मणिपुर की राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब मुख्यमंत्री नोंगथोमबम बिरेन सिंह ने 9 फरवरी, 2025 को अपना इस्तीफा राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को सौंप दिया। यह कदम उस समय उठाया गया जब राज्य में 3 मई, 2023 को मेइतेई और कुकी-जो जनजातियों के बीच हुए सामुदायिक संघर्ष के बाद से चल रही चुनौतियों को लेकर नए नेतृत्व को मौका देने का फैसला किया गया।
हालांकि, इस इस्तीफे के बाद से ही यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या यह कदम BJP के भीतर चल रहे आंतरिक मतभेदों की वजह से उठाया गया है। लेकिन मणिपुर BJP की प्रमुख शारदा देवी ने इन अटकलों को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि बिरेन सिंह का इस्तीफा आंतरिक मतभेदों की वजह से नहीं हुआ है।
क्या है पूरा मामला?
बिरेन सिंह ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपने के बाद राज्यपाल ने उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप में काम करने का निर्देश दिया। यह कदम BJP के केंद्रीय नेतृत्व की सलाह पर उठाया गया था। शारदा देवी ने बताया कि यह फैसला राज्य में चल रही चुनौतियों को देखते हुए लिया गया है, ताकि नए नेतृत्व को इन समस्याओं से निपटने का मौका मिल सके।
क्या कहा शारदा देवी ने?
मणिपुर BJP प्रमुख शारदा देवी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “बिरेन सिंह का इस्तीफा आंतरिक मतभेदों की वजह से नहीं हुआ है। यह फैसला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व की सलाह पर लिया गया है। हमारा उद्देश्य राज्य में शांति और स्थिरता लाना है, और इसके लिए नए नेतृत्व को मौका देना जरूरी था।”
क्या हैं चुनौतियां?
मणिपुर में पिछले 21 महीनों से चल रहा सामुदायिक संघर्ष राज्य की सबसे बड़ी चुनौती बना हुआ है। मेइतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच हुए इस संघर्ष ने राज्य की शांति और विकास को प्रभावित किया है। ऐसे में, BJP का यह फैसला नए नेतृत्व को इन चुनौतियों से निपटने का मौका देने के लिए उठाया गया है।
आगे की राह
बिरेन सिंह के इस्तीफे के बाद अब यह देखना दिलचस्प होगा कि BJP कैसे राज्य में शांति और स्थिरता लाने के लिए नए नेतृत्व के साथ आगे बढ़ती है। शारदा देवी ने कहा कि पार्टी का उद्देश्य राज्य के सभी समुदायों के बीच सद्भाव बनाना और विकास की गति को बढ़ाना है।
इस पूरे मामले में एक बात साफ है कि BJP का फोकस मणिपुर में शांति और विकास को बहाल करने पर है, और यह कदम उसी दिशा में उठाया गया है।
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