो उन्हें शंभू बॉर्डर पर दल्लेवाल जी के साथ एकजुटता दिखाने आना चाहिए था। उनकी मांगें सुननी चाहिए थीं और अपने पहले के बयानों के साथ खड़े होना चाहिए था। पीएम मोदी से मुलाकात करने से उनकी मंशा पर सवाल उठते हैं।”
किसान आंदोलन की वर्तमान स्थिति
किसान नेता जगजीत दल्लेवाल, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को कानूनी रूप से लागू करने की मांग के लिए 38 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, किसानों की मांग को लेकर डटे हुए हैं। खनौरी में हजारों किसान, सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियों के साथ, उनकी इस मुहिम में शामिल हुए हैं।
किसान लगातार सरकार से नए कानून के माध्यम से MSP को कानूनी दर्जा देने की मांग कर रहे हैं।
दोसांझ की प्रतिक्रिया
दिलजीत दोसांझ, जो हाल ही में अपने दिल-ल्यूमिनाटी टूर के बाद लौटे हैं, ने अपनी इंस्टाग्राम पोस्ट में पीएम मोदी से मुलाकात की झलक साझा की। उन्होंने इसे एक “प्रेरणादायक बातचीत” करार दिया और इसे अपने जीवन का खास अनुभव बताया।
लेकिन उनकी यह पहल किसानों को गलत संदेश देती नजर आ रही है, खासकर उनके उस समर्थन के बाद, जो उन्होंने 2020 में किसानों के आंदोलन के दौरान दिया था।
किसानों की दो टूक
किसान नेताओं ने साफ कहा कि वे अपने आंदोलन को तब तक जारी रखेंगे, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं। एक वरिष्ठ किसान नेता ने कहा:
“दिलजीत जैसे सेलिब्रिटी के इस तरह के कदम से हमें निराशा हुई है।”
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