भारत में गोल्ड लोन सेक्टर तेजी से बढ़ा है, खासकर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) जैसे Muthoot Finance और Manappuram Finance के लिए। हालांकि, हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी किए गए निर्देशों के बाद इस सेक्टर में अनियमितताओं के संकेत मिले हैं। RBI ने इन कंपनियों को तीन महीने का समय दिया है कि वे अपने लोन प्रोसेस में सुधार करें, अन्यथा उन पर सख्त निगरानी कार्रवाई की जाएगी।
गोल्ड लोन सेक्टर में अनियमितताएं
RBI ने अपने निरीक्षण में पाया कि कई गोल्ड लोन फाइनेंसर्स ने जोखिम प्रबंधन, लोन-टू-वैल्यू (LTV) अनुपात, और नीलामी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी दिखाई है। खासकर, गोल्ड लोन के डिफॉल्ट होने की स्थिति में सोने की नीलामी में गड़बड़ियों का सामना किया गया। इसके अलावा, कुछ कंपनियों ने ऋण की अवधि समाप्त होने पर आंशिक भुगतान कर ऋणों का रोलओवर किया, जिससे उनका NPA (Non-Performing Assets) डेटा सही ढंग से रिपोर्ट नहीं हुआ।
RBI के सर्कुलर के बाद, Muthoot Finance और Manappuram Finance के शेयरों में क्रमशः 3.4% और 2.3% तक की गिरावट देखी गई। हालांकि, बड़ी NBFCs जैसे Muthoot Finance और Manappuram Finance पर इसका सीधा और गहरा प्रभाव नहीं पड़ा है क्योंकि ये कंपनियां पहले से ही बेहतर नियामक प्रक्रियाओं का पालन कर रही हैं।
Muthoot और Manappuram के लिए अवसर
हालांकि यह सर्कुलर लघु NBFCs, फिनटेक्स, और बैंकों के लिए एक नकारात्मक संकेत है, जो गोल्ड लोन ग्रोथ में गिरावट का सामना कर सकते हैं, विशेषज्ञों का मानना है कि Muthoot और Manappuram जैसी बड़ी कंपनियों को इससे लाभ हो सकता है। इन कंपनियों के पास मजबूत नियामक ढांचा और पारदर्शी प्रक्रियाएं हैं, जिससे वे इस संकट से आसानी से उबर सकती हैं। Nirmal Bang के विश्लेषण के अनुसार, इन कंपनियों की औसत LTV (Loan to Value) 63.4% और 60.3% है, जो RBI द्वारा निर्धारित 75% की सीमा से काफी कम है।
विश्लेषकों का मानना है कि Muthoot और Manappuram जैसे प्रमुख खिलाड़ी इस स्थिति में बेहतर तरीके से डटे रहेंगे, लेकिन इन पर दबाव बना रहेगा। Morgan Stanley और Motilal Oswal जैसे ब्रोकरेज हाउसेस का मानना है कि यह घटनाक्रम निवेशकों की भावनाओं पर नकारात्मक असर डाल सकता है, हालांकि लंबी अवधि में इन कंपनियों के लिए स्थिति स्थिर रह सकती है।
RBI द्वारा लगाए गए नियामक प्रतिबंधों के बाद Muthoot Finance और Manappuram Finance को अपने लोन संचालन में पारदर्शिता बढ़ानी होगी। जबकि अल्पकालिक उतार-चढ़ाव शेयर बाजार में देखा जा सकता है, दीर्घकालिक दृष्टिकोण से, इन कंपनियों की स्थिरता और बड़े बाजार हिस्से पर उनका कब्जा उन्हें भविष्य में मजबूत बनाए रख सकता है।
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