सलमान खान अभिनीत ‘सिकंदर’ फिल्म ने दर्शकों के बीच मिश्रित प्रतिक्रियाएँ प्राप्त की हैं। फिल्म का निर्देशन ए. आर. मुरुगादॉस ने किया है और इसमें सलमान खान के साथ रश्मिका मंदाना, सत्यराज, काजल अग्रवाल और शर्मन जोशी मुख्य भूमिकाओं में हैं। फिल्म की अवधि 135 मिनट है और यह हिंदी भाषा में उपलब्ध है।
Sikandar Movie Review
क्या अच्छा है:
- बैकग्राउंड स्कोर: फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर प्रभावशाली है और कई दृश्यों में उत्साह बढ़ाता है।
- फिल्म का मुख्य संदेश: फिल्म में मानवता और सामाजिक मूल्यों पर जोर दिया गया है, जो सराहनीय है।
- कुछ एक्शन सीक्वेंस: कुछ एक्शन दृश्य दर्शकों को प्रभावित करते हैं और फिल्म की ऊर्जा को बढ़ाते हैं।
क्या बुरा है:
- दूसरे हाफ में कमजोर पटकथा: फिल्म का दूसरा भाग कमजोर पटकथा और अवास्तविक घटनाओं के कारण बिखर जाता है।
- सलमान खान का एकरंगी प्रदर्शन: सलमान खान की उपस्थिति प्रभावशाली है, लेकिन उनका प्रदर्शन एकरंगी और भावनात्मक दृश्यों में कमजोर है।
- सहायक कलाकारों की कमजोर प्रस्तुतियाँ: सत्यराज, काजल अग्रवाल, शर्मन जोशी और प्रतीक बब्बर जैसे सहायक कलाकारों की भूमिकाएँ और प्रस्तुतियाँ भी कमजोर हैं।
- अवास्तविक उपकथाएँ: फिल्म में कई उपकथाएँ अवास्तविक और असंबद्ध लगती हैं, जो कहानी की विश्वसनीयता को कम करती हैं।
- कमज़ोर क्लाइमैक्स: फिल्म का क्लाइमैक्स पूर्वानुमेय और कमज़ोर है, जो दर्शकों को निराश करता है।
फिल्म कहानी:
फिल्म ‘सिकंदर’ की कहानी संजय राजकोट उर्फ सिकंदर (सलमान खान) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो राजकोट के राजा हैं और अपनी प्रजा के प्रिय हैं। वह एक भ्रष्ट और शक्तिशाली राजनीतिज्ञ प्रधान (सत्यराज) के बेटे अर्जुन (प्रतीक बब्बर) से टकराव में आ जाते हैं। दूसरी ओर, वह अपनी पत्नी साईश्री (रश्मिका मंदाना) से बेहद प्यार करते हैं, लेकिन अपने व्यस्त जीवन के कारण उनके रिश्ते में दूरी आ जाती है। एक त्रासदी के बाद, सिकंदर को अपने जीवन को फिर से संवारना होता है और इस यात्रा में उसे कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
स्क्रिप्ट विश्लेषण:
फिल्म की शुरुआत मजबूत होती है, लेकिन दूसरा हाफ कमजोर पटकथा और अवास्तविक घटनाओं के कारण बिखर जाता है। सिकंदर का चरित्र अचानक से एक सर्वशक्तिमान नायक बन जाता है, जो विश्वसनीय नहीं लगता। फिल्म का मुख्य संदेश प्रभावशाली है, लेकिन उसे प्रस्तुत करने का तरीका कमजोर है।
अभिनय:
सलमान खान की उपस्थिति प्रभावशाली है, लेकिन उनका प्रदर्शन एकरंगी और भावनात्मक दृश्यों में कमजोर है। रश्मिका मंदाना के साथ उनकी केमिस्ट्री भी फीकी लगती है। सहायक कलाकारों जैसे सत्यराज, काजल अग्रवाल, शर्मन जोशी और प्रतीक बब्बर की भूमिकाएँ और प्रस्तुतियाँ भी कमजोर हैं।
निर्देशन और संगीत:
ए. आर. मुरुगादॉस का निर्देशन इस बार निराशाजनक है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर प्रभावशाली है, लेकिन गाने यादगार नहीं हैं। एक्शन सीक्वेंस कुछ हद तक मनोरंजक हैं, लेकिन वे फिल्म को बचाने में असमर्थ हैं।
अंतिम शब्द:
‘सिकंदर’ एक ऐसी फिल्म है जो एक महत्वपूर्ण संदेश देने की कोशिश करती है, लेकिन कमजोर पटकथा, निर्देशन और अभिनय के कारण वह संदेश प्रभावी नहीं हो पाता। सलमान खान के प्रशंसकों के लिए यह एक बार देखने लायक हो सकती है, लेकिन अन्य दर्शकों के लिए यह एक निराशाजनक अनुभव हो सकता है।