सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् एक अत्यधिक शक्तिशाली और रहस्यमयी मंत्र है, जिसका संबंध दुर्गा सप्तशती से है। इसे “कुंजिका” या “चाबी” स्तुति कहा जाता है क्योंकि इसे चंडी पाठ (दुर्गा सप्तशती) के पूर्ण लाभ प्राप्त करने की कुंजी माना जाता है। सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् का उच्चारण साधक को सिद्धि, सुरक्षा और जीवन के विभिन्न संकटों से मुक्त करता है। यह स्तोत्र तांत्रिक साधना का महत्वपूर्ण हिस्सा है और दुर्गा माता के प्रति समर्पित है, जो शक्ति और विजय की देवी मानी जाती हैं।
सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्र का महत्व:
सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् को भगवान शिव ने माता पार्वती को यह कहते हुए बताया था कि इसके पाठ से दुर्गा सप्तशती का फल तुरंत प्राप्त होता है। इस स्तोत्र के पाठ से सप्तशती के अन्य सामान्य स्तोत्र जैसे कवच, अर्गला, कीलक या रहस्य का पाठ करने की आवश्यकता नहीं होती है। इस स्तोत्र का मुख्य उद्देश्य देवी के अनुग्रह को प्राप्त करना है और साधक के जीवन में अवरोधों को दूर करना है।
सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् का मूल उद्देश्य:
- सिद्धियों की प्राप्ति: इसका नियमित पाठ करने से साधक को सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है। यह वित्तीय संकट, शत्रुओं से सुरक्षा, और अदृश्य बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
- दुर्गा सप्तशती के समान फल: दुर्गा सप्तशती का पूर्ण पाठ अत्यंत जटिल और समय-साध्य हो सकता है, जबकि सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् का पाठ उस फल को संक्षेप में प्राप्त करने की एक विधि है। भगवान शिव ने स्पष्ट किया है कि केवल इस स्तोत्र का पाठ दुर्गा सप्तशती के पूरे पाठ के बराबर फल देता है।
- तांत्रिक महत्व: इस स्तोत्र के माध्यम से तांत्रिक साधक मोहन, वशीकरण, स्तंभन और अन्य शक्तियों की प्राप्ति कर सकते हैं। यह स्तोत्र बेहद गुप्त और शक्तिशाली है, जिसका अनुशासन के साथ पालन करना अनिवार्य है।
॥ सिद्धकुञ्जिकास्तोत्रम् ॥Siddha Kunjika Stotram Lyrics |
शिव उवाच
शृणु देवि प्रवक्ष्यामि, कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्।
येन मन्त्रप्रभावेण चण्डीजापः शुभो भवेत॥1॥
न कवचं नार्गलास्तोत्रं कीलकं न रहस्यकम्।
न सूक्तं नापि ध्यानं च न न्यासो न च वार्चनम्॥2॥
कुञ्जिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
अति गुह्यतरं देवि देवानामपि दुर्लभम्॥3॥
गोपनीयं प्रयत्नेन स्वयोनिरिव पार्वति।
मारणं मोहनं वश्यं स्तम्भनोच्चाटनादिकम्।
पाठमात्रेण संसिद्ध्येत् कुञ्जिकास्तोत्रमुत्तमम्॥4॥
॥ अथ मन्त्रः ॥
ॐ ऐं ह्रीं क्लींचामुण्डायै विच्चे॥
ॐ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालयज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वलहं सं लं क्षं फट् स्वाहा॥
॥ इति मन्त्रः ॥
नमस्ते रूद्ररूपिण्यै नमस्ते मधुमर्दिनि।
नमः कैटभहारिण्यै नमस्ते महिषार्दिनि॥1॥
नमस्ते शुम्भहन्त्र्यै च निशुम्भासुरघातिनि।
जाग्रतं हि महादेवि जपं सिद्धं कुरूष्व मे॥2॥
ऐंकारी सृष्टिरूपायै ह्रींकारी प्रतिपालिका।
क्लींकारी कामरूपिण्यै बीजरूपे नमोऽस्तु ते॥3॥
चामुण्डा चण्डघाती च यैकारी वरदायिनी।
विच्चे चाभयदा नित्यं नमस्ते मन्त्ररूपिणि॥4॥
धां धीं धूं धूर्जटेः पत्नी वां वीं वूं वागधीश्वरी।
क्रां क्रीं क्रूं कालिका देवि शां शीं शूं मे शुभं कुरु॥5॥
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।
भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भवान्यै ते नमो नमः॥6॥
अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं।
धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा॥7॥
पां पीं पूं पार्वती पूर्णा खां खीं खूं खेचरी तथा।
सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे॥8॥
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे।
अभक्ते नैव दातव्यंगोपितं रक्ष पार्वति॥
यस्तु कुञ्जिकाया देवि हीनां सप्तशतीं पठेत्।
न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा॥
॥ इति श्रीरुद्रयामले गौरीतन्त्रे शिवपार्वतीसंवादे कुञ्जिकास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
॥ ॐ तत्सत् ॥
स्तोत्र की शक्ति और उपयोग:
सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् का पाठ नवदुर्गा के दौरान विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है, विशेषकर रात्रिकालीन साधनाओं में। इसे दुर्गा सप्तशती के पहले पाठ किया जाता है ताकि देवी दुर्गा का आशीर्वाद शीघ्र प्राप्त हो सके और साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो।
सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करें:
- इसे किसी भी समय किया जा सकता है, लेकिन इसे सुबह के समय या किसी विशेष धार्मिक आयोजन के दौरान करना अधिक प्रभावी माना जाता है।
- नवमी या अष्टमी के दिन विशेष रूप से इसका पाठ लाभकारी होता है।
- कठिन परस्थितियों में, जैसे कि शत्रुओं से सुरक्षा, आर्थिक संकट या अदृश्य बाधाओं से मुक्ति के लिए भी इसका नियमित पाठ किया जाता है।
सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् से जुड़े लाभ:
- दुश्मनों से सुरक्षा: इस स्तोत्र के पाठ से साधक अपने शत्रुओं से पूर्ण सुरक्षा प्राप्त कर सकता है। यह जीवन में शांति और स्थायित्व लाता है।
- धन और समृद्धि: जो लोग आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए इसका नियमित पाठ धन-संबंधी समस्याओं का समाधान करता है और बेवजह के खर्चों से बचाता है।
- काले जादू और बुरी नज़र से सुरक्षा: यह मंत्र नकारात्मक शक्तियों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। काले जादू और बुरी नजर से परेशान व्यक्तियों के लिए यह स्तोत्र अत्यधिक प्रभावी है।
- आध्यात्मिक जागरण: इसके नियमित पाठ से साधक का आध्यात्मिक जागरण होता है और उसे दिव्य शक्ति का अनुभव होता है।
सिद्ध कुञ्जिका स्तोत्रम् एक अद्वितीय और शक्तिशाली स्तुति है जो देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रमुख है। इसका नियमित और अनुशासनयुक्त पाठ साधक के जीवन में शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक जागरण लाता है। इस स्तोत्र के गूढ़ और रहस्यमयी स्वरूप के कारण, इसे केवल योग्य साधकों द्वारा ही करना चाहिए, क्योंकि इसका अनुचित प्रयोग नुकसानदेह हो सकता है। जब विधिपूर्वक इसका पालन किया जाता है, तो यह मंत्र साधक को उन सभी कठिनाइयों से मुक्त करता है जिनका सामना वह अपने जीवन में कर रहा होता है।
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