भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने रूस के कज़ान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान पहली बार औपचारिक वार्ता की। यह बैठक 2020 में हिमालयी सीमा पर हुई झड़प के बाद तनावपूर्ण संबंधों में सुधार का संकेत है। दोनों देशों ने हाल ही में एक समझौते पर सहमति जताई थी, जो विवादित सीमा पर चार साल से जारी सैन्य गतिरोध को समाप्त करता है।
2020 में लद्दाख की गलवान घाटी में हिंसक संघर्ष के बाद से भारत-चीन संबंधों में खटास आ गई थी, जिसमें 20 भारतीय और 4 चीनी सैनिक मारे गए थे। इस घटना के बाद दोनों देशों ने सीमा पर अपनी सैन्य तैनाती बढ़ा दी थी।
हालांकि, हाल ही में सीमा पर गश्त और तनाव कम करने को लेकर समझौता हुआ है। यह समझौता कहां तक लागू होगा, इसकी जानकारी स्पष्ट नहीं है, लेकिन यह सीमा विवाद के समाधान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
बैठक के प्रमुख बिंदु
- शांति और स्थिरता की आवश्यकता: शी जिनपिंग और नरेंद्र मोदी ने सीमा विवाद को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- आर्थिक सहयोग और विकास: दोनों नेताओं ने अपने देशों की विकास आकांक्षाओं में एक-दूसरे की मदद करने और अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारियों को साझा करने की प्रतिबद्धता जताई।
- वैश्विक स्थिरता: मोदी और शी ने क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया।
सीमा विवाद और भविष्य की चुनौतियाँ
सीमा विवाद लंबे समय से दोनों देशों के बीच तनाव का कारण रहा है। चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है, जबकि भारत इसका विरोध करता है। 1962 के युद्ध के बाद से यह मुद्दा एक बड़ा राजनीतिक और सैन्य संघर्ष का कारण रहा है। हालांकि हालिया वार्ता इस दिशा में सकारात्मक कदम है, लेकिन दोनों देशों के बीच स्थायी समाधान अब भी एक चुनौती बना हुआ है।
भारत और चीन के संबंधों में यह बैठक एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। जहां 2020 की झड़प के बाद तनाव चरम पर था, वहीं अब दोनों देशों ने विवाद सुलझाने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। वैश्विक शांति और स्थिरता के लिए यह बैठक न केवल दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे एशिया के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
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