भगवान शिव की आरती “ॐ जय शिव ओंकारा” का महत्वपूर्ण स्त्रोत है जो उनके भक्तों द्वारा नियमित रूप से पाठ किया जाता है। यह आरती भगवान शिव की महिमा, शक्ति, और कृपा को स्तुति करती है। यह आरती शिव पूजा के अवसरों पर अत्यधिक प्रसिद्ध है और शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
आरती ॐ जय शिव ओंकारा… | ॐ Jai Shiv Omkara Lyrics
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा।
आरती का शुरुआती भाग:
आरती “ॐ जय शिव ओंकारा” का शुरुआती भाग “ॐ जय शिव ओंकारा, हर हर शंकर, जय शिव ओंकारा।” के शब्दों से होता है। यहां भगवान शिव की महानता, उनकी शक्ति, और उनके आदि रूप की महिमा की स्तुति की जाती है। इसके बाद, आरती में शिव जी के विभिन्न नामों की महिमा गाई जाती है, जैसे कि त्र्यम्बकं, यजामहे, सुगन्धिं, पुष्टिवर्धनम्। इन नामों के माध्यम से भगवान शिव की विशेषताएं और उनके दिव्य स्वरूप की महिमा गाई जाती है।
आरती के मध्य भाग:
आरती के मध्य भाग में भक्तों द्वारा भगवान शिव की पूजा की जाती है। यहां पर ताम्र पात्र में तिलक लगाया जाता है, पुष्पांजलि दी जाती है, और धूप-दीपक जलाए जाते हैं। इसके साथ ही, आरती के दौरान भगवान शिव के चालीसा, मंत्र, और कथाएं भी सुनाई जाती हैं। यह समय भक्तों के लिए भगवान शिव के समीप आने और उनकी कृपा प्राप्त करने का होता है।
आरती के अंतिम भाग:
आरती के अंतिम भाग में भक्तों द्वारा भगवान शिव को प्रणाम किया जाता है और उनसे आशीर्वाद मांगा जाता है। इसके साथ ही, आरती के अंत में भक्तों द्वारा “कृपा करो महादेव, जय शिवाजी महाराज” की महामंत्र का जाप भी किया जाता है। यह भक्तों की प्रार्थना होती है कि भगवान शिव उनकी सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करें और उन्हें सदैव आशीर्वाद दें।
इस प्रकार, “ॐ जय शिव ओंकारा” आरती भगवान शिव के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पूजनीय स्तोत्र है जो उन्हें उनके दिव्य स्वरूप के साथ एक सात्विक और शांतिपूर्ण संबंध में लेकर जाता है। यह आरती भगवान शिव के अद्वितीय गुणों की महिमा को स्तुति करने में सहायक होती है और उनके भक्तों को ध्यान में ले जाती है।