भारत अपने पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्र में एक बड़ी क्रांति के मुहाने पर खड़ा है। अगले दशक में करीब $87 अरब का निवेश अपेक्षित है, जिससे देश की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सकेगा। जैसे-जैसे अधिक नागरिक मध्यम वर्ग में प्रवेश कर रहे हैं, प्लास्टिक से लेकर उर्वरकों तक पेट्रोकेमिकल-आधारित उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ने वाली है। भारत के पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, यह बढ़ती मांग निवेश के विशाल अवसरों को खोलती है, क्योंकि भारत का प्रति व्यक्ति पेट्रोकेमिकल्स उपभोग विकसित देशों से काफी पीछे है।
भारत में पेट्रोकेमिकल्स का मौजूदा परिदृश्य
वर्तमान में भारत हर साल 25 से 30 मिलियन मीट्रिक टन पेट्रोकेमिकल्स उत्पादों का उपभोग करता है, और यह क्षेत्र $220 बिलियन का है। अनुमान है कि 2025 तक इसका मूल्य बढ़कर $300 बिलियन तक पहुंच जाएगा। पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था के विस्तार के साथ ही देश को अपनी घरेलू पेट्रोकेमिकल उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की आवश्यकता होगी ताकि मांग के साथ तालमेल बिठाया जा सके।
इस बढ़ते क्षेत्र में प्रमुख सरकारी और निजी तेल कंपनियाँ, जैसे नायरा एनर्जी, हल्दिया पेट्रोकेमिकल्स, और ONGC, पहले से ही उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ये कंपनियाँ मिलकर लगभग $45 बिलियन का निवेश करने की योजना बना रही हैं, और आगे और भी निवेश की उम्मीद की जा रही है। ओएनजीसी ने सितंबर में बताया कि वह $8.3 बिलियन के रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल्स प्रोजेक्ट की योजना पर विचार कर रही है।
घरेलू उत्पादन में वृद्धि
देश में वर्तमान में 29.6 मिलियन टन पेट्रोकेमिकल्स का उत्पादन होता है, जिसे 2030 तक बढ़ाकर 46 मिलियन टन तक ले जाने की योजना है। इस विस्तार का उद्देश्य न केवल घरेलू मांग को पूरा करना है, बल्कि भारत को वैश्विक पेट्रोकेमिकल्स उद्योग में एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करना भी है। यह विकास तेल कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग और ईंधन दक्षता में सुधार के कारण पारंपरिक परिवहन ईंधन की मांग में कमी आ सकती है।
रिफाइनिंग क्षमता में विस्तार
भारत अगले पांच वर्षों में 22% की बढ़ोतरी के साथ अपनी रिफाइनिंग क्षमता को बढ़ाने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। पेट्रोलियम रिफाइनिंग और पेट्रोकेमिकल उत्पादन के इस तेजी से विस्तार से यह सुनिश्चित होगा कि देश ईंधन और पेट्रोकेमिकल्स दोनों की मांग को पूरा कर सके। साथ ही, यह उन बड़ी तेल कंपनियों के लिए जीवनरेखा का काम करेगा, जो वैश्विक मांग में संभावित गिरावट का सामना कर रही हैं।
वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी
भारत वैश्विक पेट्रोकेमिकल्स मांग में लगभग 10% का योगदान करने की उम्मीद करता है। देश की तेजी से बढ़ती जनसंख्या और विकसित होती अर्थव्यवस्था के चलते, यह क्षेत्र आने वाले समय में वैश्विक बाजार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।
सरकार के प्रयास और नीतियां
भारत सरकार ने पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई नीतिगत पहलें शुरू की हैं। इसमें 100% विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की अनुमति दी गई है, साथ ही PCPIR (पेट्रोलियम, केमिकल्स और पेट्रोकेमिकल्स इन्वेस्टमेंट रीजन) जैसे क्षेत्रों की स्थापना भी की गई है। इन नीतियों के जरिए सरकार इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने और देश की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने की दिशा में काम कर रही है।
पेट्रोकेमिकल्स क्षेत्र में भारत की तेजी से बढ़ती मांग और निवेश के लिए तैयारियां इसे वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना रही हैं। अगले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र का विस्तार न केवल भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए आवश्यक होगा, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास में भी अहम भूमिका निभाएगा। निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों की सक्रिय भागीदारी, और सरकारी नीतियों का समर्थन, इस उद्योग को नई ऊँचाइयों पर ले जाने में सहायक सिद्ध होगा।
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