भारत के सबसे बड़े एयरलाइन IndiGo और प्रमुख ऑटोमोबाइल ब्रांड Mahindra Electric के बीच ट्रेडमार्क को लेकर एक तगड़ा विवाद छिड़ गया है। यह विवाद दोनों कंपनियों द्वारा ‘6E’ और ‘6e’ के उपयोग को लेकर है। तो आइए जानते हैं इस विवाद के बारे में और इसके पीछे के कानूनी और व्यावसायिक पहलुओं को।
क्या है ट्रेडमार्क का महत्व?
ट्रेडमार्क एक ब्रांड या उत्पाद की पहचान होती है, जिसे किसी कंपनी या व्यवसाय ने अपनी सेवा या उत्पाद को विशिष्ट बनाने के लिए रजिस्टर्ड कराया होता है। इसका सीधा संबंध ब्रांड की प्रतिष्ठा और बाजार में उसकी पहचान से है। महिंद्रा ने पिछले महीने अपनी नई इलेक्ट्रिक एसयूवी BE 6e और XEV 9e लॉन्च की थी, लेकिन इसका सामना IndiGo से एक गंभीर कानूनी विवाद से हुआ।
IndiGo ने जुलाई 2006 में अपने संचालन की शुरुआत की थी और तब से वह ‘6E’ का उपयोग कर रहा है। जबकि Mahindra ने BE 6e के नाम से अपनी नई इलेक्ट्रिक कार को मार्केट में उतारा है, जो कि IndiGo के ट्रेडमार्क 6E के समान प्रतीत होता है।
क्या कहती हैं कंपनियाँ?
Mahindra ने एक बयान जारी करते हुए स्पष्ट किया कि उसने BE 6e के लिए ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन क्लास 12 (वाहनों) में किया है और यह पूरी तरह से एक अलग इंडस्ट्री और उत्पाद से संबंधित है। Mahindra ने IndiGo के दावे को “बेमानी” बताते हुए इसे चुनौती देने का निर्णय लिया है। Mahindra के अनुसार, उनके ‘BE 6e’ और IndiGo के ‘6E’ में कोई भी समानता नहीं है, क्योंकि यह दो अलग-अलग उद्योगों से जुड़े हुए हैं और कोई भ्रम उत्पन्न होने की संभावना नहीं है।
क्या है इंडिगो की स्थिति?
IndiGo का दावा है कि 6E उनका एक पहचान चिन्ह है, और यह उनके ब्रांड का हिस्सा है। ट्रेडमार्क विशेषज्ञों का मानना है कि 6E का उपयोग इंडिगो ने एक खास तरीके से किया है, जिसमें इसके फोंट, डिजाइन और उपयोग का तरीका उनके ब्रांड की पहचान को मजबूत करता है। इसका अर्थ है कि यदि और कंपनियाँ ‘6E’ का उपयोग करती हैं तो IndiGo को इसका नुकसान हो सकता है।
ब्रांडिंग के महत्व को लेकर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?
ब्रांड एक्सपर्ट्स जैसे कि हारिश बिजूर, जो Harish Bijoor Consults Inc. के CEO हैं, का कहना है कि यह मुद्दा इस बात पर निर्भर करता है कि ‘6E’ को किस तरह से लिखा और उपयोग किया गया है। उनका मानना है कि ‘6E’ का रजिस्ट्रेशन एक ख़ास तरीका है और इसे बेमानी रूप से उपयोग नहीं किया जा सकता।
वहीं, रेडिफ्यूजन के प्रबंध निदेशक संदीप गोयल का कहना है कि ‘6E’ के संयोजन को रजिस्टर करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि यह एक सामान्य संयोजन है और इसे किसी एक कंपनी के नाम के रूप में मान्यता नहीं दी जा सकती है।
क्या होगा अगला कदम?
यह विवाद अब अदालत तक पहुँच चुका है, जहां Mahindra और IndiGo दोनों अपनी-अपनी स्थिति को मजबूती से पेश कर रहे हैं। ब्रांडिंग और ट्रेडमार्क से जुड़े मामलों में यह संघर्ष दर्शाता है कि आज के समय में ट्रेंडमार्क और ब्रांड पहचान कितनी महत्वपूर्ण हो गई हैं।
क्या यह कानूनी विवाद महिंद्रा के लिए एक नई चुनौती है?
Mahindra को यह चुनौती इसलिए भी कठिन लग रही है क्योंकि 6E का उपयोग अब तक प्रमुख एयरलाइन IndiGo द्वारा किया जा चुका है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अदालत इस मामले में क्या निर्णय देती है और क्या Mahindra अपनी BE 6e को अपना ट्रेडमार्क बना पाएगा या नहीं।
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