दुनिया का 100 ट्रिलियन डॉलर का वित्तीय टाइमबॉम्ब: ख़तरे की घंटी लगातार बज रही है

IMF ने चेताया कि दुनिया का सार्वजनिक कर्ज़ 100 ट्रिलियन डॉलर से पार हो गया है, जिससे वैश्विक आर्थिक स्थिरता को ख़तरा है।

The world's $100 trillion financial timebomb: The alarm bells keep ringing
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वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष एक गंभीर संकट उत्पन्न हो रहा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने चेताया है कि वैश्विक सार्वजनिक कर्ज़ 2024 के अंत तक 100 ट्रिलियन डॉलर के खतरनाक स्तर तक पहुँच जाएगा। यह कर्ज़ अब तक का सबसे ऊँचा स्तर है, जो वैश्विक जीडीपी के 93% तक पहुँच गया है, और 2030 तक इसके 100% के करीब पहुँचने की आशंका जताई जा रही है। यह स्थिति विशेष रूप से अमेरिका और चीन जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अधिक चिंताजनक है, जहां कर्ज़ का स्तर और भी तेज़ी से बढ़ रहा है।

वैश्विक कर्ज़ संकट: उभरती चुनौतियाँ

IMF की ताज़ा Fiscal Monitor रिपोर्ट के अनुसार, यह कर्ज़ केवल COVID-19 महामारी के दौरान ही नहीं बढ़ा, बल्कि अब उच्च खर्च की प्रवृत्ति और धीमी आर्थिक वृद्धि के कारण और भी गहराता जा रहा है। IMF के अनुसार, भविष्य में कर्ज़ का स्तर और भी अधिक हो सकता है, क्योंकि सरकारें हरे ऊर्जा में बदलाव, जनसंख्या वृद्धि और सुरक्षा खतरों जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए अधिक खर्च कर रही हैं​।

इतने भारी कर्ज़ का वैश्विक अर्थव्यवस्था पर दूरगामी प्रभाव हो सकता है। IMF का कहना है कि अधिक कर्ज़ से ब्याज दरें बढ़ सकती हैं, जिससे कर्ज़ लेना महंगा हो जाएगा और देश आर्थिक संकट में फंस सकते हैं। सबसे बड़ी चुनौती यह है कि कई देश अपने कर्ज़ स्थिर नहीं कर पा रहे हैं। उदाहरण के तौर पर, अमेरिका, चीन, ब्राज़ील, ब्रिटेन, फ्रांस, और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में कर्ज़ की समस्या गंभीर बनी हुई है। इन देशों में बढ़ते कर्ज़ को नियंत्रित करने के लिए अधिक सख्त आर्थिक नीतियों की ज़रूरत है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और खर्चों में कटौती करने की अनिच्छा इसे और भी कठिन बना रही है​।

IMF की सिफारिशें

IMF ने सार्वजनिक खर्चों में कटौती और वित्तीय नीति में सुधार की सिफारिश की है। विशेष रूप से, उन देशों को चेताया गया है जो बड़े पैमाने पर कर्ज़ में डूबे हुए हैं। IMF के अनुसार, इन देशों को कर्ज़ स्थिर करने के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 3.8% तक की सख्त वित्तीय नीतियाँ अपनानी होंगी​।

हालांकि, IMF यह भी चेतावनी देता है कि अगर इन नीतियों को सही समय पर लागू नहीं किया गया, तो इसका असर और भी गंभीर हो सकता है। उच्च कर्ज़ और खराब वित्तीय नीतियों से बाजार में नकारात्मक प्रतिक्रियाएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जिससे सरकारों के लिए भविष्य में आर्थिक झटकों से निपटना और भी कठिन हो जाएगा​।

चीन और अमेरिका पर विशेष प्रभाव

चीन और अमेरिका दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएँ हैं, और इन दोनों देशों का कर्ज़ संकट वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। IMF के अनुसार, इन दोनों देशों में वित्तीय नीतियों की अनिश्चितता और राजनीतिक अस्थिरता से वैश्विक बाजार पर बुरा असर पड़ सकता है। इसके परिणामस्वरूप अन्य देशों को भी उच्च ब्याज दरों और कर्ज़ संबंधी जोखिमों का सामना करना पड़ सकता है​।

IMF ने चेताया है कि अगर यह संकट समय रहते नियंत्रित नहीं किया गया, तो वैश्विक वित्तीय प्रणाली में गंभीर अस्थिरता आ सकती है। खासकर उभरते हुए देशों के लिए यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, जहां आर्थिक संसाधन सीमित हैं और विकास की गति धीमी हो रही है।

वैश्विक बाजार पर प्रभाव

इस समय, वैश्विक वित्तीय बाजार में अनिश्चितता का माहौल है। IMF की रिपोर्ट के अनुसार, अगर समय रहते वित्तीय सुधारों को लागू नहीं किया गया, तो यह सार्वजनिक निवेश और सामाजिक कल्याण योजनाओं पर भारी असर डाल सकता है। इससे न केवल विकास दर कम होगी, बल्कि गरीब और असुरक्षित समुदायों पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विशेष रूप से, उन देशों में जहां सामाजिक सुरक्षा तंत्र पहले से ही कमजोर है, वहां अधिक कर्ज़ संकट का सामना करना पड़ सकता है​।

निहितार्थ: विश्व के लिए चेतावनी

IMF की यह चेतावनी पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर संकेत है। आने वाले वर्षों में कर्ज़ संकट और भी बढ़ सकता है, और इसके समाधान के लिए वैश्विक स्तर पर समन्वित प्रयासों की आवश्यकता है। IMF ने कहा है कि अब समय आ गया है कि सरकारें अपने वित्तीय सुधारों को प्राथमिकता दें और कर्ज़ के बोझ को कम करने के लिए कदम उठाएँ​।

अगर दुनिया इस संकट का समाधान ढूंढने में विफल रहती है, तो भविष्य में वित्तीय अस्थिरता और सामाजिक असमानता और भी बढ़ सकती है। यह आवश्यक है कि सभी देश अपनी वित्तीय नीतियों में सुधार करें और वैश्विक कर्ज़ संकट से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएँ।

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Team K.H.
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