अमेरिकी रेगुलेटर सेक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने 2021 में अडानी समूह और आंध्र प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी के बीच रिश्वत की पेशकश के आरोप लगाए हैं। SEC के अनुसार, यह मुलाकात सोलर पावर एग्रीमेंट को लेकर हुई थी, जिसमें “प्रोत्साहन” की चर्चा की गई थी।
SEC का क्या कहना है?
SEC की अदालत में दाखिल रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त 2021 में गौतम अडानी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री से मुलाकात की। इस बैठक का उद्देश्य राज्य सरकार को सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) के साथ एक सोलर पावर समझौते पर हस्ताक्षर के लिए मनाना था। SEC ने यह भी दावा किया कि बैठक में “रिश्वत की पेशकश या वादा” किया गया था, हालांकि राशि का खुलासा नहीं किया गया।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इस बैठक के कुछ दिनों बाद, आंध्र प्रदेश सरकार ने SECI से 7 गीगावॉट सोलर पावर खरीदने का समझौता किया, जो उस समय किसी भी राज्य द्वारा सोलर पावर की सबसे बड़ी खरीद थी।
US जस्टिस डिपार्टमेंट के आरोप
अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट ने अडानी समूह पर रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के आरोप लगाए हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि अडानी समूह ने 2021-2023 के बीच राज्य बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के साथ अनुबंध हासिल करने के लिए $265 मिलियन (लगभग ₹1,750 करोड़) की रिश्वत दी।
YSRCP और TDP की प्रतिक्रिया
वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) ने SEC के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार का अडानी समूह के साथ कोई “प्रत्यक्ष समझौता” नहीं था। पार्टी के अनुसार, SECI और आंध्र प्रदेश के डिस्कॉम के बीच समझौता हुआ था।
पार्टी ने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि सोलर पावर खरीद का निर्णय राज्य और उपभोक्ताओं के हित में था। यह भी बताया गया कि 7 गीगावॉट पावर ₹2.49 प्रति यूनिट की दर से खरीदी गई, जिससे राज्य को हर साल ₹3,700 करोड़ की बचत होगी।
दूसरी ओर, विपक्षी तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। पार्टी प्रवक्ता कोम्मारेड्डी पट्टाभिराम ने कहा, “हमें रिपोर्ट का अध्ययन करने के लिए कुछ दिन चाहिए।”
अडानी समूह का पक्ष
अडानी समूह ने इन आरोपों को “बेबुनियाद” बताते हुए कहा है कि वे इस मामले में कानूनी कदम उठाएंगे। कंपनी ने यह भी कहा कि उसने कभी भी अपने वरिष्ठ प्रबंधन के स्तर पर रिश्वतखोरी की न तो अनुमति दी है और न ही इसे बढ़ावा दिया है।
अडानी और जगन रेड्डी के बीच कथित रिश्वत विवाद ने एक बार फिर से भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े कर दिए हैं। SEC और अमेरिकी जस्टिस डिपार्टमेंट के आरोपों से भारतीय कॉर्पोरेट क्षेत्र में हलचल मच गई है। मामले की सच्चाई सामने आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इन आरोपों में कितना दम है।
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