अनिल अंबानी की कंपनी का बड़ा कदम: कर्ज निपटान और कंपनी की स्थिति में सुधार
अनिल अंबानी के नेतृत्व वाली रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर (RInfra) और इसकी सहायक कंपनी रिलायंस पावर (RPower) ने अपने बड़े कर्ज निपटान के तहत 87% तक का कर्ज घटाकर ₹475 करोड़ कर लिया है। यह कर्ज पहले ₹3,831 करोड़ था, जिसे घटाकर मौजूदा स्थिति में लाया गया। इस महत्वपूर्ण कदम के चलते कंपनी ने अपने बैंकों और वित्तीय संस्थानों के बकाया देनदारियों का निपटारा कर दिया है।
कर्ज निपटान और वित्तीय स्थिति में सुधार
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने अपने स्टॉक एक्सचेंज नोटिस में बताया कि उन्होंने जीवन बीमा निगम (LIC), ICICI बैंक, यूनियन बैंक और Edelweiss ARC जैसी संस्थाओं के कर्जों को पूरी तरह से चुका दिया है। इसके साथ ही, कंपनी का कर्ज अब केवल ₹475 करोड़ पर आ गया है, जो पहले जून 2024 तक ₹3,831 करोड़ था।
कंपनी ने Invent Assets Securitisation and Reconstruction Private के साथ भी समझौता किया है, जिसके तहत कुछ चार्ज्ड सिक्योरिटीज़ का निपटान हुआ है। इसके परिणामस्वरूप, कंपनी का Invent ARC पर कर्ज अब शून्य हो गया है। इस कदम के साथ कंपनी की कुल शुद्ध संपत्ति अब ₹9,041 करोड़ हो गई है।
रिलायंस पावर और VIPL से जुड़ी अन्य गतिविधियाँ
रिलायंस पावर ने भी विदर्भ इंडस्ट्रीज पावर लिमिटेड (VIPL) के गारंटर के रूप में ₹3,872 करोड़ की देनदारी का निपटारा कर लिया है। इसके साथ ही, कंपनी पर से VIPL से जुड़े सभी गारंटी और अन्य देनदारियां समाप्त हो गई हैं। हालांकि, इस निपटान के तहत, VIPL के 100% शेयरों को CFM ARC के पक्ष में गिरवी रखना पड़ा।
इसके अलावा, रिलायंस पावर और उसकी सहायक कंपनियों ने CFM ARC के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत दोनों पक्षों द्वारा शुरू किए गए सभी कानूनी मामलों को वापस ले लिया जाएगा, जिसमें दिवालिया आवेदन भी शामिल है।
इस कर्ज निपटान के बाद रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के शेयर में 20% की तेजी देखी गई, जिससे यह ₹282.73 प्रति शेयर तक पहुँच गया। रिलायंस पावर के शेयर भी 5% की बढ़त के साथ ₹32.97 पर बंद हुए। वर्ष 2024 में कंपनी के शेयर ने 33% की वृद्धि दर्ज की, और पिछले एक साल में यह करीब 59% बढ़ा है।
अडानी समूह के साथ विवादों का निपटारा
इसके अलावा, रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर और अडानी एनर्जी सॉल्यूशन्स (पहले अडानी ट्रांसमिशन) के बीच 2017 में मुंबई पावर डिस्ट्रीब्यूशन बिजनेस के बिक्री समझौते से संबंधित विवाद को भी सुलझा लिया गया है। इस विवाद में सितंबर 2022 से ₹13,400 करोड़ की मध्यस्थता का दावा किया गया था, जिसे अब दोनों पक्षों ने आपसी सहमति से वापस ले लिया है।
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर का बोर्ड जल्द ही एक बैठक करेगा, जिसमें शेयरों के प्रेफरेंशियल अलॉटमेंट के जरिए लंबी अवधि की फंडिंग की योजना पर विचार किया जाएगा।
रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर द्वारा कर्ज निपटान का यह कदम न केवल कंपनी की वित्तीय स्थिति को मजबूत करता है, बल्कि इसे बाजार में भी स्थायित्व प्रदान करता है। कंपनी का कर्ज कम करने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है, और इसका सकारात्मक प्रभाव कंपनी के शेयर प्रदर्शन और निवेशकों की धारणा पर देखा जा रहा है।
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