9/11 आतंकी हमला: इस्लाम को लेकर क्या सोचता था ओसामा बिन लादेन? अमेरिका को क्यों माना सबसे बड़ा दुश्मन?

9/11 Terrorist Attack
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11 सितंबर 2001 की तारीख पूरी दुनिया के लिए काले दिन के रूप में दर्ज हो गई। इस दिन, अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में स्थित वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावरों पर आतंकवादी हमले ने न केवल अमेरिका बल्कि पूरे विश्व को हिला कर रख दिया। इस हमले को अल-कायदा नामक आतंकवादी संगठन ने अंजाम दिया, जिसका नेतृत्व ओसामा बिन लादेन कर रहा था। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर ओसामा बिन लादेन की इस्लाम के प्रति क्या सोच थी? और उसने अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन क्यों माना?

इस लेख में हम ओसामा बिन लादेन की विचारधारा, उसके धर्म और राजनीति से जुड़े नजरिए, और 9/11 के हमले की पृष्ठभूमि को गहराई से समझने की कोशिश करेंगे।

ओसामा बिन लादेन कौन था?

ओसामा बिन लादेन का जन्म 10 मार्च 1957 को सऊदी अरब के एक संपन्न परिवार में हुआ था। उसके पिता मोहम्मद बिन लादेन एक प्रभावशाली और धनी व्यापारी थे, जो निर्माण कार्यों में प्रमुख भूमिका निभाते थे। ओसामा का जीवन शुरू में आम था, लेकिन युवा अवस्था में उसकी विचारधारा में परिवर्तन आया और उसने धार्मिक कट्टरता की ओर कदम बढ़ाए।

1980 के दशक में, जब सोवियत संघ ने अफगानिस्तान पर आक्रमण किया, तब ओसामा बिन लादेन ने मुजाहिदीन लड़ाकों का समर्थन करना शुरू किया। उस समय अमेरिका ने भी सोवियत संघ के खिलाफ अफगान मुजाहिदीन को समर्थन दिया था। लेकिन सोवियत संघ की हार के बाद, ओसामा की विचारधारा में अमेरिका के प्रति नफरत बढ़ने लगी।

ओसामा की इस्लाम को लेकर सोच

ओसामा बिन लादेन ने इस्लाम को अपने आतंकी मकसदों के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। उसने इस्लामिक सिद्धांतों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया और अपने अनुयायियों को पश्चिमी दुनिया, विशेषकर अमेरिका, के खिलाफ जिहाद के नाम पर हिंसा करने के लिए प्रेरित किया।

हालांकि इस्लाम एक शांति का धर्म है, और जिहाद का वास्तविक अर्थ संघर्ष और आत्म-सुधार है, लेकिन ओसामा ने इस अवधारणा को तोड़कर हिंसात्मक जिहाद की ओर मोड़ दिया। उसके अनुसार, इस्लामी दुनिया पर विदेशी शक्तियों, खासकर अमेरिका, का प्रभाव इस्लाम की स्वतंत्रता और पवित्रता के खिलाफ था। उसने दावा किया कि इस्लामिक दुनिया को “पश्चिमी आक्रमण” से बचाने के लिए जिहाद आवश्यक था।

अमेरिका से ओसामा की दुश्मनी

ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका को अपना सबसे बड़ा दुश्मन माना। इसके कई कारण थे, जिनमें से कुछ ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक थे।

  1. अमेरिकी सेना की सऊदी अरब में उपस्थिति: 1990-91 के खाड़ी युद्ध के दौरान, अमेरिका ने सऊदी अरब में अपनी सेना तैनात की थी। सऊदी अरब इस्लाम के सबसे पवित्र स्थान मक्का और मदीना का घर है, और ओसामा ने इसे इस्लाम के पवित्र स्थानों की बेअदबी के रूप में देखा। उसके अनुसार, गैर-मुस्लिम सैनिकों की उपस्थिति इस्लामी परंपराओं का अपमान था।
  2. फिलिस्तीन-इजराइल विवाद: ओसामा बिन लादेन ने फिलिस्तीन के मुद्दे पर भी अमेरिका को दोषी ठहराया। उसने अमेरिका पर इजराइल का समर्थन करने और फिलिस्तीनियों के अधिकारों की अनदेखी करने का आरोप लगाया। उसके विचार में, अमेरिका की इजराइल नीति ने मुस्लिम समुदाय के साथ अन्याय किया था।
  3. अमेरिका की पश्चिमी संस्कृति और विचारधारा: ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका की संस्कृति, राजनीति और विचारधारा को इस्लामी समाज के लिए खतरा माना। उसके अनुसार, अमेरिका की भौतिकवादी संस्कृति, नैतिक मान्यताएं, और राजनीतिक हस्तक्षेप इस्लामिक मूल्यों के विपरीत थे। उसने पश्चिमी लोकतंत्र और पूंजीवाद को इस्लामी जीवनशैली के लिए खतरे के रूप में देखा और इस्लामी कानूनों की वापसी की मांग की।
  4. अमेरिका द्वारा मुस्लिम देशों में हस्तक्षेप: ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका पर आरोप लगाया कि वह मुस्लिम देशों में राजनैतिक और सैन्य हस्तक्षेप कर रहा है। उसने इसे इस्लामिक शासन और संप्रभुता के खिलाफ एक आक्रमण माना और इसे जिहाद के लिए एक औचित्य बनाया।

9/11 का प्लान और अंजाम

9/11 का हमला ओसामा बिन लादेन और अल-कायदा के द्वारा किए गए सबसे बड़े और सबसे भयावह आतंकी हमलों में से एक था। इस हमले को “अमेरिकी साम्राज्यवाद” के खिलाफ प्रतिशोध के रूप में पेश किया गया।

योजना कैसे बनी?

