रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल की लिस्टिंग से निवेशकों को झटका: 5,000 करोड़ की बोलियों के बावजूद निराशा

Resourceful Automobile's listing shocks investors- Disappointment despite bids of Rs 5,000 crore
Resourceful Automobile's listing shocks investors- Disappointment despite bids of Rs 5,000 crore
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नई दिल्ली: रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल ने हाल ही में अपने आईपीओ (IPO) के साथ शेयर बाजार में पदार्पण किया, लेकिन निवेशकों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका। बीएसई एसएमई पर ₹117 प्रति शेयर के भाव पर लिस्टिंग हुई, जोकि इसका इश्यू प्राइस था। यह लिस्टिंग निवेशकों और बाजार विशेषज्ञों के लिए निराशाजनक साबित हुई, क्योंकि ग्रे मार्केट में इस शेयर का प्रीमियम ₹105 प्रति शेयर था, जो इसकी संभावित लिस्टिंग प्राइस को ₹222 प्रति शेयर तक पहुंचा रहा था।

ग्रे मार्केट में हाइप और असलियत में निराशा

ग्रे मार्केट में रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल के शेयरों के लिए भारी हाइप थी। आईपीओ के दौरान ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP) ₹105 प्रति शेयर तक पहुंच गया था, जिससे संकेत मिला था कि लिस्टिंग पर शेयर की कीमत ₹222 तक हो सकती है। लेकिन जब शेयर बाजार में लिस्टिंग हुई, तो शेयर केवल ₹117 के स्तर पर खुला, जोकि ठीक वही कीमत थी जो इश्यू प्राइस था। यह उन निवेशकों के लिए बड़ा झटका था, जो ग्रे मार्केट की उम्मीदों के आधार पर मुनाफा कमाने के लिए तैयार थे।

आईपीओ के प्रति भारी दिलचस्पी और 5,000 करोड़ की बोलियाँ

रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल का आईपीओ 22 अगस्त से 26 अगस्त तक खुला रहा और इस दौरान कंपनी ने ₹12 करोड़ जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन बाजार में इसकी मांग इतनी ज्यादा थी कि इस इश्यू को 420 गुना सब्सक्राइब किया गया। आईपीओ ने ₹5,000 करोड़ से अधिक की बोलियाँ जुटाईं, जिससे बाजार और विश्लेषकों के बीच काफी उत्साह था। इस सब्सक्रिप्शन संख्या ने बाजार में हलचल मचा दी, और यह उम्मीद जताई जा रही थी कि शेयरों की कीमत में तेज उछाल आएगा।

लिस्टिंग से पहले SEBI की चेतावनी

रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल की लिस्टिंग से एक दिन पहले, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने निवेशकों को कई एसएमई प्रमोटरों द्वारा ‘पंप एंड डंप’ योजनाओं के बारे में चेतावनी दी थी। SEBI की चेतावनी ने बाजार में एक अलग ही माहौल पैदा कर दिया था, जिससे निवेशकों के बीच अनिश्चितता और बढ़ गई। यह चेतावनी लिस्टिंग के दिन शेयरों की स्थिरता का एक बड़ा कारण हो सकती है।

बाजार विशेषज्ञों की राय और विश्लेषण

बाजार के विश्लेषकों का मानना है कि रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल की लिस्टिंग में आई इस स्थिरता का मुख्य कारण निवेशकों की अत्यधिक उम्मीदें और बाजार में मौजूदा उथल-पुथल हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ग्रे मार्केट प्रीमियम का बहुत ज्यादा होना हमेशा सही संकेत नहीं होता, क्योंकि यह केवल उन लोगों के बीच सीमित व्यापार पर आधारित होता है, जो जल्द मुनाफा कमाने के लिए तैयार रहते हैं।

यह भी ध्यान देने योग्य है कि छोटे और मंझले उपक्रम (SME) के आईपीओ में, बाजार की धारणा बहुत जल्दी बदल सकती है, और इस प्रकार के प्रमोटरों द्वारा शेयरों की कीमत को कृत्रिम रूप से बढ़ाने के लिए ‘पंप एंड डंप’ जैसी योजनाओं का सहारा लिया जा सकता है। इस तरह की गतिविधियों के कारण, निवेशकों को बेहद सावधानी से कदम उठाने की सलाह दी जाती है।

कंपनी के भविष्य पर असर

रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल की इस निराशाजनक लिस्टिंग का कंपनी के भविष्य पर क्या असर पड़ेगा, यह अभी कहा नहीं जा सकता। हालांकि, बाजार में इतनी बड़ी मात्रा में बोलियाँ आने से यह स्पष्ट होता है कि कंपनी के प्रति निवेशकों का विश्वास अभी भी मजबूत है।

विश्लेषकों का मानना है कि लिस्टिंग के दिन के बाद भी कंपनी के शेयरों में स्थिरता बनी रह सकती है, लेकिन इसके लिए जरूरी होगा कि कंपनी अपने व्यापारिक प्रदर्शन और विकास योजनाओं में ठोस नतीजे दिखाए। अगर कंपनी अगले कुछ महीनों में अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह निवेशकों के विश्वास को और बढ़ा सकता है।

निवेशकों के लिए सलाह

इस लिस्टिंग के बाद, विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को जल्दबाजी में किसी निर्णय पर पहुंचने से बचना चाहिए। रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल का भविष्य अभी भी बाजार में उसकी स्थिति, वित्तीय प्रदर्शन और कंपनी की योजना पर निर्भर करेगा। इसलिए, यह जरूरी है कि निवेशक बाजार के संकेतों पर नजर रखें और कंपनी की विकास दर और योजनाओं के अनुसार ही निवेश करें।

नतीजा

रिसोर्सफुल ऑटोमोबाइल की लिस्टिंग ने बाजार में जितनी उम्मीदें जगाई थीं, उतना ही निराश किया। ग्रे मार्केट में अत्यधिक प्रीमियम के बावजूद, लिस्टिंग पर शेयर का स्थिर रहना यह दर्शाता है कि बाजार में उम्मीदें हमेशा वास्तविकता से मेल नहीं खातीं। इस अनुभव से निवेशकों को यह सीखने का मौका मिलता है कि किसी भी निवेश में धैर्य और जानकारी का कितना महत्व होता है।

कंपनी के लिए आगे की राह आसान नहीं होगी, लेकिन बाजार में इतनी बड़ी मांग के आधार पर यह कहा जा सकता है कि निवेशकों का भरोसा अभी भी बना हुआ है। कंपनी को अपनी रणनीतियों और विकास योजनाओं को मजबूती से आगे बढ़ाना होगा ताकि वह अपने निवेशकों का विश्वास और समर्थन बनाए रख सके।

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