भारतीय क्रिकेट के दो दिग्गज, गौतम गंभीर और विराट कोहली, हाल ही में बीसीसीआई द्वारा आयोजित एक विशेष साक्षात्कार में एक साथ बैठे और क्रिकेट से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया। इस चर्चा में गंभीर ने कोहली के करियर की उन खास बातों का जिक्र किया, जिन्होंने उन्हें भारतीय टेस्ट क्रिकेट का सबसे सफल कप्तान बनाया। विराट कोहली, जिन्होंने 2014 में महेंद्र सिंह धोनी के बाद भारतीय टेस्ट टीम की कमान संभाली, ने अपनी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। गंभीर और कोहली के इस साक्षात्कार में भारतीय क्रिकेट की सफलता के रहस्य और कोहली की कप्तानी के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई।
विराट कोहली की कप्तानी की शुरुआत: धोनी के बाद की चुनौती
विराट कोहली के लिए टेस्ट कप्तानी की शुरुआत आसान नहीं थी। जब 2014 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर सीरीज के दौरान धोनी अंगूठे की चोट के कारण पहला टेस्ट मैच नहीं खेल सके, तो कोहली को कप्तानी का मौका मिला। महेंद्र सिंह धोनी, जो उस समय भारतीय क्रिकेट के सबसे सफल कप्तान थे, ने कोहली को टीम की कमान सौंपी थी। उस समय कोहली सिर्फ 25 साल के थे, और टीम में भी कई युवा खिलाड़ी थे।
कोहली ने गंभीर से बातचीत में बताया, “जब मैंने कप्तानी संभाली, तो टीम में कई युवा खिलाड़ी थे और मुझे खुद को और टीम को साबित करना था। मेरा मुख्य उद्देश्य था कि हम सभी 24-25 साल के लड़कों को भारतीय क्रिकेट का बड़ा नाम बनाना है। मैंने तभी सोचा कि यह सिर्फ किस्मत का खेल नहीं हो सकता, हमें एक ठोस योजना बनानी होगी।”
यह वही समय था जब भारतीय टीम में एक बड़ा बदलाव हो रहा था। धोनी जैसे अनुभवी कप्तान के बाद युवा खिलाड़ियों की एक नई पीढ़ी टीम में आई थी। कोहली को इस नई टीम के साथ नई रणनीति बनानी थी, और उन्होंने इसे एक चुनौती के रूप में स्वीकार किया।
टेस्ट क्रिकेट में कोहली का विजयी मंत्र: 20 विकेट लेना जरूरी
गौतम गंभीर ने विराट कोहली की कप्तानी की सबसे बड़ी खासियत के रूप में उनकी गेंदबाजों पर विश्वास और उनकी भूमिका को अहमियत देने को बताया। गंभीर ने कोहली से कहा, “टेस्ट मैच जीतने के लिए 20 विकेट लेना बहुत जरूरी है, और आपने इसी को समझा। एक कप्तान के रूप में आपने सबसे ज्यादा महत्व अपनी गेंदबाजी इकाई को दिया। आप जानते थे कि जब तक हमारे पास एक मजबूत गेंदबाजी लाइनअप नहीं होगा, हम टेस्ट मैच नहीं जीत सकते।”
विराट कोहली की कप्तानी में भारत की टेस्ट टीम की सबसे बड़ी ताकत उनकी गेंदबाजी रही। कोहली ने मोहम्मद शमी, जसप्रीत बुमराह, ईशांत शर्मा, उमेश यादव जैसे तेज गेंदबाजों का सही उपयोग किया और इन्हीं गेंदबाजों ने कई बार भारत को मुश्किल परिस्थितियों से बाहर निकाला। कोहली की कप्तानी में भारत ने विदेशों में भी जीत हासिल की, जिसमें गेंदबाजों का महत्वपूर्ण योगदान था।
कप्तानी के पहले टेस्ट मैच में ही जीतने की भूख
कोहली के कप्तान बनने के पहले टेस्ट मैच की एक खास घटना का जिक्र करते हुए गंभीर ने कहा, “मुझे याद है कि आपने एडिलेड में खेले गए अपने पहले टेस्ट मैच में 400 रनों का पीछा करते हुए भी जीतने की कोशिश की थी। यही आपकी मानसिकता थी, जो हमें एक नई संस्कृति की ओर ले गई। आप हार से घबराते नहीं थे, बल्कि हमेशा जीत के लिए खेलने की सोचते थे।”
