Stree 2 Movie Review: श्रद्धा कपूर की फिल्म डराने से ज़्यादा उलझाने में माहिर

Stree 2 Movie Review- Shraddha Kapoor's film is more adept at confusing than scaring | Detailed review
Stree 2 Movie Review- Shraddha Kapoor's film is more adept at confusing than scaring | Detailed review
WhatsApp Group Join Now

2018 की हिट हॉरर-कॉमेडी फिल्म “स्त्री” की सफलता के बाद, “स्त्री 2” का इंतजार सभी को था। इस सीक्वल में पुराने किरदारों की वापसी के साथ-साथ नए खतरों का सामना करना पड़ता है। परंतु, इस बार फिल्म के डराने के बजाए उलझाने की प्रवृत्ति ज़्यादा नज़र आती है।

Stree 2 Movie Review | फिल्म की कहानी और पात्र:

कहानी वही चार अजीबोगरीब पात्रों के इर्द-गिर्द घूमती है—महिला दर्जी विक्की (राजकुमार राव), उनके दोस्त बिट्टू (अपारशक्ति खुराना) और जना (अभिषेक बनर्जी), और चंदेरी के लाइब्रेरियन और तांत्रिक रुद्र भैया (पंकज त्रिपाठी)। ये चारों फिर से एक नए खतरनाक और विकराल शक्ति का सामना करने के लिए इकट्ठा होते हैं, जिसे एक बेनाम और बिन बैकस्टोरी वाली लड़की (श्रद्धा कपूर) के साथ मिलकर हराना है।

फिल्म के निर्माता दिनेश विजान और निर्देशक अमर कौशिक वही हैं, लेकिन इस बार लेखक निरेन भट्ट हैं, जिन्होंने राज & डीके द्वारा बनाए गए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। फिल्म की आत्मा तो वही है, पर जोश और चमक कहीं खो गई है।

फिल्म की समस्याएँ:

हालांकि फिल्म के हास्यपूर्ण संवादों और अद्वितीय कहानी का जादू अब भी बरकरार है, लेकिन “स्त्री 2” कई जगहों पर धीमी और दोहराव भरी लगती है। ऐसा लगता है कि कहानी एक ही जगह पर घूम रही है और दर्शकों को भ्रमित करने के अलावा कुछ नहीं कर रही है।

फिल्म का मुख्य खलनायक, सरकटा पुरुष, जो एक बिना सिर वाले व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है, उतना भयानक नहीं लगता जितना कि होना चाहिए था। डरावनी फिल्म में खलनायक का ऐसा होना दर्शकों को निराश कर सकता है।

फिल्म का हास्य, हालांकि कुछ जगहों पर हंसी ला देता है, लेकिन कुछ मज़ाक इतने बेसिक हैं कि वे दर्शकों को हंसी के बजाय बोरियत महसूस करवा सकते हैं। खासकर मानसिक अस्पताल में दिखाया गया दृश्य काफी विवादास्पद है और फिल्म में नकारात्मक प्रभाव छोड़ता है। यह दृश्य बताता है कि हिंदी सिनेमा में अभी भी मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता की कमी है।

कहानी में कमजोरियाँ:

“स्त्री 2” में जो मूल नवाचार था, वह इस बार फीका पड़ गया है। फिल्म में एक नया खतरा तो दिखाया गया है, लेकिन वह पहले की तरह प्रभावशाली नहीं है। महिला पात्रों के खिलाफ़ खलनायक का व्यवहार पितृसत्ता का प्रतीक है, जो आधुनिक सोच वाली लड़कियों को निशाना बनाता है। यह फिल्म किसी भी रूप में असाधारण नहीं दिखती।

फिल्म का अंत भी काफी निराशाजनक है। जहां विक्की और उसकी प्रेमिका एक गुफा में दानव का सामना करते हैं, वहां भी कहानी में कोई नया मोड़ नहीं आता। फिल्म का क्लाइमेक्स खिंचा हुआ और अनुमानित लगता है।

अभिनय और निर्देशन:

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसके कलाकार हैं। सभी मुख्य अभिनेता अपनी भूमिकाओं को पूरी गंभीरता से निभाते हैं और कहानी की पागलपन भरी दुनिया में खुद को पूरी तरह से डुबो देते हैं। राजकुमार राव, पंकज त्रिपाठी और श्रद्धा कपूर ने शानदार अभिनय किया है।

अमर कौशिक का निर्देशन प्रभावशाली है, लेकिन इस बार उन्हें कहानी में जो कमी आई है, उसका असर साफ तौर पर दिखाई देता है। अगर फिल्म ने अपने मूल तत्वों को बनाए रखा होता और कुछ नया करने का प्रयास किया होता, तो यह फिल्म एक और बड़ी सफलता बन सकती थी।

निष्कर्ष:

“स्त्री 2” एक मनोरंजक फिल्म है, लेकिन इसमें वह चमक और ताजगी नहीं है जो पहले भाग में थी। फिल्म को देखते वक्त कहीं न कहीं यह महसूस होता है कि यह फिल्म पहले की तरह सफल नहीं हो पाई है। हालांकि यह फिल्म हास्य और कुछ डरावनी पलों के लिए देखी जा सकती है, लेकिन यदि आप कुछ नया और असाधारण देखना चाहते हैं, तो यह फिल्म आपकी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सकती।

यह भी पढ़े: Mirzapur Season 3 Review: पहले दो सीजन से कमजोर, लेकिन फिर भी देखना लाजिमी

Sophia Ansari
सोफिया अंसारी "ख़बर हरतरफ" की प्रमुख संवाददाता हैं, जो टीवी सीरियल समाचारों की विशेषज्ञ हैं। उनका विशेष लेखन और ताजा खबरें दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं। सोफिया ने अपनी बेबाक रिपोर्टिंग और गहन विश्लेषण से टीवी इंडस्ट्री में एक खास पहचान बनाई है। उनके समर्पण और मेहनत के कारण "ख़बर हरतरफ" को निरंतर सफलता मिलती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here