27 सितंबर, 2024 को इज़राइल ने लेबनान की राजधानी बेरूत में एक प्रमुख हवाई हमला किया, जिसमें हिज़बुल्ला के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत हो गई। यह हमला इज़राइली वायु सेना द्वारा किया गया, जिसमें अमेरिकी निर्मित 900 किलोग्राम के ‘बंकर-बस्टर’ बम का इस्तेमाल किया गया। यह हमला नसरल्लाह के भूमिगत बंकर पर किया गया था, जहाँ वह अन्य वरिष्ठ हिज़बुल्ला कमांडरों के साथ एक बैठक में थे। यह घटना हिज़बुल्ला और इज़राइल के बीच लंबे समय से जारी तनाव का हिस्सा है, जिसने क्षेत्र में अस्थिरता बढ़ा दी है।
हमले का विवरण
इस हमले में इज़राइल द्वारा अमेरिकी निर्मित ‘मार्क 84’ सीरीज के बंकर-बस्टर बम का इस्तेमाल किया गया, जो लगभग 900 किलोग्राम वजनी होता है। ये बम विशेष रूप से भूमिगत बंकरों और सुरक्षित स्थलों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इस बम को ‘जेडीएएम’ (Joint Direct Attack Munition) प्रणाली के साथ जोड़ा गया था, जो इसे एक सटीकता से निर्देशित हथियार में बदल देता है। इज़राइल के इस हवाई हमले में हिज़बुल्ला के शीर्ष नेता हसन नसरल्लाह सहित कई अन्य वरिष्ठ कमांडर मारे गए। यह हमला अमेरिकी हथियारों की मदद से हुआ, जो इज़राइल का प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ता रहा है, विशेष रूप से जब से इज़राइल और हमास के बीच संघर्ष तेज हुआ है।
अमेरिकी और इज़राइली संबंध
इज़राइल और अमेरिका के बीच घनिष्ठ सैन्य और राजनीतिक संबंध हैं, और अमेरिका इज़राइल को अत्याधुनिक हथियार और सैन्य तकनीक की आपूर्ति करता है। इज़राइल-हमास संघर्ष के दौरान, अमेरिका ने इज़राइल को हथियारों की आपूर्ति में तेजी लाई है। अमेरिकी सीनेटर मार्क केली के अनुसार, इस हमले में इस्तेमाल हुआ बम अमेरिकी निर्माण का ‘मार्क 84’ सीरीज का था, जिसे ‘बंकर-बस्टर’ के नाम से भी जाना जाता है। ये बम बड़ी इमारतों, बंकरों, और भूमिगत संरचनाओं को नष्ट करने के लिए इस्तेमाल होते हैं।
हसन नसरल्लाह का महत्व और प्रभाव
हसन नसरल्लाह, जो हिज़बुल्ला के नेता थे, का मध्य पूर्व की राजनीति में महत्वपूर्ण स्थान था। हिज़बुल्ला, एक ईरान समर्थित शिया मिलिशिया, लेबनान और इज़राइल के बीच लंबे समय से संघर्षरत रहा है। नसरल्लाह ने हिज़बुल्ला को एक शक्तिशाली सैन्य और राजनीतिक संगठन में तब्दील किया, जिसने न केवल लेबनान की राजनीति में बल्कि पूरे क्षेत्र में प्रभाव डाला। नसरल्लाह की मौत ने हिज़बुल्ला के लिए एक बड़ा झटका साबित किया, लेकिन संगठन ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह इज़राइल के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखेगा।
हमले के बाद की स्थिति
नसरल्लाह की मौत के बाद, इज़राइल ने हिज़बुल्ला के खिलाफ अपनी सैन्य कार्रवाई तेज कर दी है। इस हमले के बाद हिज़बुल्ला के अन्य वरिष्ठ नेताओं जैसे नबील कावोक, अली करकी और इब्राहीम अकील की भी मौत हुई। इज़राइल के इन हमलों ने हिज़बुल्ला की नेतृत्व संरचना को कमजोर कर दिया है, जिससे संगठन के भीतर एक नेतृत्व शून्य पैदा हुआ है।
लेबनान के स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, इस हमले के बाद 105 लोग मारे गए और 359 घायल हुए। यह संघर्ष न केवल सैन्य स्तर पर बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भी बड़ा प्रभाव डालेगा, विशेष रूप से ईरान और इज़राइल के बीच चल रही शीत युद्ध की स्थिति में। इस हमले के बाद से ही लेबनान और इज़राइल के बीच तनाव बढ़ गया है, जिससे एक व्यापक संघर्ष की आशंका भी बनी हुई है।
इज़राइल द्वारा हिज़बुल्ला प्रमुख हसन नसरल्लाह की हत्या एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने न केवल हिज़बुल्ला के भीतर उथल-पुथल मचा दी है, बल्कि पूरे मध्य पूर्व क्षेत्र में अस्थिरता को और बढ़ा दिया है। अमेरिकी हथियारों की मदद से हुए इस हमले ने इज़राइल और अमेरिका के बीच गहरे सैन्य सहयोग को उजागर किया है, जबकि इससे क्षेत्रीय तनाव और बढ़ गया है। आने वाले समय में यह देखा जाना बाकी है कि इस घटना का क्या परिणाम होगा, लेकिन यह साफ है कि इसने इज़राइल और हिज़बुल्ला के बीच संघर्ष को और गहरा कर दिया है।
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