हाल ही में अमेरिकी परिवहन कंपनी नॉरफ़ोक सदर्न (Norfolk Southern Corporation) ने अपने मुख्य कानूनी अधिकारी (Chief Legal Officer) नबनीता नाग (Nabanita Nag) को कंपनी के CEO एलन शॉ (Alan Shaw) के साथ सहमति के संबंधों के चलते बर्खास्त कर दिया। इस मामले ने कॉर्पोरेट जगत में हलचल मचा दी है, जहाँ दोनों उच्चस्तरीय अधिकारियों ने कंपनी की नैतिकता और नीति का उल्लंघन किया था।
घटनाक्रम की पृष्ठभूमि
नबनीता नाग, जो भारतीय मूल की कानूनी विशेषज्ञ हैं, ने नॉरफ़ोक सदर्न में 2020 में जनरल काउंसिल के रूप में अपनी सेवा शुरू की थी। उन्हें 2023 में कंपनी का मुख्य कानूनी अधिकारी और कार्यकारी उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया था। CEO एलन शॉ के साथ उनके संबंधों की जानकारी एक आंतरिक जांच के दौरान सामने आई, जिसने कंपनी की नैतिकता और नीतियों के उल्लंघन का खुलासा किया।
कंपनी ने इस बात को स्पष्ट किया कि इस बर्खास्तगी का कंपनी के प्रदर्शन, वित्तीय रिपोर्टिंग या संचालन से कोई लेना-देना नहीं है। यह निर्णय केवल नीतिगत उल्लंघनों के कारण लिया गया। शॉ और नाग दोनों पर यह आरोप लगाया गया कि उन्होंने सहमति से संबंध स्थापित करके कंपनी की आचार संहिता का उल्लंघन किया।
CEO एलन शॉ की भूमिका
एलन शॉ ने नॉरफ़ोक सदर्न में कई वर्षों तक सेवा दी थी, जहाँ उन्होंने विपणन अधिकारी से लेकर CEO तक की भूमिका निभाई। हालांकि, उनका करियर विवादों से अछूता नहीं रहा। 2023 में ओहियो के ईस्ट पलेस्टाइन में हुई कंपनी की रेल दुर्घटना, जिसने कंपनी पर $1 बिलियन से अधिक का नुकसान डाला, उनके नेतृत्व का एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इसके बावजूद, शॉ के नेतृत्व पर सवाल उठाए जाने लगे और अंततः यह संबंधों के खुलासे के बाद उनकी बर्खास्तगी का कारण बना।
आंतरिक जांच और नए नेतृत्व की घोषणा
कंपनी ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एक स्वतंत्र कानूनी फर्म से जांच कराई। इस जांच के बाद, शॉ और नाग को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया। इसके बाद कंपनी के मुख्य वित्तीय अधिकारी (CFO) मार्क जॉर्ज (Mark George) को CEO के पद पर नियुक्त किया गया। जॉर्ज ने नॉरफ़ोक सदर्न में 2019 में CFO के रूप में ज्वाइन किया था और कंपनी के नेतृत्व में अहम योगदान दिया था।
नैतिकता और कॉर्पोरेट नीति का उल्लंघन
कंपनियों में शीर्ष अधिकारियों के बीच संबंध अक्सर जटिल कानूनी और नैतिक मुद्दे पैदा करते हैं। नॉरफ़ोक सदर्न का यह मामला यह दर्शाता है कि चाहे संबंध सहमति से ही क्यों न हो, कंपनियों की नीतियों के खिलाफ होने पर इसे गंभीर उल्लंघन माना जाता है। नबनीता नाग और एलन शॉ दोनों ने सहमति के बावजूद अपने पदों का दुरुपयोग किया, जिसे कंपनी की नीतियों के खिलाफ माना गया।
इस घटना ने न केवल नॉरफ़ोक सदर्न के कॉर्पोरेट जगत में विवाद खड़ा किया, बल्कि नैतिकता और पेशेवर आचार संहिता के मुद्दों पर भी एक नई बहस शुरू कर दी है। उच्च पदों पर बैठे अधिकारी, जो कंपनियों की नैतिकता और नीति निर्धारण में प्रमुख भूमिका निभाते हैं, उनके लिए इस तरह का आचरण कई सवाल खड़े करता है।
इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि कॉर्पोरेट नैतिकता और आचार संहिता का उल्लंघन कितना गंभीर हो सकता है, चाहे संबंध सहमति से ही क्यों न हों। नॉरफ़ोक सदर्न ने इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई करते हुए यह संदेश दिया है कि कंपनी किसी भी प्रकार के नैतिक उल्लंघन को बर्दाश्त नहीं करेगी। यह घटना अन्य कंपनियों के लिए भी एक उदाहरण के रूप में काम करेगी, जहाँ उच्चस्तरीय अधिकारियों के आचरण को लेकर सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
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