क्या आपने कभी यह महसूस किया है कि आपके फोन पर अचानक आने वाले विज्ञापन ठीक उन्हीं चीजों के बारे में होते हैं जिनके बारे में आप हाल ही में चर्चा कर रहे थे? यह कोई संयोग नहीं हो सकता। वर्षों से हमें यह बताया जाता रहा है कि ऐसा कुछ नहीं हो रहा, लेकिन हाल ही में एक मार्केटिंग फर्म ने यह स्वीकार किया है कि हमारे फोन सचमुच हमारी बातचीत सुन रहे हैं।
आइए, इस पूरे मामले को 5 प्रमुख बिंदुओं में समझते हैं।
1. ‘एक्टिव लिसनिंग’ तकनीक का खुलासा
हाल ही में कॉक्स मीडिया ग्रुप (CMG) नामक एक प्रमुख मार्केटिंग कंपनी ने स्वीकार किया है कि उनकी तकनीक, जिसे ‘Active Listening’ कहा जाता है, स्मार्टफोन्स, स्मार्ट टीवी और अन्य डिवाइसेज के माइक्रोफोन से यूज़र्स की बातचीत सुनने और उसे विज्ञापनों के लिए उपयोग करने में सक्षम है। इस तकनीक के माध्यम से, AI सॉफ़्टवेयर यूज़र्स की बातचीत को वास्तविक समय में सुनता है और उनके खरीदारी इरादों की जानकारी इकट्ठा करता है। इससे जुड़े विज्ञापन फ़िर यूज़र के डिवाइस पर दिखाए जाते हैं।
2. कैसे काम करती है ‘एक्टिव लिसनिंग’?
‘एक्टिव लिसनिंग’ तकनीक वॉइस डेटा और यूज़र्स के ऑनलाइन बिहेवियर को जोड़ती है। उदाहरण के तौर पर, यदि आप किसी मित्र के साथ नई कार खरीदने की चर्चा कर रहे हैं, तो यह तकनीक उस वार्ता को इंटरसेप्ट कर सकती है। इसके बाद, आपको नई कारों से संबंधित विज्ञापन दिखने लगते हैं। यह तकनीक यूज़र के आसपास हो रही चर्चाओं को सुनकर विज्ञापनदाताओं को अधिक सटीक डेटा प्रदान करती है।
3. क्या यह कानूनी है?
इस प्रकार की डेटा संग्रहण गतिविधियों पर कई सवाल खड़े होते हैं। हालांकि, तकनीकी रूप से जब आप कोई ऐप डाउनलोड करते हैं या उसका अपडेट स्वीकार करते हैं, तो उसकी शर्तों में अक्सर ‘एक्टिव लिसनिंग’ जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल शामिल होता है। अधिकांश लोग इन शर्तों को बिना पढ़े स्वीकार कर लेते हैं, जिससे कंपनियों को उनकी बातचीत सुनने का कानूनी आधार मिल जाता है। यूरोपीय संघ का GDPR और अमेरिका का CCPA जैसे कानूनों के बावजूद, यूज़र्स अक्सर इन नियमों के बारे में अनजान होते हैं।
4. बड़ी टेक कंपनियों की प्रतिक्रिया
इस खुलासे के बाद, Google, Meta (Facebook) और Amazon जैसी कंपनियों ने अपनी स्थिति साफ़ की है। Google ने CMG को अपने पार्टनर प्रोग्राम से हटा दिया है और Meta ने इस तकनीक के अपने नियमों के उल्लंघन की जांच शुरू कर दी है। ये कंपनियां दावा करती हैं कि वे यूज़र्स की बातचीत सुनने के लिए किसी भी तकनीक का उपयोग नहीं करती हैं, लेकिन यह मामला यूज़र्स के डेटा की सुरक्षा पर गहरा सवाल उठाता है।
5. यूज़र्स के लिए क्या मायने रखता है?
यह खुलासा यूज़र्स की प्राइवेसी के लिए एक बड़ी चिंता है। अधिकांश लोग इस बात से अनजान होते हैं कि उनकी बातचीत विज्ञापनों के लिए उपयोग हो रही है। इस तरह की गतिविधियां यूज़र्स की सहमति के बिना उनकी निजी जानकारी का उपयोग करती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अब समय आ गया है कि टेक्नोलॉजी और विज्ञापन उद्योगों में अधिक पारदर्शिता और कड़े नियमों की जरूरत है।
यह सच है कि आपके फोन द्वारा आपकी बातचीत सुनी जा रही है, हालांकि इसे कुछ हद तक कानूनी तरीके से किया जा रहा है। यूज़र्स को अपनी प्राइवेसी के प्रति सतर्क रहना चाहिए और उन ऐप्स की शर्तों और नियमों को ध्यान से पढ़ना चाहिए जो वे इंस्टॉल करते हैं। इस विषय पर जागरूकता और कठोर नियम ही हमें इस प्रकार की ‘एक्टिव लिसनिंग’ तकनीकों से बचा सकते हैं।
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