एडिलेड टेस्ट मैच की यह घटना कोहली की आक्रामकता और जीत की भूख को दिखाती है। उस मैच में भले ही भारतीय टीम को हार का सामना करना पड़ा हो, लेकिन कोहली के अटूट आत्मविश्वास और आक्रामक रणनीति ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया। यह वही आत्मविश्वास था, जिसने आगे चलकर उन्हें भारतीय टेस्ट टीम का सबसे सफल कप्तान बनाया।
68 टेस्ट मैचों में 40 जीत: कोहली की उपलब्धियां
विराट कोहली की कप्तानी में भारत ने कुल 68 टेस्ट मैच खेले, जिनमें से 40 मैचों में टीम ने जीत हासिल की। 11 मैच ड्रॉ रहे और 17 मैचों में हार का सामना करना पड़ा। कोहली की इस उपलब्धि को सिर्फ आंकड़ों के आधार पर नहीं देखा जा सकता, क्योंकि उनकी कप्तानी में भारत ने कई महत्वपूर्ण श्रृंखलाएं जीतीं। चाहे वह ऑस्ट्रेलिया को उसकी ही जमीन पर हराना हो या इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में ऐतिहासिक जीत दर्ज करना, कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम ने विश्वभर में अपना लोहा मनवाया।
कोहली का जीत प्रतिशत 58.82% था, जो किसी भी भारतीय टेस्ट कप्तान के लिए एक रिकॉर्ड है। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम न सिर्फ घरेलू मैदानों पर, बल्कि विदेशों में भी एक मजबूत और विजयी टीम के रूप में उभरी।
कोहली की सफलता का राज: आक्रामकता और अनुशासन का मेल
गंभीर ने कोहली की कप्तानी की सबसे बड़ी ताकत के रूप में उनके आक्रामकता और अनुशासन के संतुलन को बताया। उन्होंने कहा, “एक बल्लेबाज के रूप में आपकी मानसिकता और एक कप्तान के रूप में आपकी आक्रामकता ने टीम को नई दिशा दी। आपने हमेशा अपनी गेंदबाजी इकाई पर विश्वास रखा और उन्हें स्वतंत्रता दी। इससे टीम में अनुशासन भी बना रहा और जीत की ललक भी।”
कोहली का आक्रामक नेतृत्व और उच्च फिटनेस स्तर ने पूरी टीम पर गहरा प्रभाव डाला। उन्होंने खुद के उदाहरण से टीम को प्रेरित किया। उनकी अनुशासनप्रियता और फिटनेस के प्रति समर्पण ने पूरी टीम की फिटनेस को नया स्तर दिया। यही कारण था कि भारतीय टीम फिटनेस और मैदान पर अनुशासन के मामले में दुनिया की किसी भी टीम से कम नहीं थी।
भारतीय क्रिकेट के लिए कोहली की विरासत
विराट कोहली ने भारतीय क्रिकेट को जो विरासत सौंपी है, वह सिर्फ जीतने की नहीं बल्कि हमेशा जीत के लिए खेलते रहने की है। उन्होंने भारतीय टीम में एक नई मानसिकता विकसित की, जिसमें हार से घबराने की बजाय हर मैच को जीतने की कोशिश करना प्रमुख था।
गंभीर ने भी इस बात पर जोर दिया कि कोहली की कप्तानी में भारतीय टीम सिर्फ जीत के आंकड़ों में नहीं बल्कि मानसिकता में भी बदलाव देखी गई। कोहली ने अपनी आक्रामकता, अनुशासन, और टीम के प्रति समर्पण से टीम को एकजुट रखा। उनकी कप्तानी ने भारतीय क्रिकेट को नए आयाम दिए और उनकी विरासत आने वाले समय में भी भारतीय क्रिकेट को प्रेरित करती रहेगी।
विराट कोहली का भारतीय क्रिकेट में योगदान सिर्फ एक कप्तान के रूप में नहीं, बल्कि एक प्रेरक नेतृत्वकर्ता के रूप में भी अद्वितीय है। गौतम गंभीर के साथ हुई इस विशेष बातचीत ने यह साफ किया कि कोहली की सफलता का राज उनकी मानसिकता, आक्रामकता, और अनुशासन में छिपा है। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने टेस्ट क्रिकेट में जो ऊँचाइयाँ छुईं, वे आने वाले समय में भी भारतीय क्रिकेट की दिशा को निर्धारित करती रहेंगी।
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