सोने की कीमतें एक बार फिर चर्चा का विषय बन गई हैं, खासकर यूएस फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना के चलते। निवेशकों के लिए सोना हमेशा से ही सुरक्षित विकल्प रहा है, और जब भी आर्थिक अनिश्चितताएं या वित्तीय संकट होते हैं, सोने की कीमतें आसमान छूने लगती हैं। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। वैश्विक बाजारों में आर्थिक दबाव और अमेरिका की संभावित वित्तीय नीतियों के परिणामस्वरूप सोने की कीमतें नए रिकॉर्ड पर पहुंच रही हैं।
2024 में सोने की तेजी: 20% की वृद्धि और 2500 डॉलर प्रति औंस का आंकड़ा
2024 के दौरान, सोने की कीमतों में 20% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है, और अगस्त में सोना $2,500 प्रति औंस से अधिक के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। यह न केवल आर्थिक नीतियों और वैश्विक अनिश्चितताओं का परिणाम है, बल्कि सोने की मांग में तेजी से हो रही वृद्धि और केंद्रीय बैंकों द्वारा भारी मात्रा में सोने की खरीदारी ने भी इसे बल दिया है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह तेजी केवल अभी के लिए नहीं है। Goldman Sachs जैसे प्रमुख अनुसंधान संस्थानों का अनुमान है कि 2025 की शुरुआत तक सोने की कीमतें $2,700 तक जा सकती हैं। इसमें फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावनाओं और उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी का मुख्य योगदान है।
केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला किए जाने के बाद से केंद्रीय बैंकों ने सोने की खरीदारी की रफ्तार को बढ़ा दिया है। Goldman Sachs Research के अनुसार, यह प्रवृत्ति तब से तीन गुना हो गई है, और इसके आगे भी जारी रहने की संभावना है। वैश्विक वित्तीय प्रतिबंधों और अमेरिकी संप्रभु ऋण के बढ़ते बोझ के मद्देनज़र, कई देशों के केंद्रीय बैंक सोने में निवेश कर रहे हैं ताकि उनकी अर्थव्यवस्था किसी भी वित्तीय संकट से सुरक्षित रहे।
फेडरल रिजर्व की दर कटौती का प्रभाव
जब ब्याज दरें ऊंची होती हैं, तो सोने का आकर्षण कम हो जाता है क्योंकि सोना निवेश पर कोई रिटर्न नहीं देता। लेकिन, जब दरें कम होती हैं, तो निवेशक वापस सोने की ओर रुख करते हैं। Goldman Sachs Research के अनुसार, फेडरल रिजर्व द्वारा दर कटौती की संभावना ने पश्चिमी निवेशकों को फिर से सोने की तरफ आकर्षित किया है, खासकर तब जब पिछले दो वर्षों में सोने की कीमतों में उछाल के बावजूद कई निवेशक इससे दूर थे।
संभावित भू-राजनीतिक जोखिम
सोना एक पोर्टफोलियो हेज के रूप में बेहद महत्वपूर्ण है, विशेष रूप से भू-राजनीतिक तनाव या वित्तीय प्रतिबंधों जैसी स्थितियों के खिलाफ। हाल के वर्षों में, जैसे-जैसे वैश्विक राजनीति में तनाव बढ़ा है, सोने की कीमतें भी बढ़ी हैं। यदि अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ते हैं, तो सोने की मांग और भी बढ़ सकती है।
अर्थशास्त्रियों का मानना है कि सोने की कीमतों में 15% की वृद्धि हो सकती है अगर अमेरिका नए वित्तीय प्रतिबंध लागू करता है या अमेरिका के बढ़ते ऋण संकट के प्रति चिंताएं बढ़ती हैं। ऐसी स्थिति में, निवेशक सोने को एक सुरक्षित निवेश विकल्प के रूप में देखेंगे।
अन्य धातुओं और कमोडिटीज़ की स्थिति
जहां सोना बढ़ रहा है, वहीं अन्य धातुओं और ऊर्जा स्रोतों की स्थिति थोड़ी भिन्न है। Goldman Sachs Research ने विभिन्न कमोडिटीज़ की स्थिति का मूल्यांकन किया है, और उन्होंने कई क्षेत्रों में नरमी की चेतावनी दी है:
- तेल: चीन में तेल की मांग में गिरावट और इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार के कारण मांग में कमी देखी जा रही है। साथ ही, अमेरिका में तेल की आपूर्ति भी अपेक्षाओं से अधिक है, जिसके परिणामस्वरूप ब्रेंट तेल की कीमतें $70-$85 प्रति बैरल के बीच रहने का अनुमान है।
