हाल ही में, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि भारतीय सरकार सेमिकॉन 2.0 नीति पर काम कर रही है, जो 3-4 महीनों में लागू होने की उम्मीद है। यह घोषणा 11 सितंबर 2024 को सेमिकॉन इंडिया 2024 के दौरान की गई। इस नीति के तहत, भारत में सेमिकॉनडेक्टर (सेमीकंडक्टर) क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश और विकास की योजना बनाई जा रही है।
सेमिकॉन 2.0 नीति का महत्व
सेमिकॉन 2.0 नीति भारत में सेमीकंडक्टर क्षेत्र को नई दिशा देने और इसे वैश्विक मानचित्र पर प्रमुख स्थान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सेमिकॉन 1.0 के पहले चरण के पूरा होने के बाद, सेमिकॉन 2.0 की योजना बनाई जा रही है, जो पहले चरण की तुलना में अधिक विस्तारित और समृद्ध होगी।
उन्होंने बताया कि इस नए चरण में न केवल सेमीकंडक्टर फैब (फैब्रिकेशन) और एटीएमपी (एसेम्बली, टेस्टिंग, मार्केटिंग, पैकेजिंग) पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, बल्कि इस क्षेत्र के लिए आवश्यक उपकरण, रसायन, गैसें और विशेष सामग्रियों पर भी जोर दिया जाएगा।
निवेश और परियोजनाएं
अश्विनी वैष्णव ने बताया कि अब तक 1.5 लाख करोड़ रुपये की निवेश वाली पांच परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनमें से दो परियोजनाओं पर निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इनमें से एक महत्वपूर्ण परियोजना उत्तर प्रदेश में जल्द शुरू होने वाली है। इसके अलावा, महाराष्ट्र ने हाल ही में एक चिप निर्माण परियोजना को मंजूरी दी है, जिसमें अडानी ग्रुप और इज़राइल की कंपनी टॉवर सेमीकंडक्टर का संयुक्त उपक्रम शामिल है। इस परियोजना के लिए लगभग ₹83,000 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है।
सेमिकॉन 2.0 नीति की विशेषताएं
1. सम्पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र का विकास: इस नीति के तहत, सिर्फ सेमीकंडक्टर फैब पर ध्यान नहीं दिया जाएगा, बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण पर जोर दिया जाएगा। इसमें सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए आवश्यक विशेष रसायनों और गैसों की आपूर्ति, और उनके सही तरीके से उपयोग की व्यवस्था भी शामिल होगी।
2. विशेष सामग्रियों पर ध्यान: सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए लगभग 250 विशेष रसायनों और गैसों का उपयोग होता है, जो कि अत्यधिक विशुद्ध और कठिनाई से संभाले जाते हैं। इन सामग्रियों की आपूर्ति और प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए नीतिगत प्रावधान किए जाएंगे।
3. उपकरण और इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास: सेमिकॉन 2.0 नीति के अंतर्गत, सेमीकंडक्टर उत्पादन के लिए आवश्यक उपकरण और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
4. मोरप्स सेमीकंडक्टर लैब का उन्नयन: केंद्र सरकार मोरप्स सेमीकंडक्टर लैब के उन्नयन की योजना भी बना रही है, ताकि भारत में सेमीकंडक्टर अनुसंधान और विकास को बढ़ावा मिल सके।
भविष्य की योजनाएं और प्रस्ताव
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कई नई परियोजनाओं के प्रस्ताव पाइपलाइन में हैं और इन प्रस्तावों को जल्द ही कैबिनेट के समक्ष पेश किया जाएगा। इसके अलावा, सेमीकंडक्टर क्षेत्र में उद्योग के खिलाड़ियों की मांग को पूरा करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
इस बीच, केंद्र सरकार की ओर से सेमिकॉन 2.0 नीति को लागू करने की प्रक्रिया में तेजी लाई जा रही है। यह नीति भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर बाजार में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने में मदद करेगी और इसके साथ ही भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता को भी बढ़ावा देगी।
सेमिकॉन 2.0 नीति का आना भारत के सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। यह नीति न केवल निवेशकों को आकर्षित करेगी, बल्कि देश में सेमीकंडक्टर उत्पादन के पूरे पारिस्थितिकी तंत्र के विकास को भी सुनिश्चित करेगी। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव की इस घोषणा से स्पष्ट है कि भारत अब सेमीकंडक्टर क्षेत्र में एक प्रमुख खिलाड़ी बनने के लिए तैयार है।
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