नवरात्रि का पर्व देवी दुर्गा को समर्पित माना जाता है। लेकिन अक्सर लोग अम्बा, दुर्गा, काली और पार्वती के बीच अंतर नहीं कर पाते। इन देवीयों को भगवान शिव की अर्धांगिनी के रूप में भी भ्रमित किया जाता है। परंतु, सभी देवीयों के बीच स्पष्ट अंतर होते हैं और यह जानना महत्वपूर्ण है।
अम्बा कौन हैं?
अम्बा, जिन्हें अम्बिका के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवी हैं। उनका उल्लेख शिव पुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। अम्बिका को सृजन की शक्ति और मातृ शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वे शक्ति (दुर्गा) का एक रूप हैं और इन्हें प्रकृति, सर्वेश्वरी, नित्य और जगदंबा के नाम से भी जाना जाता है।
अम्बा की उत्पत्ति
शिव पुराण के अनुसार, सृष्टि की उत्पत्ति परम ब्रह्मण सदाशिव की इच्छा से हुई थी। सदाशिव ने अपनी शक्ति से अम्बिका को उत्पन्न किया। उन्हें यह शक्ति सृजन और विनाश की प्रक्रिया को संतुलित करने के लिए प्रदान की गई थी। अम्बिका को प्राकृति के रूप में देखा जाता है, जो सृष्टि की मूलभूत शक्ति है।
अम्बा के विभिन्न नाम और स्वरूप
अम्बा को विभिन्न नामों और स्वरूपों में पूजा जाता है:
- प्रकृति: यह नाम उन्हें सृष्टि की आधारभूत शक्ति के रूप में दर्शाता है।
- सर्वेश्वरी: इस नाम का अर्थ है ‘सभी की देवी’, जो उनकी सार्वभौमिकता और सर्वशक्तिमानता को इंगित करता है।
- नित्य: इसका अर्थ है ‘शाश्वत’, जो उनकी अनन्तता और अपरिवर्तनीयता को दर्शाता है।
- जगदंबा: यह नाम उन्हें ‘संसार की माँ’ के रूप में प्रतिष्ठित करता है।
अम्बा का स्वरूप
अम्बिका को आठ भुजाओं वाली देवी के रूप में चित्रित किया जाता है। प्रत्येक भुजा में वे विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं, जो उनकी सर्वशक्तिमानता और समस्त शक्तियों का प्रतीक हैं। उनके मुख से दिव्य आभा निकलती है, जो उनकी अलौकिक शक्ति और देवीयता का प्रतीक है।
अम्बा और नवरात्रि
नवरात्रि के दौरान, अम्बा की विशेष पूजा की जाती है। उन्हें विभिन्न रूपों में पूजा जाता है, जैसे दुर्गा, काली, और अन्य देवीय रूप। नवरात्रि के नौ दिनों में, अम्बा के नौ रूपों की आराधना की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है।
अम्बा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
अम्बिका का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। वे सृजन, पालन और विनाश की देवी हैं। उनका पूजन करने से भक्तों को साहस, शक्ति, और मनोबल प्राप्त होता है। धार्मिक अनुष्ठानों में अम्बिका की आराधना प्रमुख होती है और उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और समृद्धि का स्रोत माना जाता है।
अतः, अम्बा, दुर्गा और काली के बीच अंतर समझना महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह हमें हिंदू धर्म की विविधता और इसकी गहराई का बोध कराता है। अम्बा की पूजा और उनकी महत्ता नवरात्रि के दौरान विशेष रूप से प्रकट होती है, जब भक्तगण उनकी आराधना में लीन होते हैं और उनके आशीर्वाद की कामना करते हैं।
दुर्गा कौन हैं?