- उद्योग धातुएं: तांबा और एल्यूमीनियम जैसी धातुओं की कीमतों में नरमी देखी जा रही है। तांबे की मांग में चीन की तरफ से कमी आई है, और इसका उत्पादन उच्च स्तर पर है। अनुमान है कि तांबे की कीमतें 2025 के बाद ही बढ़ेंगी।
- प्राकृतिक गैस: प्राकृतिक गैस के बाजार में भी गिरावट का अनुमान है, खासकर 2025 से शुरू होने वाली नए एलएनजी (Liquefied Natural Gas) आपूर्ति की बाढ़ के कारण।
भविष्य में सोने का परिदृश्य
2024 और उसके आगे के लिए, सोने के बाजार में सकारात्मक परिदृश्य बने रहने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि फेडरल रिजर्व द्वारा संभावित दर कटौती, उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी और संभावित भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण सोने की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। हालांकि, अन्य धातुओं और ऊर्जा स्रोतों के लिए स्थिति अलग है, जहां कुछ क्षेत्रों में नरमी देखी जा रही है।
सोने में निवेश क्यों महत्वपूर्ण है?
निवेशकों के लिए, सोना एक सुरक्षित निवेश विकल्प रहा है, खासकर जब अन्य निवेश विकल्पों में अनिश्चितताएं होती हैं। 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान, जब वैश्विक अर्थव्यवस्थाएं डगमगा रही थीं, सोने ने निवेशकों को सुरक्षा प्रदान की थी।
इसी तरह, मौजूदा समय में भी, जब यूएस की अर्थव्यवस्था दर कटौती और बढ़ते ऋण संकट से गुजर रही है, सोना एक बार फिर निवेशकों के लिए एक प्रमुख विकल्प बन गया है। इसके अलावा, उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी इस बात का संकेत है कि वैश्विक स्तर पर सोने की मांग लंबे समय तक बनी रहेगी।
आर्थिक संकट और सोने का रिश्ता
इतिहास गवाह है कि जब भी किसी देश की अर्थव्यवस्था पर संकट आता है, सोने की मांग बढ़ती है। ऐसा इसलिए क्योंकि सोना एक ऐसा निवेश है जो किसी भी आर्थिक या वित्तीय संकट के समय में अपनी वैल्यू बनाए रखता है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में दर कटौती और बढ़ते ऋण संकट के बीच, निवेशक सोने में निवेश करके अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखना चाहते हैं।
फेडरल रिजर्व की नीतियां और उनका प्रभाव
फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीतियों का सोने की कीमतों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब दरें बढ़ाई जाती हैं, तो सोने की मांग घट जाती है क्योंकि निवेशक अन्य विकल्पों की ओर रुख करते हैं। लेकिन जब दरें घटाई जाती हैं, तो सोने की मांग बढ़ जाती है। मौजूदा समय में, विशेषज्ञों का अनुमान है कि फेडरल रिजर्व की दर कटौती की संभावनाओं के चलते सोने की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है।
सोने में निवेश का सही समय
विशेषज्ञों के अनुसार, अभी सोने में निवेश का सबसे सही समय है। फेडरल रिजर्व द्वारा दर कटौती की संभावनाओं और वैश्विक स्तर पर अनिश्चितताओं के चलते सोने की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है। इसके अलावा, सोना एक दीर्घकालिक निवेश के रूप में भी बेहतर विकल्प है, खासकर जब वैश्विक स्तर पर आर्थिक अस्थिरता हो।
सोने की कीमतों में रिकॉर्ड वृद्धि केवल आर्थिक अनिश्चितताओं का परिणाम नहीं है, बल्कि केंद्रीय बैंकों द्वारा सोने की खरीदारी और फेडरल रिजर्व की दर कटौती की संभावनाओं ने भी इसमें योगदान दिया है। आने वाले समय में, सोने की कीमतें और भी ऊंचाई छू सकती हैं, और यह निवेशकों के लिए एक सुरक्षित विकल्प बना रहेगा।
हालांकि, अन्य धातुओं और ऊर्जा स्रोतों के बाजार में नरमी की संभावना है, लेकिन सोने की मांग और मूल्य में वृद्धि का रुझान आने वाले वर्षों तक बना रहेगा।
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