Naseeruddin Shah ने याद किए Shyam Benegal: “अगर उन्होंने मुझ पर विश्वास न किया होता, तो मैं क्या बनता?

श्याम बेनेगल और उनकी पत्नी नीरा ने मेरे कठिन दिनों में जो सहारा दिया, वह अमूल्य है: नसीरुद्दीन शाह

Naseeruddin Shah remembers Shyam Benegal: "If he hadn't believed in me, what would I have become?"
Naseeruddin Shah remembers Shyam Benegal: "If he hadn't believed in me, what would I have become?"
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नई दिल्ली: भारतीय समानांतर सिनेमा के जनक और महान फिल्म निर्माता Shyam Benegal का सोमवार शाम मुंबई में 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से क्रॉनिक किडनी डिजीज से पीड़ित थे। उनकी मृत्यु से फिल्म जगत में शोक की लहर दौड़ गई।

फिल्मफेयर को दिए गए एक साक्षात्कार में, उनके करीबी सहयोगी और मित्र Naseeruddin Shah ने भावुक होकर कहा, “यह शब्दों में बयां करना मुश्किल है कि श्याम मेरे लिए क्या मायने रखते थे। अगर उन्होंने मुझ पर विश्वास न किया होता, जब कोई और नहीं करता, तो मैं क्या बनता?”

उन्होंने आगे कहा, “श्याम और उनकी पत्नी नीरा मेरे कठिन दिनों में बहुत बड़े सहायक थे। उन्होंने अपने जीवन में जो कुछ भी किया, वह अंत तक किया। ऐसा दावा कम ही लोग कर सकते हैं।”

Shyam Benegal का नसीरुद्दीन शाह के करियर में योगदान

Naseeruddin Shah ने Shyam Benegal के निर्देशन में बनी फिल्म निशांत (1975) से अपना डेब्यू किया। यह फिल्म भारतीय सिनेमा में समानांतर धारा की एक महत्वपूर्ण कड़ी मानी जाती है।

वाइल्डफिल्म्सइंडिया को दिए एक पुराने इंटरव्यू में Naseeruddin Shah ने कहा था, “मेरे लिए सबसे यादगार बात यह है कि उन्होंने मुझे मेरी पहली फिल्म और पहला पे चेक दिया। लेकिन श्याम की सबसे बड़ी खासियत यह थी कि उन्होंने ऐसे फिल्म निर्माताओं के लिए दरवाजे खोले, जो अपनी पसंद की फिल्में बनाना चाहते थे।”

उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने कभी भी मेनस्ट्रीम फिल्मों के पीछे भागने की बजाय अपने सिद्धांतों पर आधारित फिल्में बनाईं। मुझे उनकी फिल्मों का हिस्सा बनने पर बेहद गर्व है।”

भारतीय सिनेमा में Shyam Benegal की धरोहर

Shyam Benegal ने निशांत, मंथन, जुनून, मंडी, और त्रिकाल जैसी कई यादगार फिल्मों का निर्देशन किया। उनकी फिल्मों में सामाजिक मुद्दों को लेकर गहराई और प्रामाणिकता होती थी।

निशांत फिल्म में ग्रामीण सामंती व्यवस्था के दौरान महिलाओं के शोषण और ग्रामीण अभिजात्य वर्ग की सत्ता को उजागर किया गया था। इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, गिरीश कर्नाड, शबाना आज़मी, अमरीश पुरी जैसे दिग्गज कलाकारों ने अभिनय किया।

फिल्म ने 1977 में सर्वश्रेष्ठ हिंदी फीचर फिल्म के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। इसे 1976 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में पाम डी’ओर पुरस्कार के लिए भी नामांकित किया गया।

फिल्मकार की विरासत पर नसीरुद्दीन शाह के विचार

नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “Shyam Benegal ने छोटे बजट की फिल्मों के जरिए बड़े सितारों के वर्चस्व को चुनौती दी और दर्शकों से गहरा जुड़ाव स्थापित किया।”

उनकी फिल्म मंथन किसानों के संघर्ष को लेकर बनाई गई थी और यह दर्शकों को गहराई तक प्रभावित करने वाली फिल्म थी। जुनून और मंडी जैसी फिल्मों ने उनकी कलात्मक क्षमता को और भी मजबूत किया।

शोक संदेश और श्रद्धांजलि

फिल्म निर्माता के योगदान पर श्रद्धांजलि देते हुए, नसीरुद्दीन शाह ने कहा, “उनकी बनाई फिल्में केवल मनोरंजन के लिए नहीं थीं, बल्कि उन्होंने समाज को एक आईना दिखाया।”

Shyam Benegal के निधन से भारतीय सिनेमा में एक युग का अंत हो गया है। उनकी फिल्मों और उनके विचारों का प्रभाव सदियों तक याद किया जाएगा।

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