ओडिशा में “Cyclone Dana” के दौरान शेल्टरों में बसे लोगों के अनुभव, सरकारी तैयारियां, और अधिकारियों की भूमिका

Experiences of people in shelters during Cyclone Dana in Odisha, government preparedness, and the role of officials
Experiences of people in shelters during Cyclone Dana in Odisha, government preparedness, and the role of officials
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ओडिशा, भारत का एक तटीय राज्य, अपनी Cyclone प्रभावित प्रकृति के लिए जाना जाता है। राज्य ने अतीत में कई विनाशकारी चक्रवातों का सामना किया है, जिनमें सबसे गंभीर 1999 का सुपर साइक्लोन था। आज, ओडिशा में चक्रवातों के खिलाफ सुरक्षा की एक मजबूत व्यवस्था है, जिसमें हजारों बहुउद्देश्यीय शेल्टर बनाए गए हैं। जैसे ही एक और Cyclone “डाना” की चेतावनी जारी की गई, लोग अपने घरों को छोड़कर शेल्टरों में आ गए, और अधिकारियों ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया।

चक्रवात शेल्टर में बसे हुए लोग: एक अनुभव

ममता दलई, जो ओडिशा के भद्रक जिले के अमरनगर की निवासी हैं, चंदिनिपाल के चक्रवात शेल्टर में अपने परिवार के साथ आकर बस गईं। 1999 के सुपर साइक्लोन के दौरान वह काफी छोटी थीं और उन्हें उस भयावह दिन की ज्यादा याद नहीं है। परंतु, अब 44 वर्ष की ममता इस बार के चक्रवात “डाना” की रिपोर्ट्स देखकर चिंतित हो गईं। उनके पास विकल्प नहीं था क्योंकि उनका घर एक कच्चा मकान था, जो चक्रवात के सामने बिल्कुल असुरक्षित था।

उनके परिवार को सरकारी योजनाओं के तहत पक्का मकान नहीं मिला था क्योंकि उनके पास ज़मीन के पट्टे नहीं थे। उनका पति मछली पकड़ने के काम में मजदूरी करता है और ममता अपनी सास के साथ शेल्टर में सुरक्षित स्थान की तलाश में आईं थीं।

अतीत की यादें और चक्रवातों की तैयारी

ममता की सास, 60 वर्षीय अन्नपूर्णा दलई, को 1999 के सुपर साइक्लोन की यादें स्पष्ट रूप से हैं। उस दौरान, भोजन और अन्य आवश्यक सामान को हेलीकॉप्टर द्वारा गिराया गया था, और राज्य में तबाही मच गई थी। उन्होंने बताया, “हमारा जीवन समुद्र से जुड़ा हुआ है, और अगर हमें समुद्र के कारण मरना भी पड़ा तो हमें कोई अफसोस नहीं होगा।”

ओडिशा के बहुउद्देश्यीय चक्रवात शेल्टर आमतौर पर साल के अधिकांश समय खाली रहते हैं। लेकिन Cyclone आने पर ये शेल्टर लोगों से भर जाते हैं। अधिकारी व्यवस्था की निगरानी में लगे रहते हैं, और स्वयंसेवक बुजुर्गों और कमजोर लोगों की देखभाल करते हैं। चंदिनिपाल शेल्टर में राज्य के मंत्री सूर्यवंशी सूरज ने भी दौरा किया और लोगों की शिकायतें सुनीं। लोगों ने उन्हें पक्का मकान न मिलने की समस्या से अवगत कराया, जिसके जवाब में मंत्री ने आश्वासन दिया कि उनकी समस्या का समाधान किया जाएगा।

विभिन्न प्रतिक्रियाएं और बचाव के प्रयास

कुचचे घरों में रहने वाले अधिकांश लोग जैसे 50 वर्षीय खोखन माईटी, Cyclone की संभावना से डरे हुए थे, इसलिए वे शेल्टर में आकर बसे। माईटी ने कहा, “हम जानते हैं कि यह एक कम तीव्रता का Cyclone है, लेकिन हम जोखिम नहीं उठा सकते क्योंकि हमारे घर सुरक्षित नहीं हैं।”

वहीं, कुछ युवा छात्र जैसे कि 8वीं कक्षा के छात्र राज महालिक, Cyclone शेल्टर में अपने दोस्तों के साथ रहकर आनंदित थे। राज ने बताया कि उन्होंने कभी Cyclone का अनुभव नहीं किया है, और इस बार उन्हें अपने दोस्तों के साथ एक ही छत के नीचे रहने का मौका मिला है।

सरकार की तैयारियां

ओडिशा सरकार ने इस Cyclone से निपटने के लिए पूरे राज्य में 7,000 से अधिक शेल्टर तैयार किए थे। इन शेल्टरों में आवश्यक सुविधाएं जैसे भोजन, पानी, बिजली और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं थी। 1999 के बाद से, राज्य सरकार ने चक्रवातों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। आपातकालीन संचार प्रणाली, राहत शेल्टर, और प्रशिक्षित स्वयंसेवक सभी तैयार किए गए हैं ताकि किसी भी संकट के समय लोगों की जान बचाई जा सके।

ओडिशा में Cyclone शेल्टर केवल जीवन रक्षक इमारतें नहीं हैं, बल्कि आपदा के समय में सामुदायिक मदद का एक अद्वितीय उदाहरण भी हैं। इन शेल्टरों ने ना सिर्फ़ हजारों लोगों की जानें बचाई हैं, बल्कि Cyclone के बाद की जीवन पुनर्वास की प्रक्रिया में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

ओडिशा की Cyclone प्रतिक्रिया प्रणाली को वैश्विक स्तर पर सराहा गया है, और राज्य ने इस चुनौतीपूर्ण परिस्थिति को अपने अनुभवों से बेहतर करने की दिशा में निरंतर सुधार किया है।

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Team K.H.
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