अद्भुत तकनीक, लेकिन बाजार की ठंडी प्रतिक्रिया
Apple के Vision Pro हेडसेट का अनुभव करना अपने आप में एक अनूठा अनुभव है। इसके दो OLED डिस्प्ले में 23 मिलियन पिक्सल, 12 कैमरे, पांच सेंसर, छह माइक्रोफोन और M2 चिप शामिल हैं। यह सब एक छोटे से हेडसेट में शामिल करना एक बड़ी बात है।
एक Apple Store में 30 मिनट का डेमो लेकर ही यह स्पष्ट हो जाता है कि Vision Pro एक कंप्यूटिंग और इंजीनियरिंग का चमत्कार है। उदाहरण के लिए, डेमो में उपयोगकर्ता को एलिसिया कीज़ और उनके बैंड के साथ एक रिहर्सल रूम में ले जाया जाता है, और यह अनुभव जादुई लगता है।
स्पैटियल कंप्यूटिंग का बाजार
Apple ने सोचा कि Vision Pro का समृद्ध, इमर्सिव अनुभव अगली पीढ़ी का कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म बनेगा। लेकिन बाजार में इसका स्वागत नहीं हुआ। पहले साल में 800,000 यूनिट बेचने का लक्ष्य था, लेकिन अब केवल 450,000 यूनिट बिकने की उम्मीद है।
क्यों विफल रही Vision Pro?
Vision Pro की कीमत $3500 से शुरू होती है, जो Meta के हेडसेट की तुलना में काफी अधिक है, जिसकी कीमत लगभग $500 है। इसके अलावा, Vision Pro के लिए विशिष्ट एप्लिकेशन और मीडिया की कमी ने भी इसे सफल नहीं होने दिया। भारी हेडसेट (1.4 पाउंड) और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं जैसे मोशन सिकनेस, सिरदर्द, और आंखों की थकान भी इसके असफलता के कारण बने।
भविष्य की राह
Apple ने Vision Pro के लिए एक फॉलो-अप मॉडल नहीं बनाने का फैसला किया है, लेकिन वे स्पैटियल कंप्यूटिंग पर अपना ध्यान बनाए रखेंगे। एक सस्ता और कम फीचर्स वाला उत्पाद एक या दो साल में बाजार में आ सकता है।
स्पैटियल कंप्यूटिंग को सफल होने के लिए समस्याओं का समाधान और नए अनुभव प्रदान करना होगा जो सस्ते और कम इंट्रूसिव हों। पहली कंपनी जो बिना हेड गियर के इमर्सिव अनुभव प्रदान करेगी, वही बाजार में विजेता बनेगी।
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