पुत्रदा एकादशी हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है। इसे मुख्यतः संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है और यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। 2025 में पौष पुत्रदा एकादशी 10 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन व्रती भगवान विष्णु की पूजा करके संतान सुख की कामना करते हैं। यह व्रत विशेष रूप से उन दंपतियों के लिए फलदायी माना जाता है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।
पुत्रदा एकादशी का महत्व:
पुत्रदा एकादशी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। इसे संतान की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन के लिए शुभ माना जाता है। “पुत्रदा” का अर्थ ही होता है “संतान दाता”, जिससे इसका उद्देश्य स्पष्ट होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग इस एकादशी का व्रत रखते हैं, उन्हें भगवान विष्णु की कृपा से संतान सुख प्राप्त होता है।
व्रत विधि:
- व्रत करने वाले को दशमी तिथि (एकादशी के एक दिन पहले) को एक बार सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए।
- एकादशी के दिन प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए।
- भगवान विष्णु की पूजा में गंगाजल, तुलसी के पत्ते, फूल, पंचामृत और दीप जलाना चाहिए।
- पूरे दिन निर्जल या फलाहार व्रत रखना चाहिए। जो लोग निर्जल व्रत नहीं रख सकते, वे फल और दूध ग्रहण कर सकते हैं।
- संध्या समय भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन और जागरण किया जाता है।
- अगले दिन द्वादशी को ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
पुत्रदा एकादशी की कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार राजा सुकुमार और उनकी पत्नी रानी शैव्या संतानहीनता के कारण अत्यधिक दुखी थे। संतान प्राप्ति के लिए उन्होंने पुत्रदा एकादशी का व्रत रखा। उन्होंने ऋषियों की सलाह पर इस व्रत को श्रद्धा से किया और भगवान विष्णु की कृपा से उन्हें संतान सुख प्राप्त हुआ। यह व्रत कथा आज भी उन दंपतियों के लिए प्रेरणादायक है जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं।
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व्रत के नियम:
- व्रत करने वाले को एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
- इस दिन अनाज, चावल और दाल आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
- भगवान विष्णु के सामने दीप जलाकर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए।
- व्रत के दिन दान-पुण्य करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है।
दिव्य उपाय:
- संतान प्राप्ति के इच्छुक दंपतियों को इस दिन संतान गोपाल मंत्र का जाप करना चाहिए।
- इस दिन गायों को हरा चारा खिलाना और निर्धनों को भोजन कराना शुभ माना जाता है।
- भगवान कृष्ण की मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाकर पूजा करें और उन्हें माखन का भोग लगाएं।
पुत्रदा एकादशी 2025 तिथियां:
- एकादशी तिथि प्रारंभ: 10 जनवरी 2025, प्रातः 07:15 बजे से
- एकादशी तिथि समाप्त: 11 जनवरी 2025, सुबह 09:20 बजे तक
- व्रत पारण का समय: 11 जनवरी को सुबह 07:15 बजे से 09:20 बजे तक
पुत्रदा एकादशी के दिन संतान गोपाल मंत्र का जाप विशेष रूप से संतान प्राप्ति के इच्छुक दंपतियों के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह मंत्र भगवान कृष्ण को समर्पित है और उनके बाल गोपाल रूप में पूजा की जाती है। इस मंत्र का उच्चारण करते समय श्रद्धा और भक्ति भाव से भगवान से संतान प्राप्ति की प्रार्थना करनी चाहिए।
संतान गोपाल मंत्र निम्न है:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकिसुत गोविंद वासुदेव जगत्पते। देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः॥”
इस मंत्र का जाप संतान प्राप्ति और संतान की रक्षा के लिए किया जाता है। व्रत रखने वाले दंपति इस मंत्र का 108 बार जाप करके भगवान कृष्ण से संतान सुख की कामना कर सकते हैं। इस दिन पूजा विधि के साथ संतान गोपाल मंत्र का नियमित जाप आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम ला सकता है।
साथ ही, इस दिन अन्य पूजाओं और दान-पुण्य का भी विशेष महत्व है, जिससे व्रत और अधिक प्रभावी माना जाता है
पुत्रदा एकादशी व्रत हिंदू धर्म में संतान सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। जो लोग भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं और संतान की लंबी आयु और स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं, उनके लिए इस व्रत का पालन करना बहुत ही फलदायी होता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और इसके धार्मिक महत्व के कारण इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है।
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