श्रीलंका में 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के परिणाम सामने आ रहे हैं, जिसमें मार्क्सवादी झुकाव वाले नेता अनुरा कुमारा डिसानायके ने बढ़त बना ली है। 21 सितंबर, 2024 को हुए मतदान के बाद डिसानायके ने लगभग 53% वोट हासिल किए हैं, जो चुनाव आयोग के शुरुआती नतीजों के अनुसार निर्णायक बढ़त है। उन्होंने कुल 7,27,000 वोट प्राप्त किए हैं, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी, मुख्य विपक्षी नेता सजीत प्रेमदासा, ने 23% या 3,33,000 वोट हासिल किए हैं। मौजूदा राष्ट्रपति, 75 वर्षीय रानिल विक्रमसिंघे, केवल 16% यानी 2,35,000 वोटों के साथ काफी पीछे चल रहे हैं।
चुनाव का महत्त्व और पृष्ठभूमि
यह चुनाव श्रीलंका के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश में 2022 की आर्थिक गिरावट के बाद पहली बार हो रहा है। 2022 में श्रीलंका को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था, जिसने न केवल राजनीतिक अस्थिरता बढ़ाई, बल्कि आम जनता में भी गहरा असंतोष उत्पन्न किया। इन चुनावों में लगभग 75% मतदाता भागीदारी देखी गई, जो पिछले चुनावों की तुलना में कुछ कम है।
डिसानायके, जो नेशनल पीपल्स पावर (NPP) गठबंधन के प्रमुख हैं, ने अपनी जीत का श्रेय भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सख्त नीति और गरीब समर्थक योजनाओं को दिया है। उन्होंने श्रीलंका की “भ्रष्ट” राजनीतिक संस्कृति को बदलने का वादा किया है। उनके अभियान का मुख्य मुद्दा जनता के बीच व्यापक आर्थिक सुधार और स्थिरता लाने का था, जो देश के व्यापक IMF पैकेज के तहत चल रहे सुधारों का हिस्सा है।
अनुरा कुमारा डिसानायके: कौन हैं ये नेता?
अनुरा कुमारा डिसानायके, जिन्हें आमतौर पर ‘AKD’ के नाम से भी जाना जाता है, एक अनुभवी राजनीतिज्ञ हैं। वह जनता विमुक्ति पेरामुना (JVP) और नेशनल पीपल्स पावर (NPP) के प्रमुख हैं। उनका राजनीतिक करियर तीन दशकों से अधिक का है, और वे 2022 में श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान प्रमुख रूप से उभरे। उस समय हुए ‘अरागलया’ विरोध आंदोलन में भी उनकी पार्टी की भूमिका महत्वपूर्ण रही थी, जो देश में राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे का कारण बनी।
डिसानायके का अभियान श्रीलंका की पारंपरिक राजनीति को चुनौती देने के इरादे से केंद्रित था। उन्होंने अपने चुनाव अभियान में गरीबों के लिए नीतियां और सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाने की बात कही है, जबकि IMF द्वारा लगाए गए आर्थिक सुधारों पर पुनर्विचार करने का प्रस्ताव दिया है।
चुनाव परिणाम के निहितार्थ
अनुरा कुमारा डिसानायके की जीत का असर न केवल श्रीलंका की आंतरिक राजनीति पर पड़ेगा, बल्कि इसका असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी महसूस किया जा सकता है। उनकी नीतियों और विचारधारा को लेकर चिंताएं हैं कि वह चीन के प्रति झुकाव रख सकते हैं, जबकि भारत के साथ उनके संबंध भी महत्त्वपूर्ण होंगे। हालांकि, उन्होंने अपने बयानों में यह स्पष्ट किया है कि श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के लिए वह सभी प्रमुख शक्तियों के साथ काम करने के लिए तैयार हैं, जिसमें भारत भी शामिल है।
भावी कदम
NPP के सूत्रों के अनुसार, डिसानायके राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद तुरंत संसद को भंग कर सकते हैं और 45 दिनों के भीतर आम चुनाव कराने की योजना बना रहे हैं, ताकि अपने सुधारों के लिए जनता का सीधा जनादेश प्राप्त कर सकें। उनकी प्रमुख प्राथमिकताएं भ्रष्टाचार को खत्म करना, आर्थिक सुधारों को तेज करना, और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देना होंगी।
श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावों में अनुरा कुमारा डिसानायके की बढ़त ने देश में एक नया राजनीतिक अध्याय खोल दिया है। उनकी जीत देश की वर्तमान आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान करने के लिए महत्वपूर्ण हो सकती है।
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