बांग्लादेश की अस्थायी सरकार ने दुर्गा पूजा आयोजकों से अनुरोध किया है कि अज़ान और नमाज़ के समय दुर्गा पूजा से संबंधित गतिविधियाँ, विशेषकर संगीत वाद्य यंत्र बजाना, अस्थायी रूप से बंद कर दी जाएं। यह घोषणा बांग्लादेश के गृह मामलों के सलाहकार, लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) मोहम्मद जाहांगीर आलम चौधरी ने की, जो दुर्गा पूजा की तैयारियों की समीक्षा बैठक के बाद की गई। दुर्गा पूजा बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के लिए सबसे बड़ा धार्मिक उत्सव है, जिसमें हज़ारों मंडप (पंडाल) स्थापित होते हैं। इस साल बांग्लादेश में 32,666 मंडप बनाए जाएंगे, जबकि पिछले साल 33,431 मंडप बनाए गए थे।
यह निर्देश तब आया है जब देश में धार्मिक सौहार्द को बनाए रखने की कोशिशों के तहत हिंदू और मुस्लिम समुदाय के बीच तालमेल बैठाने के प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार ने हिंदू समुदाय से अज़ान से 5 मिनट पहले और नमाज़ के दौरान लाउडस्पीकर और अन्य संगीत उपकरण बंद करने की अपील की है, और पूजा समितियों ने इस अनुरोध का पालन करने पर सहमति जताई है। सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी सरकार ने व्यापक इंतजाम किए हैं ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके और हिंदू समुदाय बिना किसी व्यवधान के दुर्गा पूजा मना सके।
हालांकि, यह कदम बांग्लादेश में हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर चिंता का विषय भी है, क्योंकि पिछले दिनों अल्पसंख्यक समुदाय पर कुछ हमले हुए थे, जिससे धार्मिक असहिष्णुता की घटनाओं पर सवाल उठे हैं। इन घटनाओं को ध्यान में रखते हुए, बांग्लादेश की सरकार ने 24/7 सुरक्षा सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं। पुलिस और सुरक्षा बलों को इस बात का जिम्मा दिया गया है कि दुर्गा पूजा मंडपों की सुरक्षा को पूरी तरह से लागू किया जाए, ताकि कोई उपद्रवी घटना न घटे।
इसके अलावा, बांग्लादेश की नई अस्थायी सरकार के कुछ फैसले भी भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों पर असर डाल रहे हैं, जैसे कि हिलसा मछली के निर्यात पर रोक। यह फैसला दुर्गा पूजा के पहले आया, जिससे भारतीय बंगाली समुदाय में निराशा है, क्योंकि इस मछली की मांग दुर्गा पूजा के समय चरम पर होती है। यह निर्यात प्रतिबंध, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान बनाए गए सौहार्दपूर्ण संबंधों से हटने की ओर इशारा करता है।
बांग्लादेश की धार्मिक सद्भावना और स्थिरता बनाए रखने की नीति इस समय महत्वपूर्ण हो गई है, और सरकार ने साफ कर दिया है कि जो भी व्यक्ति धार्मिक सौहार्द को भंग करेगा, उसे सख्त सज़ा दी जाएगी। इस घोषणा के पीछे सरकार की मंशा यह है कि देश में किसी भी प्रकार का धार्मिक विवाद उत्पन्न न हो और सभी समुदाय शांति और सद्भाव के साथ अपने-अपने धार्मिक उत्सव मना सकें।
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