रतन टाटा, जो टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और एक प्रसिद्ध उद्योगपति हैं, ने अपने नेतृत्व में कंपनी को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। हालांकि, 86 वर्ष की आयु में रतन टाटा सक्रिय व्यवसाय से दूर होते जा रहे हैं और अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनके 3800 करोड़ रुपये के व्यापारिक साम्राज्य का नेतृत्व कौन करेगा? चूंकि रतन टाटा अविवाहित हैं और उनके कोई संतान नहीं है, इसलिए उत्तराधिकारी को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। आइए जानते हैं इस उत्तराधिकार की दौड़ में कौन-कौन शामिल है।
प्रमुख दावेदारों की सूची
1. नोएल टाटा
रतन टाटा के आधे भाई नोएल टाटा को उत्तराधिकारी की दौड़ में सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है। नोएल टाटा वर्तमान में टाटा इंटरनेशनल के चेयरमैन और ट्रेंट लिमिटेड के उपाध्यक्ष हैं। उनके पास व्यवसायिक अनुभव और नेतृत्व कौशल का गहरा अनुभव है, जिसके कारण उन्हें रतन टाटा का संभावित उत्तराधिकारी माना जा रहा है। साथ ही, रतन टाटा और नोएल के बीच का संबंध भी बेहद अच्छा है, जो इस संभावना को और मजबूत करता है।
2. माया टाटा
नोएल टाटा की सबसे छोटी बेटी माया टाटा भी उत्तराधिकार की दौड़ में एक महत्वपूर्ण नाम मानी जाती हैं। माया टाटा ने लंदन के Bayes Business School और यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक से अपनी शिक्षा प्राप्त की है। वह टाटा डिजिटल और टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट से भी जुड़ी हुई हैं। माया ने टाटा न्यू ऐप को सफलतापूर्वक लॉन्च करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनकी नई दृष्टिकोण और आधुनिक व्यवसाय समझ उन्हें एक प्रमुख दावेदार बनाते हैं।
3. नेविल टाटा
नोएल टाटा के बेटे नेविल टाटा भी इस उत्तराधिकार की दौड़ में हैं। नेविल टाटा Zudio ब्रांड के हेड हैं, जो भारत के फैशन मार्केट में तेजी से उभर रहा है। उन्होंने अपने नेतृत्व में Zudio को एक प्रमुख फैशन ब्रांड बनाया है और व्यवसाय को काफी हद तक बढ़ाया है। नेविल के पास व्यवसाय का गहरा अनुभव और दृष्टिकोण है, जिससे उनकी दावेदारी भी मजबूत मानी जा रही है।
4. लिआ टाटा
नोएल टाटा की दूसरी बेटी लिआ टाटा ने भी अपने व्यवसायिक सफर में कई महत्वपूर्ण मुकाम हासिल किए हैं। उन्होंने Tata Group के विभिन्न क्षेत्रों में काम किया है और स्पेन के IE Business School से पढ़ाई की है। हालांकि, लिआ टाटा को उत्तराधिकारी के रूप में उतनी प्राथमिकता नहीं दी जा रही है जितनी उनके भाई-बहनों को, लेकिन उनका नाम भी इस दौड़ में शामिल है।
रतन टाटा के उत्तराधिकारी की चुनौतियाँ
रतन टाटा के उत्तराधिकारी के सामने सबसे बड़ी चुनौती टाटा ग्रुप के मूल्य और विरासत को बनाए रखना होगा। टाटा ग्रुप न केवल एक व्यावसायिक इकाई है, बल्कि उसकी पहचान अपने समाजसेवी कार्यों से भी है। टाटा ट्रस्ट्स, जो रतन टाटा की संपत्ति का बड़ा हिस्सा संभालते हैं, का उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाना है। उत्तराधिकारी को इस दायित्व को समझते हुए कंपनी को आगे बढ़ाना होगा।
टाटा संस और भविष्य की योजनाएँ
टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टाटा संस के लिए भी यह उत्तराधिकारी का चयन एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। टाटा संस के वर्तमान चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनमें डिजिटल टेक्नोलॉजी, ई-कॉमर्स और नए क्षेत्रों में विस्तार शामिल है। टाटा समूह के उत्तराधिकारी को न केवल पारंपरिक व्यवसायों में बढ़त बनाए रखनी होगी, बल्कि नई तकनीकों और बाजारों को भी समझना होगा।
रतन टाटा के उत्तराधिकारी को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन नोएल टाटा, माया टाटा और नेविल टाटा जैसे नामों को सबसे आगे माना जा रहा है। उत्तराधिकारी जो भी हो, उसे टाटा ग्रुप की मूल्य प्रणाली, समाजसेवा और व्यापारिक दृष्टिकोण को बनाए रखते हुए समूह को नए आयामों तक पहुंचाना होगा। टाटा ग्रुप की विरासत और भविष्य दोनों ही इस निर्णय पर निर्भर करेंगे।
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