भारत ने 2024 में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर पार किया जब उसके विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व्स) $700 बिलियन को पार कर गए, जिससे यह दुनिया का चौथा ऐसा देश बन गया जिसने इस ऊंचाई को हासिल किया है। इससे पहले यह उपलब्धि चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के पास थी। इस वित्तीय वृद्धि ने भारत की आर्थिक स्थिति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत बना दिया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि भारत न केवल एक मजबूत अर्थव्यवस्था है बल्कि वैश्विक आर्थिक अस्थिरता से निपटने में भी सक्षम है।
फॉरेक्स रिजर्व्स क्या हैं?
फॉरेक्स रिजर्व्स वे विदेशी मुद्राएँ हैं जो किसी देश का केंद्रीय बैंक जमा करता है ताकि उसे अंतरराष्ट्रीय लेन-देन, मुद्रा स्थिरता और आपातकालीन स्थितियों में उपयोग किया जा सके। इन भंडारों में अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन और ब्रिटिश पाउंड जैसी प्रमुख मुद्राएँ शामिल होती हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का उद्देश्य इन भंडारों के माध्यम से रुपये की स्थिरता बनाए रखना और घरेलू आर्थिक गतिविधियों को वैश्विक झटकों से सुरक्षित रखना है।
भारत की फॉरेक्स यात्रा: $100 बिलियन से $700 बिलियन तक
भारत ने पहली बार दिसंबर 2003 में $100 बिलियन का आंकड़ा छुआ था। इसके बाद अगले $100 बिलियन जोड़ने में तीन साल से अधिक का समय लगा। हालांकि, 2008 में $300 बिलियन तक की वृद्धि महज एक साल में हो गई, लेकिन $400 बिलियन तक पहुंचने में नौ साल लगे।
2024 में भारत के फॉरेक्स रिजर्व्स $700 बिलियन के आंकड़े को पार कर गए, जो सितंबर 27 को समाप्त सप्ताह में $12.6 बिलियन की वृद्धि से संभव हो पाया। इस बड़ी वृद्धि का मुख्य कारण था विदेशी पूंजी का देश में प्रवाह, जिसमें स्टॉक और बॉन्ड बाजारों में विदेशी निवेश (FPI) का बड़ा योगदान रहा।
क्यों महत्वपूर्ण है यह उपलब्धि?
$700 बिलियन का आंकड़ा न केवल प्रतीकात्मक है बल्कि भारत की आर्थिक नीतियों की सफलता और वैश्विक निवेशकों के विश्वास का भी प्रतीक है। यह रिजर्व भारत की अर्थव्यवस्था के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है, जो बाहरी आर्थिक दबाव, जैसे कि तेल की कीमतों में अस्थिरता और मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव, से बचाने में मदद करता है।
इसके साथ ही, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार न केवल आयात खर्चों को कवर करने के लिए पर्याप्त है बल्कि इसके पास आपातकालीन स्थितियों से निपटने के लिए भी पर्याप्त संसाधन हैं। उदाहरण के लिए, 2024 में, भारत के पास इतना रिजर्व है कि वह एक साल से अधिक के आयात खर्च को कवर कर सकता है।
विदेशी निवेशकों का विश्वास और भविष्य की संभावनाएँ
इस समय, भारत में विदेशी निवेशकों का विश्वास मजबूत है। 2024 में अब तक लगभग $30 बिलियन का विदेशी निवेश भारतीय बॉन्ड और स्टॉक मार्केट में आया है। विदेशी निवेशकों की यह रुचि न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती का प्रतीक है, बल्कि इससे देश की अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिति भी और मजबूत हुई है। विश्लेषकों का मानना है कि 2026 तक भारत का फॉरेक्स रिजर्व $745 बिलियन तक पहुँच सकता है।
मुद्रा स्थिरता और RBI की भूमिका
भारतीय रिजर्व बैंक का मुख्य उद्देश्य रुपये की स्थिरता बनाए रखना है। हालांकि $700 बिलियन का फॉरेक्स रिजर्व होना रुपये को सीधे मजबूत नहीं करता, लेकिन यह मुद्रा बाजार में अत्यधिक अस्थिरता को रोकने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, जब रुपया कमजोर होता है तो RBI डॉलर बेचकर रुपये को स्थिर करता है, और जब रुपया मजबूत होता है तो वह डॉलर खरीदता है।
भारत का $700 बिलियन का फॉरेक्स रिजर्व पार करना केवल एक संख्या नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक प्रगति और स्थिरता का प्रतीक है। इससे यह साफ है कि भारत न केवल आंतरिक विकास पर ध्यान दे रहा है, बल्कि वैश्विक आर्थिक परिवेश में भी खुद को एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रहा है। आने वाले वर्षों में, यह रिजर्व भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी और स्थिर बनाएगा।
यह भी पढ़े: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024: 9 बजे तक 9.5% मतदान, प्रमुख बिंदु