अमेरिकी चुनाव से पहले शेयर मार्केट में भारी गिरावट, 1000 पॉइंट्स की गिरावट

Big fall in stock market before US election, down by 1000 points
Big fall in stock market before US election, down by 1000 points
WhatsApp Group Join Now

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के निकट आते ही वैश्विक और भारतीय शेयर बाजारों में अस्थिरता और गिरावट का दौर देखने को मिल रहा है। सोमवार को शुरुआती ट्रेडिंग में भारतीय शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट देखने को मिली, जहां सेंसेक्स में 1000 से अधिक अंक की गिरावट आई, वहीं निफ्टी भी 24,000 अंकों से नीचे चला गया। इसके पीछे प्रमुख कारण हैं— अमेरिकी चुनावी अनिश्चितता, विदेशी निवेशकों की बिकवाली, और फेडरल रिजर्व के आगामी ब्याज दर के निर्णय को लेकर बढ़ती चिंताएं।

निवेशकों में चिंता का माहौल

अमेरिकी चुनावों के परिणाम से पहले अनिश्चितता के कारण निवेशकों में बेचैनी साफ देखी जा रही है। फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) ने अक्टूबर महीने में भारी मात्रा में भारतीय इक्विटी बाजार से धन निकाल लिया, जोकि हाल के महीनों में सबसे बड़ी निकासी में से एक है। आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर महीने में 90,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी हुई। इसके अलावा, पिछले शुक्रवार को विदेशी निवेशकों ने 211.93 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर बेचे। ऐसे में भारी बिकवाली के कारण बाजार पर दबाव बना हुआ है और निवेशक सुरक्षित विकल्पों की तलाश में हैं।

सेंसेक्स में प्रमुख गिरावट वाले स्टॉक्स

सोमवार के ट्रेडिंग में, रिलायंस इंडस्ट्रीज, सन फार्मा, इंफोसिस, टाटा मोटर्स जैसे बड़े स्टॉक्स में भारी गिरावट देखने को मिली। हालांकि, इस गिरावट के बीच महिंद्रा एंड महिंद्रा, टेक महिंद्रा, और एचसीएल टेक्नोलॉजीज जैसे कुछ स्टॉक्स में मामूली बढ़त दर्ज की गई। इससे यह स्पष्ट है कि चुनिंदा स्टॉक्स में निवेशकों का विश्वास अभी भी बना हुआ है, लेकिन ज्यादातर बड़े स्टॉक्स में गिरावट का सिलसिला जारी है।

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरें: क्या होगा असर?

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी बैठक में ब्याज दरों के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय होने की उम्मीद है। बढ़ती महंगाई और आर्थिक पुनरुद्धार की चुनौतियों के बीच, यह देखना होगा कि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में वृद्धि करता है या नहीं। यदि ब्याज दरों में वृद्धि की जाती है, तो इसका असर केवल अमेरिकी बाजारों पर ही नहीं बल्कि वैश्विक बाजारों, विशेषकर उभरते हुए बाजारों पर भी पड़ेगा। ब्याज दरें बढ़ने से निवेशक अपने निवेश को अमेरिकी बॉन्ड जैसी सुरक्षित संपत्तियों में बदल सकते हैं, जिससे भारतीय शेयर बाजार पर दबाव बनेगा।

वैश्विक बाजार की स्थिति

अन्य एशियाई बाजारों में भी सोमवार को अस्थिरता देखी गई। सियोल, शंघाई और हांगकांग के बाजार हल्के से बढ़त पर थे, जबकि अमेरिकी बाजार शुक्रवार को हरे निशान में बंद हुए। हालांकि, यूरोप और अमेरिका में भी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों और वहां की अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर बढ़ती चिंताओं के कारण वैश्विक निवेशक भी सतर्कता बरत रहे हैं।

भारतीय निवेशकों के लिए सुझाव

इस अस्थिर माहौल में, भारतीय निवेशकों को सतर्कता के साथ निवेश करने की सलाह दी जा रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस समय बाजार में भारी उतार-चढ़ाव हो सकता है, और ऐसे में निवेशकों को अपने पोर्टफोलियो को सुरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित सुझावों पर ध्यान देना चाहिए:

  • लंबी अवधि के निवेश पर ध्यान दें: यदि आप लंबी अवधि के निवेशक हैं, तो इस अस्थिरता को नजरअंदाज कर सकते हैं। बाजार में गिरावट के बावजूद लंबी अवधि में अच्छे रिटर्न मिलने की संभावना रहती है।
  • विविध पोर्टफोलियो बनाएं: जोखिम को कम करने के लिए अपने निवेश को विभिन्न सेक्टर्स और एसेट्स में बांटें। इससे एक सेक्टर की गिरावट का असर आपके पूरे पोर्टफोलियो पर नहीं पड़ेगा।
  • अमेरिकी चुनाव परिणाम का इंतजार करें: अमेरिकी चुनावों का असर अंतरराष्ट्रीय बाजारों के साथ-साथ भारतीय बाजार पर भी पड़ सकता है। इसलिए निवेशकों को चुनावी नतीजों तक इंतजार करना चाहिए।
  • बड़े स्टॉक्स में निवेश करें: रिलायंस, टीसीएस, इंफोसिस जैसे ब्लू-चिप स्टॉक्स में निवेश को प्राथमिकता दें, क्योंकि ये स्टॉक्स अक्सर बाजार की अस्थिरता को झेलने में सक्षम होते हैं।

चुनावी अनिश्चितता और संभावित परिणाम

अमेरिकी चुनाव के इस माहौल में जो बाइडेन और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच का मुकाबला काफी करीबी है। यदि वर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पुनः जीत हासिल करते हैं, तो उनके कर सुधार और व्यापारिक नीतियों का असर अमेरिकी और अंतरराष्ट्रीय बाजारों पर पड़ सकता है। वहीं, यदि बाइडेन जीतते हैं, तो उनकी नीति संभवतः पर्यावरण संरक्षण और उच्च कराधान की ओर झुकी हो सकती है, जिससे कुछ उद्योगों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।

भारतीय बाजार की स्थिरता काफी हद तक अमेरिकी चुनावी परिणामों, अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसलों और विदेशी निवेशकों के रुख पर निर्भर करेगी। हाल ही में एफआईआई द्वारा की गई भारी निकासी के बाद, अगर निवेशकों का विश्वास पुनः बहाल होता है और एफआईआई वापस भारतीय बाजार में लौटते हैं, तो बाजार में मजबूती लौट सकती है। इसके साथ ही, भारतीय कंपनियों के तिमाही नतीजों पर भी निवेशकों की नजर रहेगी, क्योंकि यह परिणाम भी बाजार की दिशा को प्रभावित कर सकते हैं।

यह भी पढ़े: क्या Nifty और Bank Nifty ट्रेंड बदलेंगे? जानें 24,500 और 51,500 के स्तर पर संभावनाएं

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here