भारत और चीन के बीच बढ़ती सीमाई तनातनी और सैन्य संघर्ष के लगभग चार वर्षों बाद, एक ऐतिहासिक कदम के रूप में लद्दाख के विवादित इलाकों में दोनों देशों ने गश्त समझौता किया है। सोमवार को घोषित इस समझौते के बाद एनडीटीवी ने पहली बार उपग्रह तस्वीरों में लद्दाख के देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के हटने की पुष्टि की। इस महत्वपूर्ण समझौते का उद्देश्य दोनो देशों के बीच 2020 में तनावपूर्ण स्थिति से पहले की स्थिति बहाल करना है, जब गलवान घाटी में हुए संघर्ष के बाद हालात बिगड़ गए थे।
देपसांग और डेमचोक क्षेत्र की ताजा जानकारी
11 अक्टूबर को ली गई एक उपग्रह छवि में देपसांग मैदान में चार वाहन और दो टेंट लगे हुए दिखाए गए थे। इसके बाद की छवियों में टेंट हटा दिए गए हैं और वाहन भी धीरे-धीरे क्षेत्र से हटते हुए नजर आ रहे हैं। एनडीटीवी द्वारा उपलब्ध कराए गए ये उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले चित्र मैक्सार द्वारा खींचे गए हैं। इससे यह पुष्टि होती है कि गश्त का काम धीरे-धीरे पूर्व निर्धारित समझौते के तहत आगे बढ़ रहा है, जिसमें देपसांग के ‘वाई जंक्शन’ पर स्थित स्थल से भारतीय सैनिकों की गश्त बहाल होगी।
डेमचोक क्षेत्र में बदलाव
9 अक्टूबर को डेमचोक की तस्वीरों में चीनी सेना की अर्ध-स्थायी संरचनाएँ देखी गई थीं, जिन्हें कुछ ही दिनों बाद की गई नई तस्वीर में हटा दिया गया है। सेना के सूत्रों के अनुसार, गश्त प्रक्रिया के तहत वहां की जमीन को भी पुनर्स्थापित किया जा रहा है। दोनों देशों की सेनाएं इस क्षेत्र में अपने-अपने स्थानों पर लौटने के लिए आगे बढ़ रही हैं, जिसमें गश्त और निगरानी के नए तरीके अपनाए जाएंगे।
चीनी राष्ट्रपति से वार्ता और राजनयिक चर्चा
भारत के विदेश सचिव विक्रम मिश्री और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में इस गश्त समझौते की पुष्टि करते हुए इसे सीमाई स्थिरता और शांति का प्रतीक बताया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भी चर्चा की, जिसमें इस समझौते का स्वागत किया गया। इसके अलावा, दोनों देशों ने इस बात पर भी सहमति जताई कि भविष्य में किसी भी गश्त के लिए पारस्परिक सूचना साझा की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार की गलतफहमी को टाला जा सके।
यह समझौता भारत और चीन के बीच 2020 के बाद के सबसे बड़े सैन्य गतिरोध को खत्म करने में एक निर्णायक कदम है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षेत्र में दीर्घकालिक शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अन्य रणनीतिक पहल की भी आवश्यकता है। चीन के पूर्वी लद्दाख में दीर्घकालिक ढांचे बनाए रखने की इच्छा और कई मुद्दों को ध्यान में रखते हुए यह समझौता एक सकारात्मक शुरुआत है, लेकिन पूरी तरह से विश्वास निर्माण की प्रक्रिया अभी बाकी है।