1990 के दशक के अंत में, अल-कायदा ने अमेरिका पर बड़े पैमाने पर हमला करने की योजना बनानी शुरू की। इस योजना का उद्देश्य न केवल अमेरिकी प्रतिष्ठानों को निशाना बनाना था, बल्कि अमेरिकी जनता में आतंक और भय फैलाना भी था।

ओसामा ने अल-कायदा के प्रमुख नेताओं, जैसे खालिद शेख मोहम्मद, के साथ मिलकर हवाई जहाजों का उपयोग कर प्रमुख अमेरिकी स्थलों पर हमला करने की योजना बनाई। यह योजना इतनी व्यापक और भयावह थी कि इसे रोकना बहुत मुश्किल साबित हुआ।

हमले का दिन

11 सितंबर 2001 की सुबह, 19 आतंकवादियों ने चार यात्री विमानों का अपहरण किया। इन विमानों में से दो विमानों को न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के ट्विन टावरों से टकराया गया, जबकि तीसरा विमान वाशिंगटन डी.सी. में पेंटागन पर गिराया गया। चौथा विमान, जिसे व्हाइट हाउस या कैपिटल हिल पर हमला करने के लिए निर्देशित किया गया था, पेन्सिलवेनिया में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, क्योंकि यात्रियों ने आतंकवादियों का सामना किया।

इन हमलों में लगभग 3,000 लोग मारे गए और हजारों घायल हुए। यह अमेरिका के इतिहास में सबसे बड़े आतंकवादी हमले के रूप में दर्ज हुआ और इसके बाद वैश्विक राजनीति में व्यापक बदलाव आया।

9/11 के बाद अमेरिका की प्रतिक्रिया

9/11 के हमले के बाद, अमेरिका ने “आतंकवाद के खिलाफ युद्ध” की घोषणा की। तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू. बुश ने कहा कि इस हमले का बदला लिया जाएगा और आतंकवाद को जड़ से उखाड़ने के लिए वैश्विक अभियान चलाया जाएगा। इसके बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान पर हमला किया, जहां तालिबान सरकार अल-कायदा को समर्थन दे रही थी और ओसामा बिन लादेन को छुपने की जगह दी थी।

अफगानिस्तान पर हमला

अक्टूबर 2001 में, अमेरिका और उसके सहयोगियों ने अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को हटाने और अल-कायदा के नेटवर्क को नष्ट करने के लिए अभियान शुरू किया। इस युद्ध का प्रमुख उद्देश्य ओसामा बिन लादेन को पकड़ना था। हालांकि, ओसामा उस समय बच निकला और कई वर्षों तक पहाड़ों में छिपा रहा।

ओसामा बिन लादेन का अंत

अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को पकड़ने के लिए कई सालों तक बड़े पैमाने पर खोज अभियान चलाया। आखिरकार, 2 मई 2011 को, पाकिस्तान के एबटाबाद शहर में स्थित एक सुरक्षित ठिकाने पर अमेरिकी नेवी सील्स ने हमला किया और ओसामा को मार गिराया। उसकी मौत ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया, लेकिन इसके बाद भी वैश्विक आतंकवाद की चुनौतियां बनी रहीं।

ओसामा की विचारधारा का प्रभाव

ओसामा बिन लादेन की कट्टरपंथी विचारधारा ने आतंकवाद के वैश्विक स्वरूप को बदल दिया। उसने युवाओं को अपने मकसद के लिए प्रेरित किया और इस्लाम के नाम पर हिंसा करने के लिए उकसाया। 9/11 के हमले ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जंग को जन्म दिया, लेकिन इसके बाद भी ओसामा के अनुयायी और उसके जैसे कई अन्य कट्टरपंथी विचारधाराएं उभर कर आईं।

नतीजा

9/11 का आतंकी हमला आधुनिक इतिहास के सबसे काले अध्यायों में से एक है। यह हमला न केवल हजारों निर्दोष लोगों की जान लेकर गया, बल्कि दुनिया भर में आतंकवाद के खिलाफ युद्ध को भी बढ़ावा दिया। ओसामा बिन लादेन की विचारधारा, जो इस्लाम के नाम पर हिंसा और आतंक को सही ठहराती थी, ने यह साबित किया कि कैसे धर्म को तोड़-मरोड़ कर आतंकवादियों द्वारा अपने मकसद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

ओसामा की मौत के बावजूद, उसकी विचारधारा का खतरा आज भी बना हुआ है। इसलिए, दुनिया को कट्टरपंथी विचारधाराओं और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष करना होगा, ताकि आने वाली पीढ़ियां ऐसे भयावह हमलों से बची रहें और शांति और स्थिरता का अनुभव कर सकें।

ओसामा बिन लादेन ने अमेरिका को अपने कट्टरपंथी मकसदों के लिए निशाना बनाया और 9/11 का हमला इस विचारधारा का सबसे भयानक परिणाम था। इस्लाम के नाम पर हिंसा करना और धर्म की गलत व्याख्या कर आतंक फैलाना बिन लादेन की विरासत थी, जिसे खत्म करना आज भी वैश्विक समुदाय के सामने एक चुनौती है।

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