दुर्गा, जो हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवी हैं, को शक्ति और युद्ध की देवी के रूप में पूजा जाता है। उनके विभिन्न रूप और नाम हैं, लेकिन दुर्गा विशेष रूप से नवरात्रि उत्सव का केंद्र होती हैं। दुर्गा के बारे में निम्नलिखित महत्वपूर्ण तथ्य जानने योग्य हैं:
दुर्गमासुर और दुर्गा का जन्म
दुर्गा की उत्पत्ति एक विशेष परिस्थिति में हुई थी। हिरण्याक्ष के वंश में दैत्यों का एक राजा था, जिसका नाम दुर्गमासुर था। दुर्गमासुर ने देवताओं के निवास स्थान, अमरावती पर आक्रमण किया और उन्हें वहां से निष्कासित कर दिया। देवताओं ने अपनी शक्तियों को पुनः प्राप्त करने के लिए अम्बिका की उपासना की। अम्बिका, जो स्वयं शक्ति का अवतार थीं, ने देवताओं को शक्ति प्रदान की।
दुर्गमासुर का युद्ध
जब दुर्गमासुर ने यह सुना कि देवताओं ने अम्बिका से शक्ति प्राप्त की है, तो उसने दुर्गा पर आक्रमण करने का निर्णय लिया। दुर्गा ने इस युद्ध में दुर्गमासुर और उसके सैनिकों को नष्ट कर दिया। इस विजय के बाद, अम्बिका को दुर्गा के नाम से जाना जाने लगा, जो एक शक्तिशाली योद्धा देवी के रूप में प्रतिष्ठित हो गईं।
दुर्गा का स्वरूप
दुर्गा का स्वरूप अत्यंत प्रभावशाली और भयानक होता है। वे दस भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके प्रत्येक हाथ में एक अस्त्र होता है। उनका वाहन सिंह होता है, जो उनकी शक्ति और साहस का प्रतीक है। दुर्गा को महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी जाना जाता है, जिन्होंने महिषासुर नामक राक्षस का संहार किया था।
नवरात्रि और दुर्गा
नवरात्रि का पर्व दुर्गा को समर्पित होता है। यह नौ दिनों का उत्सव है, जिसमें दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन दुर्गा के एक विशेष रूप की आराधना की जाती है:
- शैलपुत्री: पर्वत की पुत्री, पार्वती का पहला रूप।
- ब्रह्मचारिणी: तपस्या करने वाली, शिव को प्राप्त करने के लिए।
- चंद्रघंटा: जिनके मस्तक पर चंद्र होता है।
- कुष्मांडा: जिन्होंने ब्रह्मांड की रचना की।
- स्कंदमाता: कार्तिकेय की माता।
- कात्यायनी: महर्षि कात्यायन की पुत्री।
- कालरात्रि: काली का रूप, जो अंधकार और बुरी शक्तियों को नष्ट करती हैं।
- महागौरी: अत्यंत श्वेत वर्ण वाली देवी।
- सिद्धिदात्री: जो सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं।
सती कौन हैं?
शिव का विवाह राजा दक्ष की पुत्री दक्षायिनी से हुआ था, जिन्हें सती भी कहा जाता है। अपने पति का अपमान देखकर सती ने यज्ञ के अग्निकुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। शिव ने उनके शव को अपने कंधे पर उठाया और जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे, वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए। सती का पुनर्जन्म पार्वती के रूप में हुआ और उन्होंने कठोर तपस्या करके शिव को फिर से प्राप्त किया। पार्वती को गौरी और महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। शेरावाली और पहाड़ों वाली के नाम से पुकारा जाना अक्सर दुर्गा के साथ भ्रमित किया जाता है।
नवदुर्गा कौन हैं?
नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान नौ रूपों की पूजा की जाती है:
- शैलपुत्री
- ब्रह्मचारिणी
- चंद्रघंटा
- कुष्मांडा
- स्कंदमाता
- कात्यायनी
- कालरात्रि
- महागौरी
- सिद्धिदात्री
शैलपुत्री का अर्थ है पर्वत की पुत्री, ब्रह्मचारिणी का नाम शिव की प्राप्ति के लिए तपस्या करने के कारण पड़ा। चंद्रघंटा का अर्थ है जिसके मस्तक पर चंद्र हो। कुश्मांडा का अर्थ है जिसमें समस्त ब्रह्मांड समाहित हो। स्कंदमाता, स्कंद (कार्तिकेय) की माता होने के कारण कहलाती हैं। कात्यायनी, महर्षि कात्यायन की पुत्री होने के कारण, महागौरी, उनके श्वेत वर्ण के कारण और सिद्धिदात्री, जो सिद्धि प्रदान करती हैं।
चामुंडा कौन हैं?
चामुंडा का नाम चंद और मुंड नामक असुरों को मारने के कारण पड़ा। महाकाली और चंडिका भी इसी श्रेणी में आती हैं। मार्कंडेय पुराण के अनुसार, महामाया, जो एक अन्य रूप हैं, को कातभ भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कातभ नामक असुर का वध किया था।
देवी पूजन और विविध रूप
देवी पूजन के दौरान अम्बिका, दुर्गा और काली के अलावा भी कई रूपों की पूजा होती है। जैसे कि काली, तारा, त्रिपुरसुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरभैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला।